ये चीन के रॉकेट हैं, कहीं भी फायर हो जाते हैं!

गजब का कर्मकांड है भैया!

चीन के रॉकेट

Source- TFI

यदि आपको लगता है कि पाकिस्तान से अनोखा देश इस संसार में कहीं नहीं, तो लगता है आपने चीन के दर्शन नहीं किये बंधु। कहने को ये विश्व के सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं और संसार के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है, परंतु आदतों और कर्मकांडों में ये पाकिस्तान को भी मीलों पीछे छोड़ सकता है भैया! इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे चीन के नए करतब ने न केवल उसे हंसी का पात्र बना दिया है, अपितु अब कई देशों को अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित होने पर विवश भी कर दिया है।

दरअसल, हाल ही में कुछ दिन पूर्व आपने पश्चिमी भारत में ‘उल्कापिंड’ के देखे जाने की खबरों को सुना ही होगा। इसे लेकर अटकलें लगने लगीं कि क्या ये उल्कापिंडों की बारिश (Meteor shower) है या गिरता सैटेलाइट या फिर कुछ और। लोगों ने इस खगोलीय नजारे को अपने कैमरे में कैद कर लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। देखते ही देखते सोशल मीडिया पर ये वायरल हो गया। उसके बाद कुछ खगोल विज्ञानियों ने कहा कि ये उल्कापिंड नहीं, सैटेलाइट के अंश हो सकते हैं, जो धरती के वातावरण में प्रवेश करते समय जल रहे थे। इस बारे में सोशल मीडिया पर भी जमकर प्रतिक्रिया देखने को मिली। लेकिन धीरे-धीरे वास्तविकता भी सामने आने लगी और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने, तो यह कोई उल्कापिंड नहीं था, अपितु एक चीन के रॉकेट के अवशेष थे –

जी हाँ, आप भी सोच रहे होंगे ये कैसे संभव है। इसके पीछे द प्रिन्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि “पिछले वर्ष चीन के एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट TJSW-6 को एक रॉकेट पर लॉन्च किया गया, जिसके अवशेष एक एक कर नष्ट किये जा रहे थे। हालांकि, उनमें से एक अवशेष पूरी तरह नष्ट नहीं हो पाया और उसके कुछ अवशेष आकर सीधा भारत के महाराष्ट्र प्रांत में गिरे। इसीलिए गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से उस जलते हुए अवशेष का दृश्य देखने को मिला था।” सोशल मीडिया पर भी कुछ फोटो वायरल हो रही है, जिन्हें कथित तौर पर उस रॉकेट के अवशेष के रूप में बताया जा रहा है –

अब यदि यह बात शत प्रतिशत सत्य है, तो चीन पर अनायास ही ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का वो प्रसिद्ध संवाद लागू होता है कि इनके शस्त्र तो ऐसे हैं “मारते हैं कसाई मोहल्ला, जाता है कलकत्ता!” द प्रिन्ट के रिपोर्ट में ही चीन द्वारा स्पेस के कचरे को हैंडल करने में आनाकानी को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रश्न भी उठाए गए हैं। वहीं, ये बात भी सर्वविदित है कि जब बात जिम्मेदारी की हो या चाहे किसी भी कार्य की, तो चीन अधिकतर उससे कोसों दूर ही रहता है, जब तक उसमें उसे अपना कोई लाभ न दिखे।

यदि ये बात सत्य है कि जो गिरा, वो शत प्रतिशत चीन के रॉकेट का अवशेष ही था, तो यह भी सिद्ध हो जाएगा कि चीन तो फिसड्डी होने की श्रेणी में अब पाकिस्तान को टक्कर देने लगा है। गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद से ही अनेकों बार चीन ने अपने बाहुबल के ज़ोर पर भारत को धमकाने का प्रयास किया है, और ये जताने का प्रयास किया है कि वह कितना शक्तिशाली है। लेकिन भारत को इस गीदड़ भभकी से तनिक भी अंतर नहीं पड़ा, उलटे चीन को हास्य का पात्र बनना पड़ा है।

अब ऐसे में इस अनोखी घटना ने जहां कई लोगों का मनोरंजन किया, तो वहीं चीन की सुरक्षा और उसके रक्षात्मक क्षमता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। लेकिन सक्रिय रूप से 1979 के बाद से उसने तो कोई युद्ध भी नहीं लड़ा है और उनके सैनिकों के युद्ध कौशल पर हम जितनी कम चर्चा करें, उतना ही अच्छा। रही बात आयुध और शस्त्रों, तो किसी ने बड़ी सही बात कही थी कि ‘चाइना का माल ज्यादा टिकता नहीं!’

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