Sonu Sood vs RSS – संघ की उपेक्षा करते नहीं थकती सोनू सूद को ‘मसीहा’ बताने वाली लिबरल मीडिया

लिबरल मीडिया का प्रपंच तो गजब का है भैया!

RSS VS Sonu Sood

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कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि। महाभारत के रण में भगवान श्रीक़ृष्ण द्वारा दिया गया यह ज्ञान युगों से हम हिंदुओं के कर्मचक्र की आधारशिला है। हम ये मानते हैं कि फल की अभिलाषा कर्म और कर्ता दोनों को मलिन करती है। उसमें लोभ, मद और मोह भरती है और इसीलिए हम निस्काम और निःस्वार्थ भाव से कर्म करने में विश्वास करते हैं। पर, आज नेकी कर दरिया में डालनेवाला युग नहीं है। आजकल PR Style और Publicity stunt का जमाना है। परोपकार को लोगो ने व्यापार बना दिया है। जितने का लोग परोपकार नहीं करते उतना दिखावा कर के खुद कमा लेते हैं।

पर, समाज के कुछ नायक ऐसे भी हैं, जिन्होने परोपकार को निःस्वार्थ कर्म का आधार दिया है। वे चुप-चाप बिना कुछ बोले अपने कर्तव्य का निर्वहन करते जा रहें है और बदले में कुछ मांगते भी नहीं। न तो PR, न कोई पब्लिसिटी, न कोई फ़ंड, न सहायता, न सम्मान कुछ भी नहीं। इन्हें न तो सोशल मीडिया का समर्थन प्राप्त है, न प्रिंट मीडिया का और न ही electronic मीडिया इनके बारे में लोगो को बताती है। इनके कारनामों की कहानी अखबार के उस कोने में पड़ी होती है जहां हमारी दृष्टि नहीं पहुंच पाती। पर, हम अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए समाज के ऐसे नायकों की आवाज़ बनेंगे और आप अपने हिस्से का कर्म कर इनसे परिचित होइए, इनका सम्मान करिए।

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मुसीबत की घड़ी में देवदूत बनें स्वंयसेवक

हिंदू स्वयंसेवक संघ भारत के बाहर रहने वाले हिंदुओं का समर्थन करने और उन्हें संगठित करने हेतु बनाया गया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक सहयोगी संगठन है। जिसकी स्थापना 1940 में केन्या में हुई थी, यह वर्तमान में 156 देशों में सक्रिय है और दुनिया भर में इसके 3289 शाखाओं का अनुमान है। आइये, आपको बताते हैं आखिर कैसे आरएसएस का ये सहयोगी संगठन यूक्रेन में फंसे भारतीयों के लिए देवदूत बन कर आया? यूक्रेन के कीव में रह रहे भारत के नागपुर निवासी और अंतरिक्ष विज्ञानी राजेश नामदेव राव मुनेश्वर यूक्रेन में फंस गए।

उनके और उनके परिवार के निकलने के सारे रास्ते बंद हो गए, जिसमें उनका एक दिव्यांग पुत्र भी था। बमबारी में घर के सामने का अपार्टमेंट 3 दिन पहले ध्वस्त हो चुका था और इस घटना में कई लोग मारे गए तथा कई जख्मी हो गए। हालांकि, घर से रेलवे स्टेशन महज 15 मिनट की दूरी पर ही है, पर वहां के स्थानीय नागरिकों ने उन्हें ट्रेन पर चढ़ने नहीं दिया और अंततः वह मायूस होकर अपने परिवार के साथ घर लौट आए। बस अथवा दूसरे वाहन भी बॉर्डर तक ले जाने को तैयार नहीं थे और इधर भारतीय दूतावास किसी भी स्थिति में कीव छोड़ने का आदेश जारी कर चुका था। बहुत ही मुश्किल घड़ी थी।

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प्रभावित लोगों की मदद में दिन-रात जुटे हैं संघ के लोग

