देश में चुनाव जीतने के समय में नेताओं द्वारा कई तरह के वादे किए जाते हैं पर चुनाव जीतते ही वो सारे वादे भूल जाते हैं। हिन्दुओं के लिए प्रमुखता से आवाज़ उठाने वाली पार्टी भाजपा के कुछ नेता भी सेक्युलर होने का ढिंढोरा पीटने लगे हैं। ये गौर करने वाली बात हो जाती है कि भाजपा को देश में कुछ भी गलत होने की गुंजाइश पर उदारवादियों, वामपंथियों और विपक्षी दलों के दोषों को कुरेदने के बजाए अपने करतव्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यहां तक कि किसी भी आरोपी या जिम्मेदार पर कार्रवाई करने में भी संकोच नहीं करना चाहिए।
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स्थितियां ऐसी हैं कि उठने लगे हैं कई प्रश्न
देश के कुछ इस्लामवादी समूह हिंदुओं और उनके त्योहारों पर हमला कर देते हैं वो भी पूरी योजना के तहत। ऐसे हमले जो कि योजनाबद्ध रूप से किए जाते हों पूरे भारत में देखे जा सकते हैं। चाहे राजस्थान हो, पश्चिम बंगाल हो, झारखंड हो, मध्य प्रदेश हो, उत्तराखंड हो या हाल ही में, दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुआ दंगा। अब प्रश्न ये उठता है कि ऐसी स्थितियां पैदा न हो इसके लिए भाजपा क्या कर रही है? विशेषकर दिल्ली जहां कि कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र की भाजपा सरकार के पास है।
प्रश्न ये भी है कि किस तंत्र पर काम कर रही है भाजपा, कि दिल्ली जैसी जगह पर हनुमान जयंती जैसे हिंदू त्योहार पर ही हिंसक घटनाएं हो जाती हैं। वो कैसा तंत्र है जो इस्लामवादियों को रोक नहीं पा रहा ऐसी घटनाओं को अंजाम देने से? वहीं ऐसे तीखे प्रश्नों के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस तरह दिखाने का प्रयास कर रहे हैं जैसे सबकुछ नियंत्रण में है। लगे हाथ उन्होंने राष्ट्र के नाम एक पत्र भी लिख दिया है।
इस पत्र में जेपी नड्डा ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। भाजपा अध्यक्ष ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में, हमने इन दलों को एक बार फिर एक साथ आते देखा है जिसमें वो हमारे देश और हमारे मेहनती नागरिकों पर आरोप लगाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के युवा अवसर चाहते हैं, बाधा नहीं, वे विकास चाहते हैं, विभाजन नहीं। राजस्थान के करौली में सांप्रदायिक हिंसा की बात करते हुए, नड्डा ने एक बार फिर कांग्रेस के शासन के दौरान सांप्रदायिक शत्रुता के बड़े पैमाने पर प्रसार पर जोर दिया।
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विपक्ष भी एकजुट होने का कर रहा है असफल प्रयास
दरअसल हुआ ये है कि विपक्ष भी एकजुट होने का असफल प्रयास कर रहा हैं वो बात और है कि इनसे कुछ होने वाला नहीं। हाल ही में, 13 विपक्षी दल एक साथ आए, और उनके नेताओं ने भारत में “सांप्रदायिक सद्भाव” के लिए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए। एक संयुक्त बयान में, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, NCP प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु और झारखंड के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और हेमंत सोरेन सहित नेताओं ने संबंधित मुद्दों पर चिंता जताई।
यहां विपक्षियों पर निशाना साधने और प्रतिक्रिया देने की बात तो हजम हो जाती है लेकिन नड्डा जी से प्रश्न यही है कि कब तक आप विपक्षियों को दोष देकर खुद और अपनी पार्टी को जवाबदेही से बचाते रहेंगे। आज, इस्लामवादी पूरे भारत में स्वतंत्र रूप से उधम मचा रहे हैं। ऐसे में कई और प्रश्न उठाने जरूरी हैं जैसे कि क्या मोदी सरकार ने अभी तक सीएए के नियमों को अधिसूचित किया है? क्या देश भर में एनआरसी लागू कर दिया गया है? समान नागरिक संहिता के बारे में भाजपा क्या सोच रही है? इस्लामवादियों द्वारा भारत पर जनसांख्यिकीय युद्ध का मुकाबला करने के बारे में क्या? जबरन धर्मांतरण के बारे में क्या? देश में जमीनी स्तर पर बढ़ते कट्टरपंथ के बारे में क्या?
यह सबको पता है कि जेपी नड्डा इस समय सबसे शक्तिशाली भारतीयों में से एक हैं। कई मायनों में वह खुद प्रधानमंत्री के बाद सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं। सैद्धांतिक रूप से कहें तो भाजपा उनके आस-पास घूमती है, और यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी भाजपा का सदस्य होने के नाते, पार्टी अध्यक्ष की बातों पर ध्यान देना चाहिए। इसलिए, निर्णायक रूप से कार्य करना जेपी नड्डा पर निर्भर है। उन्हें भाजपा की रणनीति में कुछ नया करना होगा।
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नड्डा जी को अपना राजधर्म याद रखना चाहिए
नड्डा जी को यह महसूस करना चाहिए कि अतीत की त्रासदियों के बारे में रोने के लिए भाजपा को जनता ने वोट नहीं दिया था। यह सुनिश्चित करने के लिए सत्ता में लाया गया था कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। हालांकि, अगर हिंदू त्योहारों को स्वतंत्र रूप से नहीं मनाया जा सकता है तो हम सरकार में भाजपा के प्रदर्शन को कैसे आंकेंगे?
दिल्ली पुलिस पर गृह मंत्रालय का नियंत्रण है। अमित शाह केंद्रीय गृह मंत्री हैं। फिर भी, यह बताया गया कि दिल्ली पुलिस ने हनुमान जयंती पर कट्टरपंथी हमले के तहत शोभा यात्रा को आयोजित करने के लिए “अनुमति” नहीं लेने के लिए हिंदुओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। हालंकि जल्द ही, मीडिया ने कहा कि हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई की ऐसी खबरें सच नहीं थीं जिससे यह साफ़ पता चलता है कि भाजपा द्वारा डैमेज कंट्रोल का एक स्पष्ट प्रयास है।
सवाल यह है कि जेपी नड्डा कब अपना राजधर्म अपनाएंगे? उन्हें पार्टी और सरकार को इस्लामवादियों के साथ इस तरह से निपटने का निर्देश देने में कितना समय लगेगा, जो न केवल पूरे भारत में, बल्कि पूरे विश्व में एक शानदार संदेश भेजेगा? यह विचार करने का समय नहीं है नड्डा जी और ना ही विपक्षियों पर आरोप लगा कर बचने का समय है। आपने हिन्दुओं के वोट से देश का सत्ता पाया है तो नड्डा जी आप कार्रवाई करने के बारे में सोंचे ना की उबाऊ भाषण देने में अपना समय बर्बाद मत करिए यही हिन्दुओं को आपसे उम्मीद है।