नवाजुद्दीन, आप ही एकमात्र एक्टर नहीं हैं तो कृपया एक्टिंग करना बंद कीजिए

इनके दोहरे मापदंडों को पहचान चुकी है दुनिया!

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“आप हिंदी में फिल्म बना रहे हो, लेकिन डायरेक्टर भी, असिस्टेंट भी, सारे इंग्लिश में बात कर रहे हैं। जब सारे अंग्रेजी में बात करते हैं तो इससे आर्टिस्ट की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है। आधी बात समझ आती है और आधी नहीं समझ में आती है। साउथ इंडस्ट्री में सब अपनी भाषा में बात करते हैं, गर्व महसूस करते हैं। तमिल फिल्म बन रही है तो सभी लोग तमिल में बात करेंगे। कन्नड़ फिल्म बन रही है तो सभी लोग कन्नड़ में बात करेंगे… तो एक माहौल बन जाता है। सबको सबकी बातें समझ आती हैं। इससे माहौल बनता है और कुछ अच्छा ही क्रिएट होता है। तभी साउथ की फिल्में हिट होती है। हमारे यहां ऐसा नहीं होता है।”

ये शब्द हैं चर्चित अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के, जो बॉलीवुड के प्रतिदिन गिरते स्तर से काफी व्यथित दिखाई पड़ते हैं। लेकिन ये जो व्यक्ति है इन्होंने कभी ये भी कहा था कि “कौन हैं ये लोग? मैं उन्हीं की आलोचना सही मानता हूं जो मेरे स्टैंडर्ड के हैं। आज तो कोई भी आलोचना करने सामने आ जाता है? हां, पता है शो थोड़ा ऊबाऊ हो गया, परंतु जो लोग आलोचना कर रहे हैं, उन्हें क्या सिनेमा की समझ भी है? मैं तभी आलोचना सह सकता हूं जब आलोचक को सिनेमा पर मेरे बराबर या मुझसे ज़्यादा ज्ञान हो। मैं किसी ‘ऐरे गैरे नथु खैरे’ को नहीं सुनूंगा। अब आज किसी ने भी आलोचना की, तो वो समझ ले कि मैं एक ट्रेन्ड एक्टर हूँ। मैं किसी की आलोचना नहीं सह सकता”

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आइए इस लेख के द्वारा समझने का प्रयास करते हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी को और साथ ही यह भी जानेंगे कि कैसे वह अपने डूबते हुए करियर को बचाने के लिए अब बॉलीवुड को ‘आईना दिखाने’ का ढोंग करने लगे हैं। हाल ही में India Economic Conclave के एक विशेष सत्र में जनता को संबोधित करते हुए नवाजुद्दीन भारतीय फिल्म उद्योग में हो रहे बदलावों और बॉलीवुड के वर्तमान ‘पतन’ के विषय पर जनता से बातचीत कर रहे थे। बॉलीवुड को अनेक मोर्चों पर कथित तौर पर धोते हुए नवाजुद्दीन ने एलीट मानसिकता से ग्रसित और रूढ़िवादी होने का आरोप लगाया।

नवाजुद्दीन के अनुसार, “हमारे यहां हर कोई अपनी खीर बना रहा होता है और एक्टर चुपचाप खड़ा रहता है। जो अच्छा एक्टर है, थिएटर का एक्टर है, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा, क्योंकि वो अंग्रेजी नहीं जानता। वो इधर-उधर देखता है, उसी के किरदार के बारे में बात कर रहे होते हैं, लेकिन उसे ही समझ नहीं आता”। यह वही नवाजुद्दीन सिद्दीकी हैं, जो एक समय पर अपनी आलोचना तक सुनने को तैयार नहीं थे, क्योंकि अपने दृष्टि में वे एक ‘सुपरस्टार’ बन चुके थे।

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2019 में पिंकविला को दिये अपने साक्षात्कार में उन्होंने ‘सेक्रेड गेम्स’ के दूसरे सीजन के प्रति जनता की प्रतिक्रिया पर अपने विचार साझा किए। उनके अनुसारकौन हैं ये लोग? मैं उन्ही की आलोचना सही मानता हूँ जो मेरे स्टैंडर्ड के हैं। आज तो कोई भी आलोचना करने सामने आ जाता है? हाँ, पता है शो थोड़ा ऊबाऊ हो गया, परंतु जो लोग आलोचना कर रहे हैं, उन्हें क्या सिनेमा की समझ भी है? मैं तभी आलोचना सह सकता हूँ जब आलोचक को सिनेमा पर मेरे बराबर या मुझसे ज़्यादा ज्ञान हो। मैं किसी ‘ऐरे गैरे नथु खैरे’ को नहीं सुनूंगा। अब आज किसी ने भी आलोचना की, तो वो समझ ले कि मैं एक ट्रेन्ड एक्टर हूँ। मैं किसी की आलोचना नहीं सह सकता”।

वास्तविकता तो यह है कि नवाजुद्दीन एक बहुत ही उत्कृष्ट अभिनेता नहीं रहे हैं, लेकिन मीडिया ने निरंतर इनके बारे में हवा बनाए रखी। एक समय OTT के क्षेत्र पर इनका एकाधिकार था, परंतु धीरे धीरे वह वर्चस्व भी खत्म हो गया, और अन्य कलाकारों ने भी अपनी पहचान स्थापित करनी प्रारंभ कर दी। इसका एक प्रमाण नवाजुद्दीन के ही एक बयान में दिखा, जब इन्होंने बताया, अब ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म निरर्थक और अनुपयोगी शो के लिए कूड़ाघर समान है। या तो यहाँ पर वो शो आएंगे जिन्हे यहाँ होना ही नहीं चाहिए, नही तो उनके वो सीक्वेल आएंगे जिनका कोई सर पैर नहीं है!”

नवाज को डर है कि उनकी जगह ए-लिस्टर्स न ले

परंतु नवाजुद्दीन सिद्दीकी यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे बताया, “जब मैंने नेटफ्लिक्स पर सेक्रेड गेम्स किया था, तब एक उत्साह था, एक उमंग थी डिजिटल मीडियम पर। अब तो यह बड़े प्रोडक्शन हाउस के लिए धंधा बन गया है, और उन अभिनेताओं के लिए भी, जो अपने आप को इस मंच के कथित स्टार्स समझने लगे हैं! क्वान्टिटी ने फिर से क्वालिटी की हत्या की है। ये स्टार सिस्टम बड़े परदे को खा गया और आज ओटीटी पर हमारे पास कथित स्टार्स हैं जो बड़े बड़े फिल्मस्टार्स की भांति ताने देते हैं, नखरे दिखाते हैं। वो भूल गए हैं कि अब कॉन्टेन्ट ही सर्वशक्तिमान है। वो ज़माना चला गया जब स्टार्स का एकछत्र राज हुआ करता था!”

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ऐसे में आज अगर नवाजुद्दीन बॉलीवुड को नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं, तो इसके पीछे उनका कोई निजी हित या बॉलीवुड की भलाई नहीं, अपितु अपने अस्तित्व को बचाने का एक असफल प्रयास है, क्योंकि नवाजुद्दीन भी भली भांति जानते हैं कि अब वो दिन गए जब वही OTT के सर्वशक्तिशाली इकलौते भगवान थे। समय बदल रहा है, और जनता भी। या तो नवाजुद्दीन अपनी सोच बदले, अन्यथा जनता के पास विकल्पों की कोई कमी नही, क्योंकि नवाजुद्दीन भारत में एकमात्र एक्टर नहीं।

 

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