उदारवादियों द्वारा अब पृथ्वी पर हर आकस्मिक दुर्घटना के लिए कश्मीर फाइल्स को दोषी ठहराया जा रहा है

दुनिया में कुछ भी गलत हो रहा है तो उसके लिए जिम्मेदार 'कश्मीर फाइल्स' है

द कश्मीर फाइल्स एजेंडा

source- tfipost

खिस्यानी बिल्ली खम्बा नोचे, द कश्मीर फाइल्स देखने के बाद से देश के एक वर्ग वामपंथी और लिबरल गुट को बरनोल की आवश्यकता पड़ने के साथ ही उसकी बुद्धि ने भी काम करना बंद कर दिया है। अपनी खीज और दुःख को कैसे बयां करें इस कौतुहल में यह गुट गंदगी करने से भी बाज़ नहीं आ रहा है। उनकी एक ही रणनीति है कि किसी भी तरह द कश्मीर फाइल्स को ऐसा दुष्प्रचारित कर दो कि उसके प्रति लोगों की सम्मान की भावना, विद्वेष में परिवर्तित हो जाए। ऐसे में कुछ चिंटुओं को शायद यह नहीं पता कि सोचने-समझने में भारत का आम आदमी इन सब का पितृ है। लिबरलों को यह लगता है कि चार भारी अंग्रेजी के शब्द बोलकर वो जनता को बरगला देंगे पर ऐसा होने से रहा है। कुछ ऐसा ही आरजे सईमा, जिनका मुख्य काम रेडियो मिर्ची के माध्यम से शहर से बात करना और सुखद वातावरण के साथ शो चलाना होता है पर ट्विटर पर तो ये अलग ही एजेंडा चलाती दिख गईं जिसके बाद लोगों ने उनकी इस कुंठित सोच के लिए जमकर ट्रोल करना शुरू कर दिया।

यह सत्य है कि देश का लिबरल गुट टकटकी लगाए जिस जुगत में बैठा है कि कैसे भी करके उसे द कश्मीर फाइल्स के विरुद्ध एक एजेंडा मिल जाए जिससे उनका घर और कुनबे का एजेंडा चलाने का धंधा और अब तक धड़ाम से गिरे इस धंधे की कुछ क्षतिपूर्ति ही हो जाए। इसी क्रम में आर जे सईमा ने हाल ही में एक ट्विटर पोस्ट पर फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री को टैग किया। यूँ तो मूल पोस्ट जम्मू और कश्मीर छात्र संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता नासिर खुहमी द्वारा लिखी गई थी। जो पूर्व में इंडियन एक्सप्रेस और द प्रिंट जैसे संस्थानों के लिए भी लिख चुकें हैं। 23 मार्च 2022 को नासिर ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया था। वीडियो में कश्मीर में बने पहचान पत्र वाले एक व्यक्ति को दिल्ली के एक होटल में प्रवेश से वंचित करते हुए दिखाया गया है। घटना कब हुई, इसकी पुष्टि अभी नहीं हो पाई है। हालांकि, नासिर के मुताबिक फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की वजह से उस शख्स को एक होटल में रुकने की इजाजत नहीं थी।

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हाँ ये हो गया क्योंकि ‘द कश्मीर फाइल्स’ रिलीज़ हो गई, कल को कुछ और होगा या नहीं भी होगा तो प्लांट करके यह प्रदर्शित कर दिया जाएगा कि ये हुआ है, ‘द कश्मीर फाइल्स’ की वजह से। इस वीडियो के अस्तित्व का ही कोई प्रमाण नहीं है। द कश्मीरी फाइल्स के निर्माताओं पर जिम्मेदारी डालते हुए, नसीर ने वीडियो को कैप्शन दिया, “जमीन पर #KashmirFiles का प्रभाव। दिल्ली होटल ने आईडी और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने के बावजूद कश्मीरी व्यक्ति को कमरा देने से इनकार कर दिया। क्या कश्मीरी होना एक अपराध है।”

इसके बाद आर जे सायमा ने इसके लिए सीधा विवेक अग्निहोत्री को जिम्मेदार ठहराया। नसीर ने प्रभावी ढंग से दावा किया कि, “कैसे मुस्लिम पड़ोसियों ने अपने साथी पड़ोसियों (कश्मीरी पंडितों) को मारने में आतंकवादियों की मदद की, विवेक अग्निहोत्री ने कश्मीरियों के बारे में लोगों के मन में इस तरह नफरत का बीज बोया है।” रेडियो जॉकी के अंदर न जाने कौनसी ऊर्जा उष्मित हुई कि वीडियो की सत्यता की पुष्टि किए बिना, आर जे सईमा ने इस घटना के लिए विवेक अग्निहोत्री को दोषी ठहराने की एक आदर्श नारीवादी रणनीति की कोशिश की। वीडियो को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, “यह विवेक अग्निहोत्री पर है।”

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जब तक सच जूता पहनता है, दुनिया का चक्कर लगा चूका होता है

हालांकि, जल्द ही ‘द हॉक आई’ नाम के ट्विटर अकाउंट ने बनाए जा रहे इस दावे का पर्दाफाश कर दिया। ट्विटर अकाउंट ने कुछ पुरानी खबरों को साझा किया और दिखाया कि यह वीडियो द कश्मीर फाइल्स के रिलीज होने से बहुत पहले से हो रहा है। दिलचस्प बात यह है कि कश्मीरियों को होटल के कमरे से इनकार करने के विवाद के बारे में चार समाचारों में से सबसे पुराना जनवरी 2016 का है। 2018, 2019 और 2020 से तीन अन्य समान समाचार भी उपयोगकर्ता द्वारा साझा किए गए थे। इससे ने केवल यह पता चला है कि यह घटना कितनी पुरानी है और तो और उदारवादी जो चित्रित कर रहे हैं, उससे इसका कोई लेना देना ही नहीं है।

द कश्मीर फाइल्स की रिलीज़ के बाद, उदारवादी, वामपंथी और लिबरल समूह किसी न किसी तरह फिल्म की राह में कांटें डालने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं, पर अभी तक एक में भी सफल नहीं हो पाए।  सबसे पहले उन्होंने यह दावा करने की कोशिश की कि फिल्म में दिखाई गई घटनाएं वास्तविक घटनाओं पर आधारित नहीं थीं। जब वह दावा भी काम नहीं किया, तो उन्होंने फिल्म निर्माताओं पर नफरत फैलाने का आरोप लगाना शुरू कर दिया।

व्यक्तिगत ग्राहकों को कमरे से वंचित करना किसी भी होटल के अधिकार क्षेत्र में आता है, यदि उसे अपने स्थान को किसी भी व्यक्ति से सतर्कता बरतने के उद्देश्य से वो XYZ किसी को भी मना करता है तो वो उसके निर्णय पर ही निर्भर करता है। यह वीडियो जितनी नफरत के साथ द कश्मीर फाइल्स के विरुद्ध फैलाया जा रहा था उतनी ही तीव्रता से इस झूठे आडंबर को ट्विटर पर ही ध्वस्त कर दिया गया। ऐसे में इन सभी फ़र्ज़ी प्रोपेगंडा फ़ैलाने वालों को निश्चित रूप से Burnol की आवश्यकता पड़ी होगी, लेकिन फ़िलहाल जनता उन्हें लानतें भेजने में व्यस्त और मदमस्त है।

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