बेअदबी को लेकर हो रही हिंदुओं की लगातार लिन्चिंग

गुरुद्वारों में हो रहे मासूम लोगों पर अत्याचार

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हाल ही में स्वर्ण मंदिर मे हुयी लिन्चिंग की घटना जिसका कारण  बेअदबी बताया जा रहा है काफी गंभीर तथा भयानक चलन को दर्शा रही है जो 2017 के पंजाब चुनावों के बाद से लगातार जारी है |

सिख और हिन्दू धर्म का संबंध

सिख धर्म , हिन्दू धर्म से ही निकल हुआ एक पंथ है, भारतीय इतिहास में हिन्दुओं और सिखों का संयुक्त इतिहास इस्लामी आक्रांताओं की क्रूरता से लड़ने का रहा है। दोनों अलग-अलग धर्म रहे ज़रूर, लेकिन सनातन की छत्रछाया में। तभी सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने रामायण लिखी और तभी गुरु ग्रन्थ साहिब में 2500 बार ‘राम’ शब्द आता है। गुरु नानक के समय से लेकर अब तक हिन्दू और सिख एक-दूसरे के इष्ट व गुरुओं का सम्मान करते रहे हैं। हिन्दुओं के घर में आपको गुरु नानक की तस्वीर मिलेगी और सिखों के यहाँ भगवान शिव की। सिख धर्म में गुरु नानक के बाद ही एक अलग संप्रदाय का निर्माण हो गया था, जिसका नाम था – उदासी मत। इसकी स्थापना उनके बेटे बाबा श्रीचंद ने ही की थी। सिख संप्रदाय में गृहस्थी व समाज में रह कर जीवन को पवित्र बनाने पर जोर था, जबकि ‘उदासी मत’ में संसार के पूर्ण त्याग पर बल दिया गया।

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गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का कालखंड और सिख धर्म 

सिख इतिहास को आकार देने और सिख धर्म को परिभाषित करने का काम करने वाले गुरु गोबिंद सिंह का नारा था-सवा लाख से एक लड़ाऊं। उनके विचार ‘देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूँ,  प्रेरणा पाकर उनके शिष्य शक्तिशाली मुल्लों के खिलाफ  से डटे रहे। उन सभी ने अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन युद्ध के मैदान में दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई। यह सिख और हिंदू ही थे, जिन्होंने जबरन मतांतरण के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ी। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने चार बेटों का बलिदान दिया, लेकिन अत्याचारी औरंगजेब का अंत सुनिश्चित किया। गुरु साहिब की शिक्षाओं का पालन करते हुए महाराजा रणजीत सिंह ने बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर में सोने का गुंबद दान किया, जो आज भी चमक रहा है। उन्होंने पुरी के जगन्नाथ मंदिर को कोहिनूर हीरा देने की इच्छा जताई थीं। गुरु गोविंद सिंह जी महराज ने पंज प्यारो का चुनाव किया जिसमें सभी  हिन्दू थे ,जिनके नाम है , भाई  दयारम, भाई धरमदास ,भाई हिम्मत रॉय ,भाई  मोहकम चंद ,और भाई साहिबचन्द थे |

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वर्तमान समय में 

सिख धर्म जिनका नाम सुनते ही बहादुरी , दया, मदद का एक सुंदर चित्रण दिमाग में छाने लग जाता। आज भी सारे हिन्दू सिखों की या  धार्मिकता को उतनी ही महत्व देते या  उन के प्रमुख दर्शन स्थली स्वर्ण मंदिर हो या फिर कोई भी गुरुद्वारा हर जगह अपने इष्ट देव की तरह समर्पण का भाव रखते है।मगर पिछले कुछ वर्षो में सिखों का रवैया हिंदुओ के खिलाफ दुष्प्रचार से ऐसा बदला जिसका नतीजा ये रहा की पिछले साल भर में सिखों के नाम पर एक के बाद एक क्रूरता का दृश्य देखने को मिल रहा , पिछले वर्ष तथाकथित किसान आंदोलन में एक गरीब हिंदू दलित की हत्या हो या फिर स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारा में बेअदबी के आरोप में भीड़ का एक भूखे मानसिक बीमार की हत्या करना । इनमें खालिस्तानियो का नाम भी जुड़ता  मगर सवाल यह खड़ा होता की अगर सारे सिख एक जैसे नहीं है तो इन जैसे के खिलाफ कोई आवाज क्यों नही उठता।यही नहीं इतने सारे भीड़ में निर्दोषों को मारने के बाद अपनी बहादुरी का परिचय देना कानून का जरा सा भी दर न होना भयावह लगता है |

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हाल की घटनायें

बीते दिनों बेअदबी का  एक और मामला सामने आया है, घटना का खुलासा गुरुवार को तब हुआ जब एक महिला का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। यह वीडियो स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) का था।

जिसमें बुजुर्ग महिला स्वर्ण मंदिर परिसर में बीड़ी पीती हुई दिखाई दे रही है ,महिला बिहार से है। बीड़ी पीती  महिला को पकड़ने के बाद उसे गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी को सौंपने के बजाय वीडियो में दिख रहा है कि एक शख्स धूम्रपान करने पर एक अधेड़ उम्र की महिला से भिड़ रहा है, फटकार और थप्पड़ मारते नजर आ रहा है। महिला के साथ जा रही लड़की माफी मांगती नजर आ रही है और यह कहते हुए सुनाई दे रही है कि उसकी मां ने गलती की है। शख्स कहते हुए नजर आ रहा है, ‘यहाँ सचखंड श्री हरिमंदर साहिब में आप सिगरेट पी रहे हैं?’ वह यह भी कह रहा है कि उसे 50 नंबर (कमरे) में भेज देना चाहिए।

इन घटनाओं में एक चीज समान है , की पीड़ित इंसान निर्दोष हिंदु है जो भूलवश एक गलती कर बैठ जिसकी सजा के रूप में या उसे जान से मार दिया गया या उसकी बेरहमी से पिटाई की गई  , और इसे देखने के पश्चात लोग सोचने पर मजबूर हो जाते की  क्या सिखों के अलावा हिंदुओ का गुरुद्वारा जाना सुरक्षित है ?एक ओर जहा अफगानिस्तान से लेकर बांग्लादेश ,पाकिस्तान में प्रताड़ित होने पर बहादुरी दिखाने के जगह भारत की राह देखते तो दूसरी तरफ भारत में निर्दोषों पर महिलाओं पर अत्याचार कर के बेअदबी के आरोपों पर प्रताड़ित करते।

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