यूक्रेन संकट के बीच पश्चिमी देश हर उस देश के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध तथा अन्य ऐसे ही कदम उठा रहे हैं, जो थोड़ा बहुत भी उनकी नीति के विरुद्ध जा रहा है। किंतु भारत लगातार इस मुद्दे पर अपना निष्पक्ष रुख अपनाए हुए हैं तथा पश्चिमी देशों के दबाव के बाद भी रूस विरोधी रवैया नहीं अपना रहा है। इसके बाद भी भारत को धमकाने वाले पश्चिमी देश भारत के साथ अपने आर्थिक संबंध खराब करने का जोखिम नहीं उठा रहे हैं। अमेरिका भी अपनी औकात पर आ गया है और भारत के विरुद्ध अब किसी भी तरह की बकलोली करने से बच रहा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है, दुनिया के तमाम बड़े देश भारत के साथ अपने संबंधों को खराब कर कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। ऐसे में ये रूस-यूक्रेन मामले को लेकर भारत पर जहर उगलने वाले ये देश अब भारत के चरणों में गिरने को तैयार हैं। इसी बीच यूरोपीय यूनियन के बाद अब ब्रिटेन भी भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए भारत पर डोरे डाल रहा है।
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भारत दौरे पर आने वाले हैं जॉनसन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 21 अप्रैल को भारत दौरे पर आ रहे हैं। अपने दौरे से पहले उन्होंने कहा, “चूंकि हम निरंकुश राज्यों से अपनी शांति और समृद्धि के लिए खतरों का सामना कर रहे हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि लोकतांत्रिक और मित्र देश एकसाथ रहें। भारत, एक प्रमुख आर्थिक शक्ति और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, इस अनिश्चित समय में यूके के लिए एक अत्यधिक मूल्यवान रणनीतिक साझेदार है।” उन्होंने आगे कहा, “रोजगार सृजन और आर्थिक विकास से लेकर ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा तक, भारत की मेरी यात्रा उन चीजों को प्रदान करेगी जो हमारे दोनों देशों के लोगों के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण हैं।” बोरिस जॉनसन ने अपने बयान में भारत को Highly Treasured Partner of UK अर्थात् अत्यधिक कीमती साथी करार दिया है। बोरिस जॉनसन अपनी यात्रा के पहले दिन गुजरात जाएंगे। गुजरात में वह व्यापारियों से मिलेंगे। इसके बाद 22 अप्रैल को वह दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मिलेंगे। प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में भारत ब्रिटेन के आर्थिक सामरिक और कूटनीतिक संबंध को और मजबूत करने के लिए चर्चा होगी।
भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता चाहता है ब्रिटेन
बोरिस जॉनसन की यात्रा का मूल कारण भारत के साथ संभावित मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत को आगे बढ़ाना है। ब्रिटेन का उद्देश्य भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को 2035 तक 28 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष के स्तर तक पहुंचाने का है। इसके अतिरिक्त दोनों देश व्यापारिक समझौते के द्वारा अपने यहां बेरोजगारी की समस्या को दूर करना चाहते हैं। साथ ही भविष्य की तकनीक के विकास हेतु अतिरिक्त रक्षा उपकरणों के निर्माण तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में दोनों देश परस्पर सहयोग करने वाले हैं। बोरिस जॉनसन वर्ष 2021 के जनवरी महीने में गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत यात्रा पर आने वाले थे, किंतु कोरोना के कारण उनकी यात्रा स्थगित हो गई थी, उसके साथ ही भारत ब्रिटेन चर्चा भी मंद पड़ गई थी।
आपको बताते चलें कि हाल ही में भारत ने ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इन दोनों के अतिरिक्त यूरोपीय यूनियन द्वारा भी भारत के साथ इस संदर्भ में बातचीत शुरू कर दी गई है और संभवत इस साल के अंत अथवा अगले वर्ष के प्रारंभ में भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच मुख्य व्यापार समझौता पर बात भी बन सकती है। भारतीय व्यापार के लिए ब्रिटेन लंबे समय से यूरोप का द्वार रहा है। अर्थात् भारतीय व्यापार और निवेश ब्रिटेन से होकर ही यूरोपीय बाजार तक पहुंचता है। ऐसे में ब्रिटेन यह चाहता है कि भारत और यूरोपीय यूनियन के समझौते के समानांतर भारत और ब्रिटेन का समझौता भी हो जाए, जिससे भविष्य में भी ब्रिटेन से यूरोप के द्वार का सम्मान छीन न जाए।
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