किसी ने सत्य कहा है, समय और लोग बदलते देर नहीं लगती। यही बात यूके पर भी लागू होती है। कुछ ही समय पूर्व रूस से तेल खरीदने के पीछे जो यूके भारत को तरह तरह के उलाहने दे रहा था और अमेरिका के आदेश पर उसे धमकाने में लगा हुआ था, वही यूके अपने एक महत्वपूर्ण Chagos द्वीप को बचाने हेतु आज भारत की ओर अब आशातीत नेत्रों से देख रहा है।
हाल ही में यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन दो दिवसीय यात्रा पर भारत आएंगे। वे 21 को भारत आएंगे एवं 22 अप्रैल को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्तालाप करेंगे। प्रारंभ में ये एक सद्भावना से परिपूर्ण यात्रा प्रतीत होती है, क्योंकि बोरिस जॉनसन की यात्रा कई वर्षों से लंबित थी। परंतु जो दिखता है, आवश्यक नहीं कि वास्तव में वही हो।
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यूके PM की भारत यात्रा
असल में यूके के प्रधानमंत्री के भारत यात्रा के पीछे मॉरीशस का कनेक्शन भी है। वो कैसे? असल में यूके रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक द्वीप को बचाने में लगे हुए हैं, जिसके लिए उन्हे भारत की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी। अभी कुछ ही दिन पूर्व मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण जगन्नाथ 17 अप्रैल को 8 दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे। अब ये संयोग तो नहीं हो सकता कि कुछ ही दिन बाद बोरिस जॉनसन भारत यात्रा। असल में मूल विषय है Chagos द्वीप पर अंग्रेज़ों का नियंत्रण, जिसे वह किसी भी स्थिति में खोना नहीं चाहती।
परंतु यह Chagos द्वीप का मुद्दा है किस बारे में? यह यूके के औपनिवेशिक मानसिकता का एक प्रत्यक्ष प्रमाण समान है। मॉरीशस ने 1968 में स्वतंत्रता प्राप्त की थी। परंतु लाख विरोध के बाद भी Chagos द्वीप समूह ब्रिटिश शासन के नियंत्रण में रहा था। इसके पीछे काफी लंबी खींचतान हुई थी, जिसमें आखिरकार 2019 में मॉरीशस की विजय हुई, जब अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय यानि आईसीजे ने ब्रिटेन के विरुद्ध निर्णय देते हुए बताया कि कैसे Chagos द्वीप समूह पर उनका नियंत्रण अवैध रहा है।
लेकिन बात केवल इतने पर नहीं रुकती। Chagos द्वीप समूह में ही ब्रिटिश शासन का एक महत्वपूर्ण सैन्य बेस स्थित है, Diego Garcia, जो अब मॉरीशस के आक्रामक रुख के कारण खतरे में है। 1968 से 1973 के बीच इस द्वीप के स्थानीय निवासियों को हटा दिया गया था और मॉरीशस डिपोर्ट किया गया था, परंतु मॉरीशस ने सदैव Diego Garcia को अपना हिस्सा माना है, और उस पर अपना दावा ठोंका है।
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भारत की भूमिका
तो इसमें भारत की क्या भूमिका है? मॉरीशस रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सांस्कृतिक रूप से भी मॉरीशस के साथ भारत का बहुत गहरा नाता है, और ऐसे में भारत का मॉरीशस पर प्रभाव न पड़े, ऐसा हो ही नहीं सकता। वैसे भी मॉरीशस की अधिकांश आबादी भारतीय मूल की है। इसके अतिरिक्त आर्थिक रूप से भी समय समय पर भारत मॉरीशस की सहायता करता आया है, और मॉरीशस सहृदय इस बात को स्वीकारता और मानता भी आया है।
ऐसे में यूके चाहता है कि भारत अपने इसी प्रभाव से भारतीय महासागर में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को चीन से टक्कर लेने हेतु महत्वपूर्ण माने, और Diego Garcia के लिए मॉरीशस से बातचीत का मार्ग खोले। जो यूके कल तक भारत को आँखें दिखाता था, और अपने औपनिवेशिक इतिहास का घमंड दिखाने से नहीं हिचकता था, अब वही भारत के समक्ष याचना भरी नेत्रों से देख रहा है।
अब भारत यूके की सहायता करेगा या फिर अपने आत्मनिर्भरता के आदर्शों पर अडिग रहेगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा, परंतु इतना तो स्पष्ट है कि यूके को भी अपने द्वीप बचाने के लिए भारत की ओर आस लगानी पड़ रही है, जिसके लिए स्वयं यूके के प्रधानमंत्री को भारत यात्रा करनी पड़ रही है।
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