आप इन पर हंस सकते हैं, इनका अनुसरण कर सकते हैं, इनकी आलोचना भी कर सकते हैं, परंतु इन्हें अनदेखा तो कतई नहीं कर सकते हैं। अजय देवगन उन चंद बॉलीवुड अभिनेताओं में से हैं जो अपने व्यक्तित्व और अपने अभिनय, दोनों से ही चर्चा में बने रहते हैं। अजय देवगन ने वो कर दिखाया है जिसका सामर्थ्य किसी भी ‘हिन्दी सिनेमा’ एक्टर में न कभी था और न ही आगे शायद देखने को मिले।
बॉलीवुड का वर्चस्व अब समाप्ति की ओर
इन दिनों बहुभाषीय सिनेमा की चारों ओर धूम मची हुई है और बॉलीवुड का वर्चस्व अब समाप्ति की ओर दिखाई पड़ने लगा है। इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण अभी हाल ही में ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ (RRR) एवं ‘KGF– चैप्टर 2’ की अप्रत्याशित सफलता से देखने को मिली, जहां दोनों ने हिन्दी भाषी क्षेत्रों में भी बराबर रूप से लोकप्रियता कमाई और दोनों ने केवल अपने डब संस्करण से 250 करोड़ रुपये से भी अधिक की कमाई की है।
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इस बात से अति उत्साहित होकर चर्चित कन्नड़ अभिनेता किच्चा सुदीप ने यहां तक दावा ठोक दिया कि हिन्दी अब कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं रही। उनके अनुसार ‘अब बॉलीवुड पहले जैसा नहीं रहा और उसे सफलता के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही है’।
इसी बीच अजय देवगन ने इस विषय पर अपने विचार रखते हुए ट्वीट किया, लिखा- “किच्चा सुदीप मेरे भाई, आपके अनुसार अगर हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है तो आप अपनी मातृभाषा की फिल्मों को हिन्दी में डब करके क्यों रिलीज़ करते हैं? हिन्दी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और रहेगी। जन गण मन” –
.@KicchaSudeep मेरे भाई,
आपके अनुसार अगर हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है तो आप अपनी मातृभाषा की फ़िल्मों को हिंदी में डब करके क्यूँ रिलीज़ करते हैं?
हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और हमेशा रहेगी।
जन गण मन ।— Ajay Devgn (@ajaydevgn) April 27, 2022
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एक ट्वीट से मच गया बवाल
इस एक ट्वीट से बवाल मच गया और हिन्दी विरोधी लॉबी तो मानो अजय देवगन पर एक साथ टूट पड़ी। कई लोग अजय देवगन के विमल पान मसाला के साथ ‘संबंध’ पर उन्हें निशाने पर लेने लगे, वहीं कई लोग ऐसे भी थे जिनके लिए हिन्दी भाषा के लिए किसी भी प्रकार की प्रशंसा असहनीय थी। स्वयं सुदीप के ट्वीट से ऐसा प्रतीत होता है मानो उनके पास अजय देवगन के तर्क के लिए कोई ठोस उत्तर नहीं था।
लेकिन अजय देवगन के बयान से एक बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि उन्हें अपनी मातृभाषा के लिए पूरा सम्मान भी है और वे इसके लिए किसी भी स्तर तक जा सकते हैं। आजकल कई ऐसे अभिनेता भी हैं जो कहने को तो हिन्दी फिल्म उद्योग में काम करते हैं लेकिन अपने आप को हिन्दी भाषी कहलाने में भी शर्म महसूस करते हैं। उनके लिए ये कूल नहीं है, ये फैशनेबल नहीं है।
परंतु अजय देवगन ट्रेंड के अनुसार नहीं चलते। अपनी धुन के अनुसार चलने के लिए चर्चा में रहने वाले अजय देवगन ने हिन्दी बनाम अन्य भाषा पर चर्चा का द्वार खोलकर एक बार फिर सिद्ध किया है कि वे हिन्दी को कितना सम्मान देते हैं और अपने फिल्म उद्योग के उत्थान के लिए वे किस हद तक जा सकते हैं। अजय देवगन वह अभिनेता हैं जिन्हें न प्रयोग से समस्या हैं और न ही क्षेत्रीय सिनेमा के राष्ट्रीय सिनेमा में विकसित होने से कोई असहजता।
ऐसे में जिस प्रकार से वे हिन्दी के समर्थन में सामने आए हैं, वह अपने आप में इस बात का सूचक है कि अजय देवगन वास्तव में हिन्दी फिल्म उद्योग से कितने जुड़े हुए हैं। आप उनका चाहे जितना उपहास उड़ाये, परंतु उनकी प्रतिबद्धता और उनकी प्रतिभा पर संदेह नहीं कर सकते। अजय देवगन ने एक प्रकार से अपने ही फिल्म के एक डायलॉग को आत्मसात किया है, “मैं अपने काम करने का तरीका बदल रहा हूं, तेवर नहीं।”