बकौल मुनेश्वर इंटरनेट पर वह कई बार मदद की अपील कर चुके थे,पर कोई मदद करने को राज़ी नहीं था। इसी बीच 1 मार्च को एक स्वयंसेवक का फोन आया और उसने कहा,”आज रात्रि में बस निकल रही है। आप लोगों के लिए 2 सीटें आरक्षित करवा दी है।” पहले तो उन्हें लगा कि कोई मजाक कर रहा है, लेकिन भारतीयों से भरी हुई बस उसी रात उनके घर पहुंची और 2 मार्च को वह परिवार सहित सुरक्षित रोमानिया बॉर्डर पर पहुंच गए। वहां से 5 मार्च को दिल्ली और 7 मार्च सोमवार की सुबह नागपुर पहुंचे। उनके अनुसार इस मुसीबत की घड़ी में संघ के स्वयंसेवक भारतीयों के लिए देवदूत बनकर आए थे।

उन्होंने यह भी बताया कि उनके निकलने के दूसरे दिन ही उनके घर पर बम गिरा और उनका पूरा अपार्टमेंट ध्वस्त हो गया। यूक्रेन के शहर में सोमवार तक 600 के आसपास लोग फंसे हुए थे, जिन्हें वहां से निकालने का प्रयास भारत सरकार के साथ साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के देवदूत भी कर रहे हैं। मुनेश्वर ने यह भी बताया कि यूक्रेन में संघ से जुड़े लोग प्रभावित लोगों की मदद में दिन-रात जुटे हैं। भारतीयों को उनका हर कदम पर साथ मिल रहा है। हिंदू स्वयंसेवक संघ के सूर्यमणि ने ही बस में सीटों की व्यवस्था की और जब वह बस से 20 भारतीय परिवार के साथ रोमानिया बॉर्डर पहुंचे तो संघ और सेवा इंटरनेशनल के कार्यकर्ता भोजन पानी के साथ बच्चों के लिए दूध तक लेकर खड़े थे।

मीडिया नहीं देता इन्हें श्रेय

यह संगठन यूक्रेन में भारतीय परिवारों के साथ-साथ भारतीय मूल और अन्य राष्ट्रों के हजारों फंसे हुए छात्रों का समर्थन करने के मानवीय प्रयासों के लिए सेवा इंटरनेशनल के साथ भी लगातार समन्वय कर रहा है। भारतीयों की मदद के लिए एक गूगल फॉर्म भी जारी किया गया है। संघ के लोगों ने वहां फंसे लोगों को अपने पते दिये और जो लोग उन तक नहीं पहुंच सकते थे वे उन तक पहुंचे। सहयोग के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है, जिसके लिए दो मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं। पर, देश में बहुत से लोग ये बात नहीं जानते होंगे।

हां, ये ज़रूर जानते होंगे की सोनू सूद ने उन भारतीयों की मदद को लेकर एक झूठा ट्वीट अवश्य किया, जिसे कुछ कूल लोगों ने मिलकर वायरल कर दिया। निश्चित रूप से सोनू सूद को इसका फायदा भी मिलेगा। हो सकता है कहीं से टिकट भी मिल जाए। अगर टिकट न भी मिले तो फ़ंड के रूप में करोड़ो रुपये तो अवश्य मिल जाएंगे। इसी तरह ‘The Hindu’ ने भी तमिलनाडु सरकार को झूठा श्रेय दे दिया था। लेकिन, जो सच्चे और राष्ट्रभक्त संगठन हैं उनके कार्य को गुमनामी में धकेल दिया गया। वैसे तो ऐसे नायक ऐसे कार्यों को अपना कर्तव्य मानते है और इसका श्रेय लेने से बचते हैं पर, उन्हें श्रेय हम देंगे। हमारे दर्शक देंगे। हम उन्हें नमन करते है और ऐसे संगठन हमारे देश में इसे हम अपना गर्व समझते हैं।

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