अपर्णा के पदचिन्हों पर चलते हुए शिवपाल भी अखिलेश को छोड़ सकते हैं!

क्या भाजपा की ओर से राज्यसभा संसद बनेंगे शिवपाल यादव?

शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी

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“बहुत तकलीफ होती है जब आप योग्य हों और आपकी योग्यता नहीं पहचानी जाती है।” मिर्जापुर के मुन्ना भैया का यह डायलॉग जिस प्रकार उस वेब सीरीज़ का सार बन गया था उसी प्रकार उत्तर प्रदेश की असल राजनीति में कुछ ऐसा ही हाल मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव को हो चुका है। 6 साल पूर्व समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपना दल बनाने के बाद 2022 में शिवपाल ने उन्हीं अखिलेश के साथ आना बेहतर समझा जिनके कारण उनकी समाजवादी पार्टी में नंबर 2 वाली स्थिति दोयम दर्ज़े की हो गई थी। इस बार चुनाव में अखिलेश ने अपने चाचा को सपा से टिकट से ही चुनाव लड़ाया और शिवपाल जीते भी पर अब शिवपाल की स्थिति ऐसी हो गई है कि अखिलेश चनाव हारने के बाद से ही उन्हें दरकिनार करते दिखाई दे रहे हैं और इसी से खिन्न अब शिवपाल यादव, यादव परिवार की बहु अपर्णा यादव के पथचिन्हों पर चलकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

शिवपाल यादव ने वर्ष 2016 में समाजवादी पार्टी छोड़ अपना दल बनाया था जिसका नाम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) रखा गया था। मुलायम सिंह के समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष रहते शिवपाल पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता हुआ करते थे पर जैसे ही भतीजे अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ली थी उस दिन से शिवपाल के अस्तित्व पर खली घटा के बादल छा गए थे। अपने नए राजनीतिक सफर पर चल पड़े शिवपाल यादव को 2022 के चुनाव पास आते-आते जहाँ यह आभास हो गया था कि उनकी पार्टी अब तक सक्षम नहीं हो पाई है की अकेले मुकाबला कर सके तो वहीं अखिलेश ने क्षेत्रीय और छोटे दलों को जोड़ने की आड़ में अपने चाचा शिवपाल का रुख किया था। उसी समय अपने दल के लिए 100 सीटें मांगने वाले शिवपाल को अखिलेश ने एक सीट दी और वो भी समाजवादी पार्टी के सिम्बल पर जिससे शिवपाल यादव अपनी परंपरागत सीट से चुनाव लड़े और जीते भी।

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यूँ तो समाजवादी पार्टी सरकार बनाने में एक बार पुनः असफल हुई पर अखिलेश यादव ने चुनाव हारते ही अपने 2017 वाले चाचा विरोधी Mode को ऑन कर लिया। अब तक चाचा-चाचा कहते न थकने वाले अखिलेश ने पहले तो 10 मार्च के बाद कोई बैठक नहीं बुलाई, और अब नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के लिए बैठक बुलाई गई तो शिवपाल यादव तैयार बैठे रह गए पर बुलावा नहीं आया और करहल से विधायक चुनकर आए अखिलेश यादव को नेता चुन लिया गया। शिवपाल यादव का रुष्ट स्वरुप यहाँ से आरंभ हुआ और अब स्थिति ऐसी है कि समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक बने शिवपाल यादव अपने अस्तित्व को भुनाने के लिए अपनी बहु अपर्णा यादव की भांति भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष ने बुधवार देर रात मुख्यमंत्री से मुलाकात की, जिससे अटकलें तेज हो गईं कि वह जल्द ही समाजवादी पार्टी गठबंधन छोड़ सकते हैं। शिवपाल और सीएम योगी के बीच लखनऊ में उनके आधिकारिक आवास पर करीब 20 मिनट तक बैठक चली। शिवपाल यादव के करीबी सूत्रों ने बताया कि PSPL प्रमुख भतीजे का गठजोड़ छोड़ने को लेकर जल्द ही कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं।

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उपेक्षित महसूस कर रहे हैं शिवपाल!

शिवपाल ने 26 मार्च को कहा था कि समाजवादी पार्टी के विधायक होने के बावजूद उन्हें लखनऊ में पार्टी विधायकों की समीक्षा बैठक के लिए नहीं बुलाया गया था। हालांकि, बाद में सपा द्वारा स्पष्ट किया कि शिवपाल का अपना संगठन है और वह सहयोगी था, और सहयोगियों के लिए एक बैठक बाद में निर्धारित की गई थी। शिवपाल ने हाल ही में इटावा जिले की अपनी पारंपरिक जसवंतनगर सीट से सपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा था, ऐसे में विधायक तो वो सपा के ही हुए।

हालांकि, शिवपाल ने सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ अपनी मुलाकात को लेकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि वह या तो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं या फिर एनडीए के साथ अपनी पार्टी का गठबंधन कर सकते हैं। चर्चा तो यह भी है कि बीजेपी शिवपाल यादव को राज्यसभा भेज सकती है और उनके बेटे आदित्य उनकी जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में मुलायम के कुनबे की एक और टूट जल्द ही सरेआम हो सकती है और अपर्णा यादव के बाद अगला नंबर शिवपाल यादव का ही प्रतीत हो रहा है।

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