प्रिय अशोक गहलोत, अरविन्द केजरीवाल की नकल कर आप चुनाव में विजयी नहीं होंगे

कांड राजस्थान में हो रहा है और दोषी प्रधानमंत्री?

अशोक गहलोत

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प्रिय अशोक गहलोत, अरविन्द केजरीवाल की नकल कर आप चुनाव में विजयी नहीं होंगे

किसी ने सत्य कहा है, नकल करने के लिए भी अकल होनी चाहिए, परंतु ये बात अशोक गहलोत जैसों को कहाँ समझ में आनी है। कई महीनों छोड़िए, पिछले कई वर्षों, से अपने कुशासन के पीछे उनका राज्य राजस्थान विवादों के घेरे में रहा है, परंतु इन्हे बाल बराबर भी फरक नहीं पड़ता। अब करौली में जब हिन्दू विरोधी हिंसा और आगजनी हुई, तो इनके अनुसार इसके लिए वे नहीं, नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं।

जी हाँ, ये हम नहीं कह रहे हैं, अपितु अशोक गहलोत ने स्वयं कहा है। महोदय के अनुसार, “राजस्थान में जो भी सांप्रदायिक हिंसा हुई है, उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री को इसकी निन्दा करनी चाहिए। ये उनकी जिम्मेदारी है कि देश में कानून व्यवस्था दुरुस्त रहे” –

इसी को कहते हैं, चित भी मेरी और पट भी मेरी। बता दें कि करौली में सनातन नववर्ष में जब एक एक मोटरसाइकिल रैली मुस्लिम बहुल इलाके से गुजर रही थी। हिंसा शनिवार को मोटरसाइकिल रैली में पथराव के बाद हुई। इसी क्रम में एक और घटना ने राजस्थान के करौली को सुर्खियां में ला दिया है, जहां पर हिन्दू की रैली पर हमला होने के बाद बवाल मच गया है।

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TFI पोस्ट के एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के अंश अनुसार,

“इस मामले को लेकर कांग्रेस पार्षद मतलूम अहमद की पहचान कथित रूप से हिंसा भड़काने वाले व्यक्ति के रूप में की गई है। मतलूम अहमद पर आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। उस पर पथराव, हिंसा भड़काने और रैली पर हमला करने के लिए भीड़ को संगठित करने का आरोप है। इस मामले में वह फरार है, लेकिन एक विभागीय टीम उसकी तलाश में जुटी हुई है”।

ऐसे में अशोक गहलोत जिस तरह से अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़कर इस घटना का दोष भी पीएम नरेंद्र मोदी पर मढ़ने का प्रयास कर रहे हैं, उससे स्पष्ट होता है कि किस तरह अरविन्द केजरीवाल की नकल करने में जुटे हुए हैं।

परंतु गहलोत बाबू, दो बातें तो स्पष्ट होनी चाहिए – एक तो आप राजस्थान जैसे महत्वपूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री हैं, और दूसरा यह कि किसी भी स्थान की सुरक्षा का दायित्व उक्त राज्य के प्रशासन का होता है। तो आप अरविन्द केजरीवाल की भांति ‘अधिकारों के हनन’ की आड़ में छुपकर किसे मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहे हैं?

अशोक गहलोत के इन्ही हरकतों के पीछे उनकी छवि रसातल में है, और कई लोग उनके प्रशासन की तुलना बंगाल के ममता प्रशासन से करने लगे हैं, जो हिंदुओं के लिए छोड़िए, किसी भी नागरिक के लिए नरक से भी बदतर है। सोशल मीडिया पर अनेकों लोगों ने उन्हे आड़े हाथों लिया। एक यूजर ने ट्वीट किया,

“प्रधानमंत्री अब राज्य के मुख्यमंत्री का काम इसलिए करें, क्योंकि विफल मुख्यमंत्री के बस का नहीं रहा?” –

@AndColorPocket नामक यूजर ने ट्वीट किया, “ये तोतला क्या मिर्च खाने को सीएम बना है?” –

इसी विषय पर TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने भी कांग्रेस के राजनीतिक इतिहास पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया,

“बैसाखनंदन गहलोत, न्याय व्यवस्था राज्याधीन होती है, केंद्र सरकार का नाम ले के जिहादियों का संरक्षण बंद करो नहीं तो कमलनाथ वाला हाल होगा” –

कांग्रेस के पास अब जनाधार के नाम पर केवल राजस्थान और छत्तीसगढ़ बचा है, क्योंकि महाराष्ट्र और तमिलनाडु में वे सरकार में मात्र कनिष्ठ सहयोगी हैं। यदि अब भी नहीं सुधरे, तो कांग्रेस का पत्ता राजस्थान से भी सदैव के लिए साफ हो जाएगा, जिसके लिए केवल एक व्यक्ति दोषी होंगे – अशोक गहलोत।

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