भारतीय संस्कृति के आगे झुका अमेरिका, हिंदू फौजी को मिली ड्यूटी के दौरान तिलक लगाने की अनुमति

दो साल की भयंकर कानूनी लड़ाई के बाद मिला हक!

दर्शन शाह

स्रोत -गूगल

धारयति इति धर्म:—यानी जिसने सब कुछ धारण कर रखा है, वही धर्म है। संस्कृति ,सभ्यता और धर्म एक ऐसा स्वरुप है जिसका पालन हर अवस्था में करना उचित होता है। आज हम यहां धर्म पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं। क्योंकि, अमेरिकी वायु सेना में भारतीय मूल के एयरमैन दर्शन शाह को ड्यूटी के दौरान तिलक लगाने की अनुमति दी गई है।

और पढ़ें अमेरिका का भी होगा बंटाधार, बाइडेन की भूल कहीं चीन को महाशक्ति न बना दे

भारतीय मूल के सैनिक हैं दर्शन शाह

आपको बतादें कि दर्शन शाह जो एक हिंदू हैं, उन्होंने जून 2020 में बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण में भाग लेने के बाद से अपनी वर्दी के हिस्से के रूप में तिलक पहनने के लिए धार्मिक छूट की मांग कर रहे थे। जिसके बाद उन्हें दो साल बाद, 22 फरवरी को कोर्ट द्वारा अनुमति दी गयी है। गौरतलब है कि शाह एयर बेस पर एयरोस्पेस मेडिकल टेक्नीशियन के रूप में काम करते हैं | दर्शन शाह अमेरिकी  वायु सेना के 90वें ऑपरेशनल मेडिकल रेडीनेस स्क्वाड्रन में  कार्यरत हैं।इस मामले में दर्शन शाह ने कहा, “हर दिन काम करने के लिए तिलक पहनना अद्भुत है ” |  मेरे कार्यस्थल के आसपास के लोग मुझे हैंडशेक, हाई-फाइव और बधाई दे रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मैंने इस धार्मिक आस्था को मंजूरी दिलाने के लिए कितनी मेहनत की है।

और पढ़ें हरियाणा सरकार ने पारित किया धर्मांतरण विरोधी विधेयक

विदेश में रहकर भी अपने हिंदू संस्कार नहीं भूले है दर्शन शाह

खबरों के अनुसार शाह ने कहा- मुझपर मेरे दादा-दादी का बड़ा प्रभाव है | उन्होंने मुझे धर्म, त्योहारों और रीति-रिवाजों के बारे में बहुत कुछ सिखाया। मैं निश्चित रूप से कहूंगा कि उनका मुझ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। दरअसल जब दर्शन शाह तीन साल के थे, तब वे अपने दादा-दादी के साथ गुजरात में रहते थे और पाँच साल की उम्र में वे अमेरिका चले गए।

दर्शन शाह वहां अपने धर्म और मातृभाषा को अपने साथ ले गए जिससे उनके व्यक्तित्व के विकास में मदद मिली।शाह का पालन-पोषण मिनेसोटा के एक गुजराती परिवार में हुआ था। ये परिवार बोछासनवासी अक्षर पुरुषोत्तन स्वामीनारायण संस्थान से जुड़ा है। इस संप्रदाय का प्रतीक चंदन तिलक है। यह यू-आकार का होता है। विदेशों में रहकर और पश्चिमी सभ्यता के समीप होने के बाद भी शाह ने अपना धर्म और कर्म साथ निभाया है।

और पढ़ें भारत में कोई ‘दलित’ नहीं है, सिर्फ और सिर्फ हिंदू हैं

भारतीय संस्कृति का लोहा मानते पश्चिमी देश 

धार्मिक आज़ादी की जब बात आती है, तो भारत सबसे पहले स्थान पर रहता है। भारत में विश्व के लगभग प्रत्येक धर्म ,संस्कृति एवं भाषा का निवास है, भारत एक महान सभ्यता की नींव है।  जहां दुनिया के लगभग हर धर्म का पालन शांति से किया जाता है।आपको बतादें कि देश में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 में धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म का अभ्यास और प्रचार भारत में एक मौलिक अधिकार है। इसके अलावा सार्वजनिक और निजी स्थानों पर विभिन्न धर्मों की ‘आवश्यक धार्मिक प्रथाओं’ की भी अनुमति दी गई है।इसके अलावा, भारतीय रक्षा बल भी अपने कर्मियों की आवश्यक धार्मिक पहचान को अपनाने की अनुमति देते हैं। जैसे सिखों को पगड़ी, कड़ा और लंबे बाल रखने की अनुमति है। हमें यह याद रखना चाहिए की हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है |

Exit mobile version