एस एस राजामौली वो फिल्मकार हैं जिनके लिए भारतीय सिनेमा तरस रहा था

राजामौली ने बॉलीवुड के वर्चस्व को तोड़ मरोड़ दिया है!

SS Rajmauli

Source- TFI

25 मार्च 2022. यह वह दिन था, जिस दिन 3 वर्ष से बहुप्रतीक्षित, निर्देशक एस एस राजामौली द्वारा निर्देशित ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ यानी RRR आखिरकार सिनेमाघरों में आने को तैयार थी. ये फिल्म तो वैसे प्रारंभ में जुलाई 2019 में प्रदर्शित होती, परंतु पहले प्रोडक्शन संबंधी समस्या और फिर कोविड महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा. लेकिन कई अन्य मेगा बजट फिल्मों की भांति इसके लिए लोगों की प्रतीक्षा व्यर्थ नहीं गई और अपनी फिल्म से एस एस राजामौली ने सिद्ध कर दिया कि आखिर क्यों उनका कोई सानी नहीं है.

राम चरण तेजा और नंदमुरी तारक रामराव जूनियर (Junior NTR) अभिनीत यह फिल्म ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित एक काल्पनिक पटकथा है, जो यह दिखाने का प्रयास करती है कि कैसे अमर क्रांतिकारी अल्लुरी सीताराम राजू और कोमारम भीम भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपना सर्वस्व आंदोलन करने को प्रेरित हुए. RRR कितनी लोकप्रिय है, इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि 550 करोड़ के बजट पर बनी यह फिल्म पहले ही दिन वैश्विक कलेक्शन में 223 करोड़ रुपए से अधिक कमा चुकी है –

राजमौली जैसा निर्देशक ढूंढना असंभव है!

अब इस फिल्म ने इतिहास के साथ कितना न्याय किया और इस फिल्म ने जनता को कितना प्रसन्न किया, इस पर काफी वाद विवाद हो सकता है, लेकिन इस बात पर सभी सहमत होंगे कि इस समय एस एस राजामौली जैसा निर्देशक ढूंढना लगभग असंभव है. शायद इसी का परिणाम है कि जहां कोविड के कारण स्थगित ‘83’, ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’, यहां तक कि ‘राधे श्याम’ जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर पिट गई, तो भी इतने वर्ष तक लंबित रहने के बाद भी RRR पहले ही दो दिनों में बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाती दिख रही है.

परंतु ये बात आज की नहीं है. जनता को किस प्रकार से लुभाना है और कथावाचन कैसा होना चाहिए, इसमें वे काफी निपुण है. ‘विक्रमकुडु’, ‘मगधीरा’ से इन्होंने तेलुगु उद्योग में अपनी एक अलग पहचान बनाई, लेकिन वर्ष 2012 में ‘Eega’ यानी ‘मक्खी’ से इन्होंने सारा खेल पलट कर रख दिया. उस समय Pan-India फिल्म क्या होती है, बिना बॉलीवुड के मायाजाल में फंसे जनता को निरंतर नया और मनोरंजक कॉन्टेन्ट कैसे देना है और भाषा की सीमाओं में कैसे नहीं उलझना है, इन सभी परीक्षाओं में मानो राजामौली ने विजयी होने की ठान ली और परिणामस्वरूप निकली बाहुबली.

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राजमौली ने बॉलीवुड के वर्चस्व को तोड़ मरोड़ दिया

तेलुगु इंडस्ट्री को लेकर खेल बदला वर्ष 2015 में जब एस एस राजामौली बाहुबली लेकर आए. मूल रूप से तेलुगु में बनी यह फिल्म अन्य संस्करणों में भी काफी लोकप्रिय रही, परंतु Bollywood का वर्चस्व फिर भी कायम था. लेकिन 2017 में जब बाहुबली का सीक्वल आया, तो मानो सब कुछ बदल गया. इस फिल्म ने लगभग हर रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए लगभग 1000 करोड़ से अधिक रुपये की कमाई की थी. यदि दंगल फिल्म की सर्वाधिक कमाई चीन में नहीं होती, तो ‘बाहुबली’ वित्तीय तौर पर कुल राजस्व में भारत की सबसे सफल फिल्म सिद्ध होती, जिसने वैश्विक बॉक्स ऑफिस पर लगभग 1900 करोड़ रुपये कमाए थे.

अब सोचिए, ये बात तब की है, जब भारतीय सिनेमा पर बॉलीवुड का ‘प्रभुत्व’ था और उसे चुनौती देना लगभग असंभव था. लेकिन आज बॉलीवुड का वर्चस्व लगभग नगण्य है, और मनोरंजन एवं रचनात्मकता के मामले में उसे तो अब उड़िया और गुजराती फिल्म उद्योग तक पीछे छोड़ने लगी हैं. अब कल्पना कीजिए, यदि वास्तविक इतिहास को संरक्षित करने का बीड़ा एस एस राजामौली ने उठाया तो क्या होगा? उनके पास संसाधन भी है, दृष्टिकोण भी और सबसे बढ़िया तो उनका विजन भी स्पष्ट है. यदि एक बार ठान लिया, तो सम्पूर्ण बॉक्स ऑफिस उनका!

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