चीन के BRI का अस्तित्व समाप्त होते ही भारत का TDC पैर पसारना आरंभ कर चुका है

चीन को डुबोने की पूरी तैयारी हो गई है!

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चीनी विकास और साझेदारी के मॉडल ने दुनिया के देशों को कर्ज के जाल में डूबा दिया। इस कर्ज जाल की परिधि एशियाई राष्ट्र श्रीलंका से लेकर अफ्रीकी राष्ट्र कोंगों तक पहुँच चुका है। इस कर्ज त्रासदी का आलम यह है कि चीन के सदाबहार दोस्त पाकिस्तान के नवनियुक्त प्रधानमंत्री ने सत्ता संभालते ही सबसे पहले सीपीईसी और ग्वादर परियोजना को रद्द कर दिया। एक ओर जहां चीन की चाल और कर्ज जाल के वजह से उसकी महत्वाकांक्षी CPEC अस्तित्व में आने से पहले ही दम तोड़ रही है, वहीं भारत जैसे भरोसेमंद देश के साथ पूरा वैश्विक समुदाय सहयोग करने को लालायित है। इसी कड़ी में भारत ने पूरे दुनिया के राष्ट्रों के सामने CPEC का सार्थक विकल्प रख दिया है, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भागीदारी का बेहतरीन उदाहरण बनेगा। विदेश मंत्रालय ने हाल ही में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ अन्य भौगोलिक क्षेत्रों में बड़े निवेश के समर्थन के लिए त्रिपक्षीय विकास निगम फंड (टीडीसी) नामक एक मंच लॉन्च किया है जिसमें राज्य के साथ निजी क्षेत्र भी शामिल होंगे।

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शिखर सम्मेलन में लॉन्च हुआ GIP

बीते शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने शिखर सम्मेलन में यूके के साथ भारत की ग्लोबल इनोवेशन पार्टनरशिप (GIP) लॉन्च की, जो नवाचार और विकास क्षेत्रों में भारत के साथ भागीदारी हेतु जापान, जर्मनी, फ्रांस और यूरोपीय संघ जैसे अन्य देशों के साथ त्रिपक्षीय परियोजनाओं पर टीडीसी फंड का उपयोग करने के लिए एक खाका प्रदान करेगी। जीआईपी में भारत के योगदान को टीडीसी फंड के जरिए चैनलाइज किया जाएगा। जीआईपी अफ्रीका, एशिया और इंडो-पैसिफिक में विकासशील देशों का चयन करने के लिए भारतीय उद्यमों द्वारा विकसित नवाचारों को बढ़ाने की कोशिश करेगा। इसके लिए सही बाजार की जानकारी, सही साझेदारों और लचीली फंडिंग तंत्र तक पहुंच होना महत्वपूर्ण है और जीआईपी भारतीय उद्यमों को अनुदान, तकनीकी सहायता, हैंड-होल्डिंग और विकास पूंजी निवेश के रूप में सहायता प्रदान करके इन बाधाओं को दूर करने में मदद करेगा।

भारतीय स्टार्टअप का अंतरराष्ट्रीयकरण

जीआईपी बाजार संचालित मॉडल को अपनाएगा और यह यूके के साथ समान भागीदारी होगी। दोनों पक्षों ने जीआईपी के विभिन्न घटकों को लागू करने के लिए 14 वर्षों में 75 मिलियन पाउंड का सह-वित्तपोषण करने पर सहमति व्यक्त की है। जीआईपी के दीर्घकालिक पूंजी निवेश घटक को वितरित करने के लिए एक नया जीआईपी फंड स्थापित किया जाएगा। फंड भारतीय नवाचारों का समर्थन करने के लिए बाजार से अतिरिक्त £100 मिलियन का भी लाभ उठाएगा। खबरों की मानें तो पीएम नरेंद्र मोदी ने बार-बार भारतीय स्टार्टअप के अंतरराष्ट्रीयकरण का समर्थन करने और भारतीय नवाचारों को वैश्विक बनाने का आह्वान किया है। मोदी सरकार के अनुसार जीआईपी इस अंतर को भरेगा और भारत के नवाचार पदचिह्न का विस्तार करेगा।

साथ ही दुनिया के देशों में विकास सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए विदेश मंत्रालय को अनुदान, एलओसी के पारंपरिक मार्गों से आगे बढ़ने, मिश्रित वित्तपोषण और पीपीपी मॉडल अपनाने की लंबे समय से आवश्यकता थी। जीआईपी इस क्षेत्र में यूके के अनुभव और विशेषज्ञता से सीखने और विकास पूंजी निवेश करने का अवसर देता है। जीआईपी से तीसरी दुनिया के देशों में 60 भारतीय नवाचारों के हस्तांतरण की सुविधा की उम्मीद है जो लगभग 5,000 लोगों की आजीविका में सुधार करेगा और 20 लाख लोगों को महत्वपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंचने में मदद करेगा। यह नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में कई हितधारकों को जोड़ने और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक ऑनलाइन ‘ई-बाजार’ मंच तैयार करेगा।

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भारत सरकार का यह कदम और ब्रिटेन द्वारा जताया गया भरोसा यह दर्शाता है कि दुनिया भारत को एक नायक के रूप में देखने लगी है जो न सिर्फ विश्व को हर संकट से निकालने का माद्दा रखता है, बल्कि उसे विकास के पथ पर भी अग्रसर कर सकता है। सरकार का यह कदम अत्यंत साहसिक और सराहनीय है इसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम है।

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