भारत के उदारवादी और अलकायदा के प्रमुख अल जवाहिरी हिजाब के मुद्दे पर एक समान राय रखते हैं। जिस प्रकार भारत के उदारवादियों ने कर्नाटक हिजाब विवाद के समय मुस्कान खान नाम की लड़की की तारीफ की थी उसी प्रकार अल जवाहिरी ने मुस्कान खान की तारीफ़ में कविता लिखी है।
यह आश्चर्यजनक नहीं लगना चाहिए कि भारत के कट्टरपंथी मुसलमानों की करतूतों को विश्व के सबसे कुख्यात आतंकी संगठनों में से एक अलक़ायदा के प्रमुख द्वारा सराहा जा रहा है। वस्तुतः भारत के कट्टरपंथी मुसलमान, भारत के उदारवादी और वामपंथी समूह तथा विश्व के कुख्यात आतंकी संगठन कई मुद्दों पर एक समान राय रखते हैं, मुस्कान खान उनमें एक है।
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एक मुस्लिम लड़की का वीडियो हुआ था वायरल
आपको याद होगा कर्नाटक विवाद के समय एक मुस्लिम लड़की (मुस्कान खान) का वीडियो वायरल हुआ था जो हिंदू लड़कों के सामने अल्लाह हू अकबर का नारा लगाते हुए भाग रही थी। इस लड़की को साहस की प्रतिमूर्ति बताकर वामपंथी समूह द्वारा इसकी अत्यधिक प्रशंसा की गई थी। प्रायः देखा गया है खतरनाक आतंकियों द्वारा ऐसे शब्द का प्रयोग करके मासूमों पर हमला किया जाता है। खैर, यह लड़की वामपंथियों और उदारवादियों द्वारा खूब सराही जाने लगी। उसका गुणगान अलकायदा प्रमुख अल जवाहिरी तक पहुंचा तो उसने भी इस लड़की के लिए कविता लिख दी।
आतंकी जब ‛कवि हृदय’ हुआ तो कुछ नहीं मुस्कान खान को अपनी बहन बोल दिया। कविता का शीर्षक भारत की कुलीन ‛महिला द नोबलवीमेन ऑफ इंडिया’ है। इस वीडियो को अल-कायदा की आधिकारिक मीडिया विंग अस-साहब मीडिया द्वारा जारी किया गया था। हालांकि यह वीडियो सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं बढ़ा सकता है क्योंकि इस वीडियो से यह भी पता चलता है कि अलकायदा भारत में होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। लेकिन असली समस्या अलकायदा नहीं बल्कि भारत के वामपंथी हैं जो लगातार भारतीय मुसलमानों को उनकी अलग पहचान का ध्यान कराते रहते हैं।
हिजाब, हलाल मीट, अजान के समय बजने वाले लाउडस्पीकर, मुस्लिम पर्सनल लॉ यह सभी अवयव मुसलमानों को कभी भारत की मुख्यधारा का हिस्सा नहीं बनने देंगे। पहचान एक मनोवैज्ञानिक अवधारणा है। संस्कृति भी एक अस्तित्व से जुड़ी होती है किंतु भारत में सांस्कृतिक एकता में इस्लामिक कट्टरपंथी एक बड़ी बाधा है और वामपंथी तथा उदारवादी समूह द्वारा इस्लामिक कट्टरपंथ को लगातार पोषित किया जाता है।
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लगातार हो रही है मुस्कान खान की तारीफ
मुस्कान खान की तारीफ अकेले अल जवाहिरी ने नहीं किया था। बल्कि तालिबान ने भी इसकी प्रशंसा की थी। इस्लाम का कट्टरपंथी स्वरूप आतंकवाद का सबसे बड़ा कारण है। तालिबान का कहना था ‛हिजाब के लिए भारतीय मुस्लिम लड़कियों के संघर्ष से पता चलता है कि हिजाब एक अरब, ईरानी, मिस्र या पाकिस्तानी संस्कृति नहीं है, बल्कि एक इस्लामी मूल्य है जिसके लिए दुनिया भर में मुस्लिम लड़कियां विभिन्न तरीकों से बलिदान करती हैं और अपने धार्मिक मूल्य की रक्षा करती हैं।’ तालिबान ने अपने बयान में यह भी कहा था कि इस्लामिक कानून किसी राष्ट्रीय संस्कृति अथवा पहचान से श्रेष्ठ होते हैं। इस्लामिक पहचान के नाम पर तालिबान से लेकर अलकायदा तक, दुनिया के सबसे खतरनाक इस्लामिक आतंकी संगठन भारत के कट्टरपंथियों के पक्ष में खड़े दिखते हैं।
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दूसरी तरफ दुर्भाग्य यह है कि भारत का लिबरल समुदाय भारतीय मुसलमानों में हर उस पहचान को उनके जड़ों तक में उतार देना चाहता है जो उन्हें इस कट्टरपंथी मानसिकता से जोड़ती है। इस्लाम के नाम पर महिलाओं को बुरके में बंद करना, हलाला जैसी प्रथाएं चलाना, विवाह के सामान्य नियमों से इतर अपने नियम चलाना, यह सभी मुसलमानों के अलग पहचान तो दिखाता है।