कॉमनवेल्थ से पीछा छुड़ाने में ही है भारत का हित!

कॉमनवेल्थ भारत के लिए सम्मान से अधिक अपमान!

एक प्रश्न तो अब भी उठता है कि भारत कॉमनवेल्थ का भाग क्यों है? कॉमनवेल्थ उन 54 सदस्य देशों का समूह है, जो कभी न कभी यूके के दास रहे हैं। ये

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2026 के कॉमनवेल्थ खेल को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है, जिससे अनेकों भारतीय क्रोध से तमतमा रहे हैं। असल में 2026 के कॉमनवेल्थ खेल विक्टोरिया प्रांत में होंगे, जिसमें निशानेबाज़ी, तीरंदाज़ी और कुश्ती इस खेल का भाग नहीं होंगे। इन खेलों ने भारत को भर भर कर मेडल दिए हैं और इनके हटाए जाने से लोगों को एक षड्यन्त्र की बू आ रही है।

भारतीय प्रशंसक क्रोधित हैं

कॉमनवेल्थ भारत के लिए सम्मान से अधिक अपमान है और इससे पीछा छुड़ाने में ही भारत का हित है। 2022 के प्रस्तावित बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के पश्चात 2026 में विक्टोरिया प्रांत में राष्ट्रमंडल खेल आयोजित किये जाएंगे। इससे पूर्व 2006 में भी विक्टोरिया प्रांत के मेलबर्न शहर में आयोजित हुआ था। परंतु जिस प्रकार से भारत के हित के विरुद्ध जाकर कुछ खेलों को हटाया जा रहा है, उससे काफी भारतीय प्रशंसक क्रोधित हुए हैं।

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आधिकारिक तौर पर भारतीय ओलंपिक महासंघ ने यूके में स्थित कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन को पत्र लिखते हुए अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा है। IOA के महासचिव राजीव मेहता द्वारा लिखे पत्र के अनुसार, “हमें ज्ञात हुआ है कि 2026 खेलों के आयोजकों ने 16 खेल चयनित किये हैं, परंतु निशानेबाजी, कुश्ती और तीरंदाज़ी को सूची से ही हटा दिया गया है। ये निस्संदेह हमारे लिए काफी हैरत भरा निर्णय है कि इन लोकप्रिय खेलों को CGF द्वारा नकार दिया गया है”।

उन्होंने आगे लिखा, “भारतीय राष्ट्रमंडल खेल एसोसिएशन मांग करता है कि इन खेलों को हटाने के विषय पर पुनर्विचार किया जाए और इन्हें 2026 के कार्यक्रम में समाहित किया जाए। हम चाहते हैं कि इस बात को CGF की अगली आम सभा में भी सम्मिलित किया जाए ताकि इस पर चर्चा हो सके।”

केवल राजीव मेहता ही नहीं, परंतु अनुराग ठाकुर ने भी IOA से इस विषय पर जवाब तलब किया है और साथ ही इस निर्णय के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तियों की जानकारी भी मांगी है।

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भारत कॉमनवेल्थ का भाग क्यों रहे?

परंतु बात केवल वहीं तक सीमित नहीं है। एक प्रश्न तो अब भी उठता है कि भारत कॉमनवेल्थ का भाग क्यों है? कॉमनवेल्थ उन 54 सदस्य देशों का समूह है, जो कभी न कभी यूके के दास रहे हैं। ये EU, ASEAN के आधार पर सामाजिक समरसता, सद्भावना की बात करते हैं और मानवाधिकार के दावे ठोंकते हैं, लेकिन वास्तविकता में इनका औचित्य NAM यानी Non Aligned Movement समान है – निल बट्टे सन्नाटा।

परंतु ऐसे अयोग्य, अनुचित संगठन से भारत वर्षों से जुड़ा हुआ है, ये जानते हुए भी कि कॉमनवेल्थ ने अनेकों बार भारत के हितों के विरुद्ध निर्णय लिया है। 2022 के बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में ही निशानेबाजी को अंतिम समय पर खेलों की स्पर्धा से ही बाहर कर दिया गया था, और वैक्सीन पर यूके की नौटंकी के चलते भारत को एक समय हॉकी की दोनों स्पर्धाओं से हटने का भी निर्णय लेना पड़ा था –

अनेकों बातचीत के बाद भारत ने आखिरकार अपनी टीम भेजने का निर्णय लिया, परंतु यहाँ भी अपना दमखम दिखाते हुए भारत ने अपनी दोयम दर्जे की टीम भेजने का निर्णय किया है। वैसे भी, जिस टीम ने कभी 8 ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते हों, और हाल ही 41 वर्ष बाद ओलंपिक पदक का सूखा खत्म कर ओलंपिक हॉकी में कांस्य पदक प्राप्त किया हो, वह कॉमनवेल्थ खेलों में अपना समय क्यों व्यर्थ गंवाए?

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अब अगर इस विवाद पर सरकार ने कोई त्वरित एक्शन नहीं किया, तो इससे भारत की छवि पर प्रश्न उठ सकता है। भारत कूटनीतिक रूप से काफी मजबूत हो रहा है, और ऐसे में कॉमनवेल्थ जैसे अयोग्य संस्थान में बने रहना और फालतू का अपमान सहना हमारे जैसे देश के लिए उचित नहीं है।

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