महाविकास अघाड़ी का विरोध करने की हिम्मत मत करना

महाराष्ट्र में फैलने लगी है तानाशाही जनित अराजकता!

एमएसआरटीसी

सौजन्य गूगल

विरोध करना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। किसी भी समाज, राष्ट्र, संविधान में विरोधाभासी विचारों और विरोध प्रदर्शनों को स्वयं में समाहित करने की शक्ति कितनी है, इसी से उस सभ्यता की संस्कृति का पता चलता है. परंतु, महाराष्ट्र के परिप्रेक्ष्य में वहां की सरकार विरोध प्रदर्शन करने के इसी मौलिक अधिकार को कुचलने का कुत्सित प्रयास कर रही है. सत्ता की सनक और तानाशाही जनित अराजकता अपने चरम पर है। महाविकास आघाडी में शामिल एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के संयम का बांध इतना कमजोर है कि मात्र 109 एमएसआरटीसी कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन से ढह गया और उन्होंने सत्ताबल का संपूर्ण प्रयोग करते हुए उसे असंवैधानिक और प्रशासनिक तंत्र के माध्यम से कुचल दिया।

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जानें क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, एस्प्लेनेड मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने बीते शनिवार को शरद पवार के आवास के बाहर विरोध करने के आरोप में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के 109 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया. अदालत ने गिरफ्तार एमएसआरटीसी कर्मचारियों के वकील गुणरतन सदावर्ते को भी दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के तुरंत बाद, एमएसआरटीसी के 109 कर्मचारियों ने जमानत के लिए आवेदन किया जिसे मजिस्ट्रेट अदालत ने खारिज कर दिया. घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने बताया कि वे अब सत्र अदालत का रुख करेंगे. खबरों की मानें तो पुलिस ने 23 महिलाओं सहित 109 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है।

ध्यान देने वाली बात है कि अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शनकारी सिल्वर ओक के बाहर जमा हो गए और पवार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए दावा किया था कि एनसीपी प्रमुख ने उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया। जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बीते शनिवार को सभी गिरफ्तार व्यक्तियों को एस्प्लेनेड मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां विशेष लोक अभियोजक प्रदीप घरात ने सभी के लिए पुलिस हिरासत की मांग की।

सदावर्ते की कस्टडी रिमांड पर जोर देते हुए घरात ने कहा कि वह लोगों को भड़काने के मुख्य आरोपी हैं और पुलिस साजिश के पीछे के मास्टरमाइंड का पता लगाना चाहती है।  उन्होंने कहा कि पुलिस यह भी पता लगाना चाहती है कि क्या वकील साजिश में शामिल था और क्या पूरे प्रकरण में कोई और असामाजिक तत्व शामिल था? पुलिस ने कहा कि सदावर्ते ने भड़काऊ बयान देकर एमएसआरटीसी के हड़ताली कर्मचारियों को पवार के घर में घुसने के लिए उकसाया। प्राथमिकी के अनुसार, सदावर्ते ने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा था कि एमएसटीआरसी कार्यकर्ता शरद पवार के आवास में घुसेंगे और उनसे सवाल पूछेंगे।

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सहिष्णुता और संस्कार अपने न्यूनतम स्तर पर जा पहुंचे हैं

महाविकास आघाडी के नेतृत्व वाली सरकार में सत्ता की सहिष्णुता और संस्कार अपने न्यूनतम स्तर पर जा पहुंचे हैं। राजनीतिक प्रतिशोध का दौर जोर शोर से चल रहा है. यदा-कदा तथा यत्र-तत्र और सर्वत्र आपको इसके उदाहरण देखने को मिल जाएंगे. महाराष्ट्र के विधानसभा से भाजपा विधायकों का तानाशाही निलंबन हो या फिर नारायण राणे के घर पर पुलिस का छापा सभी जगह राजनीतिक विरोधियों को दबाने का क्रूर प्रयास चल रहा है. अभी हाल ही के दिनों में एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कुछ आमजन और जागरूक नागरिकों को इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से सत्ता पक्ष की विचारधारा का रचनात्मक विरोध किया था. सरकार का इस तरह का कृत्य लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध हो सकता है और आने वाले समय में यह या तो किसी क्रांति को जन्म देगा या फिर लोकतंत्र की मृत्यु का कारक बनेगा. ऊपर से जिस न्यायालय पर इसके रक्षण का उत्तरदायित्व है वह भी सत्ता के इन वीडियो के पक्ष में ही दिखाई दे रही है।

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