दिल्ली का शिक्षा मॉडल – महंगे प्राइवेट स्कूल और बिना हेडमास्टर के सरकारी स्कूल

चंगू मंगू ने दिल्ली को खूब लूटा!

अरविंद केजरीवाल

सौजन्य ichowk.in

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान कितना बदल गया इंसान। नेताओं की बात करें तो उनके वादों से यह साफ प्रतीत होता है कि जब तक वादे पूरे न हो जाएं विश्वास नहीं करना चाहिए। इसका सर्वसाधारण उदाहरण देश की राजधानी दिल्ली में देखा जा सकता है जहां आम आदमी पार्टी राज्य की सरकार पर बीते 7 वर्षों से काबिज़ है।

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आज दिल्ली की जनता सड़कों पर है

जिन लोकलुभावन वादों के तहत यह पार्टी सत्ता में आई थी आज उन्हीं वादों की मशाल लिए राज्य की जनता सवाल पूछ रही है कि कहां हो सरकार, क्या हुआ तेरा वादा? इसी क्रम में शिक्षा क्रांति के दिल्ली मॉडल की बखियां उधेड़ने आज दिल्ली की जनता सड़कों पर है। जिस प्रकार बीते 7 वर्षों में निजी स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस बढ़ोतरी की उससे यह अभिभावक तो असहाय हैं ही, अपितु अपने बच्चों के भविष्य को अधर में लटका पा रहे हैं क्योंकि यही निजी स्कूल बढ़ी फीस न भरने पर उनके बच्चों को स्कूल से निकालने की धमकी दे रहे हैं। सरकार का किरदार बस इतना ही है कि प्रेस वार्ता करके यह कहने अवश्य आ जाते हैं कि, ‘मनमाने ढंग से फीस नहीं बढ़ा सकते, शिकायत पर कार्रवाई होगी।’

दरअसल, दिल्ली के निजी स्कूलों की फीस वृद्धि राजधानी में अशांति का कारण बनी हुई है। अभिभावक शहर के कई टॉप स्कूलों पर मनमानी फीस वृद्धि का आरोप लगाते रहे हैं। इससे नाराज कई अभिभावक अब सड़कों पर उतर आए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एक ट्वीट में, दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन ने एक वीडियो साझा किया है जिसमें माता-पिता कथित शुल्क वृद्धि के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। वीडियो में दावा किया जा रहा है कि विरोध के जरिए माता-पिता दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ‘कोई फीस वृद्धि नहीं’ के दावे का खंडन कर रहे हैं। ट्वीट में लिखा है, “आज एक बार फिर दिल्ली शिक्षा मंत्री के इस झूठ की पोल खोलने प्राइवेट स्कूल के पेरेंट्स सड़कों पर आ गए कि उन्होंने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम  लगाई और 2015-16 के बाद फीस नहीं बढ़ने दी।”

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राष्ट्रीय राजधानी में हेडमास्टर की भारी कमी

बता दें,राष्ट्रीय राजधानी के 1,027 सरकारी स्कूलों में से केवल 203 में हेडमास्टर या प्रिंसिपल हैं, इस पर बाल अधिकार निकाय (NCPCR) ने मंगलवार को प्रिंसिपल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर शून्यचित्त रिक्तता के लिए दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव को लिखे पत्र में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने कहा कि उसके अध्यक्ष के नेतृत्व में उसकी टीम ने दिल्ली के कई स्कूलों का दौरा किया और बुनियादी ढांचे और अन्य पहलुओं के संबंध में विसंगतियां पाईं।

आयोग के संज्ञान में यह भी आया कि टीम ने जिन स्कूलों का दौरा किया उनमें से अधिकांश स्कूलों में स्कूल के प्रधानाध्यापक का पद खाली पाया गया। ऐसे में यह तो सबसे बड़ी विफलता है कि जिस शिक्षा की क्रांति और वर्ल्ड क्लास शिक्षा का बखान अब तक दिल्ली के दो जोगा-बोगा की जोड़ी अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया करते आए हैं, असल में वो मिथ्या है, फ्रॉड है।

दिल्ली सरकार ढकोसलों की राजनीति करती आई है, पहला ये कि हम सच की राजनीति करने आए हैं, दूसरा दिल्ली को लंदन-पेरिस बना देंगे, तीसरा यमुना साफ़ कर देंगे, चौथा प्रदूषण मिटाने के लिए काम करेंगे, पांचवा सरकारी स्कूल और अस्पतालों की संख्या बढ़ाने के साथ ही उन्हें विश्व स्तरीय बना देंगे। मिला क्या, झुनझुना वादों के पिटारे के साथ।

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आदेश गुप्ता ने क्या कहा?  

फीस बढ़ोतरी पर अब विपक्ष भी सत्ता पक्ष पर हमलावर हो चला है, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने पार्टी की दिल्ली इकाई और दिल्ली अभिभावक संघ द्वारा दिल्ली पब्लिक स्कूल, मथुरा रोड के बाहर एक विरोध प्रदर्शन को संबोधित किया, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर इस मुद्दे पर “दोहरे मानदंड” दिखाने का आरोप लगाया।

गुप्ता ने कहा कि, “एक तरफ राज्य सरकार अभिभावकों को झूठा आश्वासन दे रही है कि उनके द्वारा आदेशित फीस में इस तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली को लूटने के लिए दिल्ली सरकार ने निजी विद्यालयों के साथ गठबंधन कर लिया है।

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि “आप” शासित दिल्ली सरकार के सत्ता में आने के बाद से पिछले सात वर्षों में स्कूल फीस में कई बार बढ़ोतरी की गई है। बिधूड़ी ने कहा कि, “हम इस मुद्दे को एलजी और सीएम दोनों के साथ उठाएंगे और इसे दिल्ली विधानसभा के अगले सत्र में भी उठाएंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र जब आरंभ होगा तो उसमें भी इस मुद्दे को उठाया जाएगा कि फीस को लेकर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने झूठ बोला है, उसके लिए वे माफी मांगे एवं बढ़े हुए फीस को वापस लें।

टीएफआई ने जितनी बार इस कथित शिक्षा मॉडल और रंग-रोगन कर कक्षाओं को चमकाने के तथाकथित विश्वस्तरीय मॉडल का पर्दाफाश किया है, केजरीवाल और सिसोदिया यदि उसे पढ़ लेंगे तो शीशे में अपना चेहरा देखने से भी हज़ार बार सोचेंगे कि किस स्तर तक सत्ता के लोभ में यह आम आदमी पार्टी और उसके नेता तुच्छ राजशाही पर उतर आए हैं जहां यथा राजा तथा प्रजा की सोच का दम कब का घुट चुका है।

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