योगी मॉडल पूरे देश के लिए एक आदर्श हैं और अब कश्मीर भी इनका अनुसरण कर रहा है

जीरो टोलरेंस की नीति पर कड़ा रुख अपनाकर देश में आदर्श स्थापित कर रहे हैं योगी आदित्यनाथ!

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यूपी के बाबा के बुलडोज़र को ख्याति मिलने से पूर्व यूपी के गुंडे माफियाओं की जमीन कुर्क करने वाले कानून को योगी आदित्यनाथ का मास्टरस्ट्रोक बताया गया था। इससे न केवल असंख्य निहत्थे और असहाय लोगों के जमीन को कब्जाने वालों, माफियाओं हत्यारों और गुनाहगारों को सबक मिला बल्कि अब आलम यह है कि देश का मुकुट कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर भी अब योगी सरकार की इस नीति को अमल में लाने जा रहा है। यूपी में टारगेट थे गुंडे-माफिया और श्रीनगर में एक स्तर और बढ़कर यह टारगेट उन आतंकियों को शरण देने वाले घर के भेदियों पर शिफ्ट हो गया है जो खाते भारत की हैं और बजाते पाकिस्तान परास्त आतंकियों की हैं।

दरअसल, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा है कि वह उन लोगों की संपत्ति कुर्क करेगी जो गलत मंशा के साथ आतंकवादियों को आश्रय देते हैं। संपत्तियों की कुर्की की प्रारंभिक घोषणा के बाद आलोचनाओं का सामना करने के बाद, पुलिस ने शनिवार को स्पष्ट किया कि उन लोगों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिन्हें “दबाव में” आतंकवादियों को शरण देने के लिए मजबूर किया गया है। इसका खाका बहुत ही सोच समझ के तैयार किया गया है जिससे यह पहचाने में लेश मात्र भी गड़बड़ न हो कि किसने मंशा के तहत आतंकी को शरण दी और किस्से जबरन शरण ली गई। गुरुवार को, श्रीनगर पुलिस ने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के ,माध्यम से बताया कि उन्होंने “कुछ अचल संपत्तियों की कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिनका उपयोग यूएलपी अधिनियम [गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम] की धारा 2 (जी) और 25 के अनुसार आतंकवाद के उद्देश्य से किया गया है।” आतंकवादियों और आतंकवादियों को पनाह देने वाले दोनों वर्गों को शरण न दें। ऐसा करते पाए जाने पर पुलिस के बयान में कहा गया है कि कानूनी कार्रवाई को कानून के अनुसार संपत्ति की कुर्की के साथ पूरा किया जाएगा।

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आलोचना को आकर्षित करने वाले बयान के साथ, पुलिस ने शनिवार को एक स्पष्टीकरण जारी किया और कहा कि “आतंकवाद के उद्देश्य से उपयोग की जाने वाली संपत्तियों की कुर्की शुरू करने के संबंध में श्रीनगर पुलिस द्वारा प्रदान की गई जानकारी के बारे में कुछ तिमाहियों द्वारा गलत सूचना, अफवाहें फैलाई गई थीं”। पुलिस ने कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि श्रीनगर पुलिस आतंकवादियों को जानबूझकर पनाह देने और दबाव में किए जाने के बीच के अंतर से अच्छी तरह वाकिफ है।” पुलिस ने कहा, “जो कुर्की की जा रही है वह उन संपत्तियों के लिए है जहां यह साबित हो गया है कि घर के मालिक/सदस्य ने जानबूझकर कई दिनों तक आतंकवादियों को पनाह दी थी और यह किसी भी दबाव में नहीं किया गया था। ज्ञात हो कि ऐसी सख्त नीति जिसमें जब्ती की कार्यवाही रेखांकित होती है, वह हमेशा किसी भी मामले में जांच प्रक्रियाओं के उन्नत चरण में होने के बाद ही होती है।”

जहां पुलिस और अर्धसैनिक बल उन घरों को ध्वस्त कर रहे हैं जहां मुठभेड़ के दौरान आतंकवादी छिपे हुए हैं, पुलिस ने अब ऐसे घरों के मालिकों के खिलाफ आतंकवादियों को आश्रय देने के आधार पर आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत मामला दर्ज करना शुरू कर दिया है। आतंकवादियों द्वारा घरों में “जबरन प्रवेश” के मामलों में, पुलिस ने घर के मालिकों पर “दबाव साबित करने” की जवाबदेही सुनिश्चित कर दी है।

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बता दें, आगामी भविष्य में किसी भी घर या अन्य बसावट में आतंकवादियों के तथाकथित ‘जबरन प्रवेश’ के मामले के संबंध में, घर के मालिक या किसी अन्य सदस्य को दबाव का दावा करने वाले को समय पर अधिकारियों को सूचित करना पड़ेगा, और इसके साथ ही उस व्यक्ति की पहचान निश्चित रूप से सुरक्षा कारणों से  गुप्त ही राखी जाएगी क्योंकि यही प्रावधान कहते हैं।

अब घाटी में अमन-शांति और प्रेमभाव कैसे स्थापित हो उस कड़ी में शासन और प्रशासन योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों को अपनाने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा रहा, दूसरी ओर गुपकार गैंग, मुफ़्ती-अब्दुल्लाह जैसे नेताओं को इसका भी विरोध इसलिए करना है क्योंकि जो भी हैं जैसे भी हैं, आतंकियों को शरण देने वाले इनके अपने ही हैं, तो दुःख क्यों नहीं होगा भला और उसमें भी यह नीति योगी बाबा की है तो आग में घी स्वाभाविक रूप से पड़ ही गया। वहीं शासन-प्रशासन ने तो तय कर लिया है कि घाटी से आतंकवाद का सफाया साम-दाम-दंड और भेद सबसे करेंगे।

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