भारत के RuPay पर भरोसा जताकर नेपाल ने चीन को दूध में पड़ी मक्खी के समान बाहर निकाल फेंका है

नेपाल के पास भारत ही है एकमात्र विकल्प!

PM Modi

Source- TFI

एक कहावत है कि सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। नेपाल के संदर्भ में यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। ओली के नेतृत्व में नेपाल चीन के गोद में जा बैठा था। परंतु, अब शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व और पीएम मोदी के कूटनीतिक प्रयासों की वजह से नेपाल पुन: भारत से जुड़ रहा है। धीरे-धीरे आखिरकार नेपाल को भी समझ आ गया है कि चीन से संबंध और भारत से बैर उसके राष्ट्रहित में नहीं है। शायद इसीलिए व्यापार, सुरक्षा, कूटनीति, विदेशनीति और अब आर्थिक तकनीक तथा लेन-देन के माध्यमों में वह फिर से भारत पर भरोसा जता रहा है। इसी का एक उदाहरण नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की तीन दिवसीय भारत दौरे पर देखने को मिला।

दरअसल, जुलाई 2021 में नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद देउबा के तीन दिवसीय भारत यात्रा पर भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने संयुक्त रूप नेपाल में RuPay कार्ड लॉन्च किया। दो प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से नेपाल में भारत के RuPay कार्ड का शुभारंभ किया। चलिए, सबसे पहले आपको RuPay कार्ड के बारे में समझाते हैं। RuPay कार्ड भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम का एक डिजिटल भुगतान उत्पाद है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय BFI द्वारा एक साथ प्रचारित किया जाता है। NPCI (एनपीसीआई) ने व्यापारियों और उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए न्यूनतम लेनदेन शुल्क के साथ भुगतान को एकीकृत करने के दृष्टिकोण से 2012 में RuPay कार्ड लॉन्च किया था। RuPay कार्डधारक ATM से निकासी, ऑनलाइन लेनदेन और कार्ड से भुगतान के लिए सेवा का उपयोग कर सकते हैं। नवंबर 2020 तक भारत में 1,158 बैंकों द्वारा 600 मिलियन से अधिक RuPay कार्ड लॉन्च किए जा चुके हैं, इनमें अधिकतर डेबिट कार्ड थे।

और पढ़ें: 2017 में 15 फीसदी से 2022 तक डेबिट कार्ड बाजार में 60 फीसदी हिस्सेदारी, यह है RuPay के उत्थान की असली कहानी

RuPay कार्ड की स्वीकार्यता में हुई है उल्लेखनीय वृद्धि

भारत सरकार ने व्यापक रूप से RuPay कार्ड्स को बढ़ावा दिया, ताकि मौजूदा कार्ड कंपनियों जैसे वीज़ा, मास्टरकार्ड आदि को चुनौती दी जा सके। इसकी कम फीस और RBI सहित सरकार से पूर्ण समर्थन से इसके ग्राहकों की संख्या में वृद्धि हुई। इसकी बढ़ोत्तरी के पीछे प्रमुख कारण यह था कि 2017 से जारी किए गए कार्डों में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) के तहत खोले गए बैंक खाते भारी मात्रा में थे। वीज़ा और मास्टरकार्ड ज्यादातर उच्च-मूल्य के लेनदेन करते हैं जबकि RuPay कार्ड अधिक खुदरा भुगतानों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो अपने सामाजिक-कल्याण उद्देश्य के कारण भारत के उपनगरों में अधिक लोकप्रिय है।

RBI की रिपोर्ट में RuPay कार्ड की स्वीकार्यता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। RuPay कार्ड भारत सरकार द्वारा प्रचारित एक उत्पाद है, इसने Netflix, Paypal, Google, Youtube, आदि के सब्सक्रिप्शन के लिए भुगतान का समर्थन नहीं किया है। RBI ने इस सुविधा को समाप्त कर दिया क्योंकि उन्होंने यह महसूस किया कि प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग अनियमित ऑपरेटरों द्वारा अपने नेटवर्क का विस्तार करने के लिए किया जा सकता है। पेटीएम, फोनपे आदि जैसी भुगतान प्रणालियाँ इस भुगतान का समर्थन करती हैं।

नेपाल में RuPay कार्ड क्यों पेश किया जा रहा है?

नेपाल, भूटान, सिंगापुर और यूएई के बाद RuPay लॉन्च करने वाला चौथा देश है। हाल ही में, यह भारत और नेपाल के बीच सीमा पार से भुगतान के लिए UPI प्रणाली को स्वीकार करने वाला पहला देश भी बन गया है। नेपाल में RuPay कार्ड के कार्यान्वयन से भारत के आगंतुक और पर्यटक पूरे नेपाल में एटीएम और पॉइंट ऑफ़ सेल (PoS) टर्मिनलों तक पहुँच सकेंगे। दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से नेपाल में RuPay कार्ड लॉन्च किया, जिसमें रेलवे, वित्त और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के लिए एक चार-समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जबकि कई क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाया गया।  इसके अलावा, उन्होंने भारत और नेपाल के बीच एकमात्र सीमा पार रेलवे लिंक का उद्घाटन भी किया। इस घोषणा को लेकर भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, ‘’नेपाल में RuPay की शुरुआत दोनों देशों के बीच वित्तीय संबंधों को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।’’

इसी तरह, भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘’नेपाल में RuPay कार्ड की शुरुआत से हमारी वित्तीय कनेक्टिविटी में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। नेपाल पुलिस अकादमी, नेपालगंज में एकीकृत चेक पोस्ट, रामायण सर्किट आदि जैसी अन्य परियोजनाएं भी दोनों देशों को करीब लाएँगी।“ पीएम शेर बहादुर देउबा ने कहा, ‘’नेपाल के भारत के साथ संबंध बेहद अहम हैं।’’

बताते चलें कि भारत के साथ इस हिमालयी राष्ट्र के संबंध उसी के पक्ष में हैं। आज के भू-राजनीतिक परिवेश में हमने देख लिया है कि चीन दोस्त नहीं, बल्कि उपनिवेश बनाता है। मदद के नाम पर वह दूसरे राष्ट्रों को मित्र नहीं बल्कि अपना दास बना कर अपनी राष्ट्रीय हित को साधता है। अतः नेपाल के लिए उचित यही है कि वह भारत के साथ अपने पुराने और पारंपरिक रिश्तो को फिर से उभारे और दोनों देश मित्रता तथा सौभाग्य का एक नया अध्याय लिखें। नेपाली रुपए कार्ड का लंच किए जाना इसी दिशा में एक मजबूत कदम सिद्ध होगा।

और पढ़ें: RuPay की हालत पतली थी, MasterCard और Visa की दिवाली थी, फिर आए नरेंद्र मोदी

Exit mobile version