मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत का कारण क्या है?

काम पर वोट एवं साम्प्रदायिकता पर चोट करते हुए मुसलमानों ने भाजपा को वोट किया है!

भाजपा मुस्लिम

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उत्तर प्रदेश में चुनावी रण एकतरफा जाना तय ही माना जा रहा था क्योंकि राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज को लेकर एक सकारात्मक रुझान था। इसी बीच राज्य के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भाजपा की बढ़त और जीत ने उस बात पर मुहर लगा दी कि काम पर वोट देने के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं ने यह बता दिया कि हमें किसी एक पार्टी से जोड़कर न देखा जाए क्योंकि हम भी जनहित में काम को बढ़ाने के पक्षधर हैं। ऐसे में तमाम बिंदु हैं जिन्होंने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भाजपा को क्लीन स्वीप के साथ चुनाव जीता दिया है।

भाजपा का सबसे बड़ा मुद्दा राष्ट्र प्रथम रहा है, वो जाति भेद में न बंटकर सबका साथ-सबका विकास वाली परिधि पर चुनाव लड़ती आई है, लड़ रही है और लड़ती रहेगी। इसका असर मुस्लिम वर्ग पर भी पड़ा है यही कारण है कि न तो इस बार मुस्लिम मतदाताओं ने धर्म देखा, न ही क्षेत्रीय पार्टी देखी, उसने एकमुश्त भाजपा को वोट कर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भाजपा को जीत दिलाई।

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मुस्लिम महिलाएं बन गई हैं भाजपा की साइलेंट वोटर्स-

इस मुस्लिम फैक्टर में पूरा मुस्लिम भाग, सपा से छिटककर भागों में बंटते हुए बीजेपी का हमजोली हो गया। उसमें सबसे बड़ा किरदार महिला मुस्लिम मतदाताओं ने निभाया जहाँ SILENT VOTER बनकर उन्होंने अपने परिवार से मतभिन्नता होने के बाद चुनाव के दिन बीजेपी को वोट दिया। निश्चित रूप से भाजपा को मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में लाने में इन्हीं महिला मुस्लिम मतदाताओं का सबसे बड़ा हाथ है।

माफिया-गुंडाराज और वो दहशतगर्द, जो मुस्लिम होने के बाद भी मुस्लिम समाज का ही शोषण किया करते थे, ऐसे नेताओं की जड़ें खोखली करने के लिए मुस्लिम मतदाताओं ने बीजेपी का समर्थन कर उन्हें भी धूल चटा दी। अन्तोत्गत्वा जिस प्रकार हिन्दू वोट इन सभी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में एकमुश्त पड़े तो वहीं जहाँ-जहाँ एक से अधिक मुस्लिम उम्मीदवार थे वहां बीजेपी को बढ़त मिल गई क्योंकि वोट बंट गया और इसी के लाभ में बीजेपी तर गई।

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