अमूमन ज़िन्दगी में व्यक्ति अपने व्यक्तिगत और निजी संबंधों में आई खटास को समाज में जगजाहिर करने से बचता है और अधिकांश तो घर की कलह बाहर आने को इज़्ज़त उछल जाने की भांति मानते हैं। मुस्लिम समुदाय भी कुछ इसी तरह एकता एक एक सूत्र में पिरोया हुआ दिखता तो है पर असल में हालत बहुत बिगड़ी हुई है और अबकी बार वो दीवार भी हट गई जिसको इतने समय से सटाया हुआ था, वही दीवार जिसे जाति भेद कहा जाता है। भारत में अबतक ऊंच-नीच की परिकल्पना एक ही ढर्रे पर सिमट कर रह गई है, ब्राह्मण और शूद्र बस, बल्कि सच तो यह है कि मुस्लिम समुदाय में अपने भीतर विद्यमान जातियों में द्वंद्व छिड़ा हुआ है और उत्तर प्रदेश सरकार में नए नवेले मंत्री बने दानिश आज़ाद अंसारी के मंत्री बनने के बाद तो यह कलह सरेआम हो चुकी है।
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उत्तर प्रदेश में सरकार पुरानी ही वापसी कर आई हो पर इस बार कई वाकये पहली दफा हुए, जैसे उपमुख्यमंत्री बदल दिए, कई मंत्री हटा दिए वजह सिर्फ एक काम में ढिलाई या अन्य पार्टी की जरूरतों की पूर्ति न होना। इसी में एक मंत्री बदले गए जिनका नाम था मोहसिन रज़ा जिनके बदले बेहद ही नए और युवा खिलाडी को भाजपा ने बिना विधायक और एमएलसी बनाए राज्य ,मंत्री बना दिया। यहाँ बात हो रही है 32 वर्षीय दानिश आज़ाद अंसारी जिन्हें योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में जगह मिलने के साथ ही वो सरकार के इकलौते मुस्लिम मंत्री बन गए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बनाए जाने पर शीर्ष नेतृत्व का हार्दिक आभार एवं धन्यवाद। @narendramodi @AmitShah @sunilbansalbjp @JPNadda @myogiadityanath @swatantrabjp @kpmaurya1 @brajeshpathakup @ianuragthakur @dpradhanbjp @RadhamohanBJP pic.twitter.com/VPVylcWWpx
— Danish Azad Ansari (मोदी का परिवार) (@danishazadbjp) March 27, 2022
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जितनी चर्चाएं इस बार शपथ ग्रहण में अन्य कैबिनेट स्तर के मंत्रियों की नहीं हुई, उससे कई अधिक शोर दानिश आज़ाद अंसारी के नाम पर मच गया। यह शोर जब तक सकारात्मक और रुचिकर था तब तक बहुत ठीक था, पर जैसे ही इस चर्चा का शोर अभद्रता और जातीयता की चरमसीमा पार कर गया सब कुछ ठीक नहीं रहा। यह सर्वविदित है की आप सबके भले नहीं बन सकते हैं, दानिश के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, उसकी इस उपलब्धि के आड़े उनकी जाति आ गई, आ गई या लाई गई यह जनता जान चुकी है। दानिश आज़ाद अंसारी ने योगी आदित्यनाथ-कैबिनेट 2.0 में एक स्थान हासिल किया है, पर अब उन्हें अपनी तथाकथित निचली जाति और राजनीतिक विचारधारा पर मुस्लिम समुदाय के ही एजेंडाधारियों का शिकार बनना पड़ रहा है। ट्विटर पर घात लगाए बैठे कई मुस्लिम उपयोगकर्ताओं ने दानिश और उनके परिवार के प्रति को गंदे-गंदे शब्दों के साथ अपनी तुच्छ सोच का नग्न-प्रदर्शन किया।
मुस्लिमों में नस्लवाद/जातिवाद कितनी गहरी है और उनमें सामाजिक न्याय की कितनी आवश्यकता है।
2/2— Faiyaz Ahmad Fyzie (@FayazAhmadFyzie) March 29, 2022
मंत्री बनने के बाद जहाँ एक ओर सब इस बात की सराहना आकर रहे थे कि मुस्लिम समुदाय में से भी दबे-कुचले तबकों में से आने वाले समाज, पसमांदा मुस्लिम के एक नौजवान को सरकार में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना तो वहीं नीची सोच वाले कुछ तथाकथित उच्च श्रेणी वाली मुस्लिमों को यह बात दिल पर लग गई कि हमारा प्रतिनिधित्व एक नीची जाति वाला कैसे कर सकता है। दरअसल, दानिश आज़ाद अंसारी उस पसमांदा जाति से सरोकार रखते हैं जिसे उच्च जाति के अशरफ भारतीय मुसलमानों के बीच एक निचली जमात मानते हैं। पसमांदा को इस्लामी क्षेत्र में भी दरकिनार कर दिया गया है क्योंकि वे अक्सर अपने पहले के स्वदेशी धर्मों के प्रति सहानुभूति रखने वाली प्रथाओं में संलिप्त पाए गए हैं। बस यही कारण है कि योगी 2.0 कार्यकाल में मुस्लिम समुदाय की दबी-ढंकी जाति के प्रति वैमन्सयता जगजाहिर हो गई।
Danish Azad Ansari, the only Muslim given ministerial birth in Yogi's cabinet heading towards pasmanda revolution via BJP🤣 pic.twitter.com/pPluGjC3za
— Amir (@Amir_Sherwani) March 26, 2022
यूँ तो दानिश उन प्रतिभावान युवा नेताओं में आते हैं जो बहुत काम समय में राजनीति की बेहद गहरी समझ रखते हैं और उनके राजनीतिक क्रियाकलापों ने तो उनकी छाप अपने समुदाय के अतिरिक्त चहुओर छोड़ी है। दानिश आजाद अंसारी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर की पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के रूप में राजनीतिक शुरुआत की थी। 2018 में, उन्हें योगी सरकार में उर्दू भाषा समिति के लिए राज्य मंत्री के समकक्ष दर्ज़ा दिया गया था। 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले, अंसारी को भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था।
इन सभी के बीच जहाँ उन्हें अब उनकी जाति के कारण उन्हीं के समुदाय की लोग क्या कुछ नहीं बोल रहे तो वहीं मुस्लिम समुदाय की जाति जंग कितनी जड़ों तक फैली हुई है इसका भी पदार्पण इस घटनाक्रम से हो गया है। यह केवल दानिश ही नहीं पर उस कमज़ोर तबके की हक़ की आवाज़ है जिसे समय रहते नहीं उठाया गया तो सब खिन्न-खिन्न हो जाएगा।
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