अगर नए स्टार्टअप में आपकी नौकरी लगी है तो बधाई हो, आपकी लंका लगने वाली है। न आपसे पूछा जाएगा, न आपको कोई विशेष सुविधा दी जाएगी बस जिस दिन स्वामी का मन किया, आपका नौकरी से कनेक्शन कट। कई नए स्टार्टअप मनमाने ढंग से लोगों को नौकरी से निकालने में जुटे हुए हैं और इस क्षेत्र में कुछ कंपनियों ने इस कुत्सित प्रवृत्ति को कुछ अलग ही स्तर पर आगे ले जाने का दायित्व उठाया है।
स्टार्टअप उद्योग के स्याह पहलू को जानना होगा
हर चमकती चीज सोना नहीं होती। जिस प्रकार से स्टार्टअप उद्योग के चमकते दमकते संसार की ओर हम आकर्षित होते हैं, उसी भांति हम उसके स्याह पहलू से भी अधिक समय तक अनभिज्ञ नहीं रह सकते। जो स्टार्टअप पहले भर भर के लोगों को भर्ती करता था, अब वही उन्हें भगाने में तनिक भी संकोच नहीं करता, और उदाहरणत पिछले कुछ हफ्तों में 1700 से अधिक कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इनमें सबसे अग्रणी है शैक्षणिक स्टार्टअप Unacademy, जो BYJUs के बाद भारत का सबसे लोकप्रिय Edtech firm है, और इन्होंने ‘Cost Cutting Drive’ के नाम पर अब तक लगभग 1000 कर्मचारियों को बाहर निकाला है। Unacademy अनेकों कारणों से विवादों के घेरों में रहा है, लेकिन अतिरिक्त लाभ के कारण कर्मचारियों को भगाना अब उसकी सूची में शामिल हुआ है, और तो और इसे ‘Cost Restructuring’ का नाम और दिया गया है।
रोचक बात तो यह है कि 2021 में वित्तीय रूप से शैक्षणिक स्टार्टअप्स को काफी लाभ मिला है, जिन्हें कुल मिलाकर 4.7 बिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ है। यही नहीं, जितने लोगों को हटाया गया है, वह Unacademy के कुल वर्कफोर्स का 10 प्रतिशत था। परंतु आपको क्या प्रतीत होता है कि Unacademy इस खेल में अकेला है? बिल्कुल नहीं, ये तो मात्र प्रारंभ है। बेंगलुरू स्थित ई कॉमर्स कंपनी ‘Meesho’ भी इस गोरखधंधे में बराबर रूप से शामिल हैं।
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300 कर्मचारियों का पत्ता साफ
Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार, ‘Cash Burn’ यानि वित्तीय संसाधनों पर आंच न आने देने के परिप्रेक्ष्य से 150 कर्मचारियों को ग्रॉसरी [Grocery] विभाग से हटा दिया गया है। इसी भांति Trell नामक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ने 300 कर्मचारियों का पत्ता साफ किया है। इस कंपनी ने पिछले वर्ष यानि 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में 78.4 करोड़ की वित्तीय हानि दर्ज की है।
परंतु इतनी भारी संख्या में कर्मचारियों को भगाने के पीछे प्रमुख क्या है? ऐसा क्या है कि मनमाने ढंग से कर्मचारियों को जब मन चाहे नौकरियों से निकाल दिया जाता है। इन स्टार्टअप्स में निवेश करने वालों ने अब इस बात पर दबाव बढ़ाना प्रारंभ किया है कि ध्यान लाभ बढ़ाने पर हो, कर्मचारियों को बढ़ाने पर नहीं। वैसे भी, वर्तमान स्टार्टअप्स का दृष्टिकोण भी स्पष्ट है – कम से कम कर्मचारियों के साथ सर्वश्रेष्ठ परफ़ॉर्मेंस देना। अब यहां तो मतलब स्पष्ट है – बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया। इसके अतिरिक्त कई कंपनियां अब पब्लिक भी होना चाहती है, यानी अब निवेश के नए विकल्प खोलना चाहती है, चाहे इसके लिए नैतिकता से ही क्यों न समझौता करना पड़े।
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सच कहें तो स्टार्टअप्स द्वारा मनमाने ढंग से कर्मचारियों को भगाने के पीछे एक प्रमुख कारण है – इनके प्रणाली पर किसी प्रकार का कोई नियंत्रण न होना और न ही इनकी कर्मचारियों के प्रति जवाबदेही होना। यदि इसपर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई तो ये कुत्सित प्रवृत्ति एक महामारी में भी परिवर्तित हो सकती है, जो कर्मठ कर्मचारियों से उनके अधिकार की नौकरी कभी भी छीन सकती है।