यामी गौतम ने ‘दसवीं’ की आलोचना करने वाले लेफ्ट लिबरल क्रिटिक्स की उड़ाई धज्जियां

यामी ने तो इनकी बखिया उधेड़ दी है!

Yami Gautam

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एजेंडा कहाँ नहीं है? राजनीति से लेकर कलाकृति तक इसकी जड़ें चहुओर फ़ैल चुकी हैं। ऐसी ही एजेंडाधारी तुच्छ और सूक्ष्म सोच रखने वाली अनुपमा चोपड़ा अपने फिल्म रिव्यू प्लेटफॉर्म “फिल्म कंपेनियन” के साथ अपनी ओछी रिव्यू शैली का संचार पूरे सोशल मीडिया पर कर रही हैं! यामी गौतम धर, एक ऐसी अभिनेत्री, जिसने एक के बाद एक फिल्मों में अपनी शैली से और अपने दम पर जगह बनाई पर क्योंकि अनुपमा चोपड़ा ने कह दिया तो वो उनके मुताबिक पत्थर की लकीर हो जाती है। लेकिन इस बार अन्य अभिनेताओं-अभिनेत्रियों की भांति यामी गौतम ने चुप न रहकर फिल्म कंपेनियन की बखियां उधेड़ दी है।

यामी गौतम धर की हालिया रिलीज़ ‘दसवीं’ की स्ट्रीमिंग 7 अप्रैल, 2022 से Jio Cinema और Netflix पर शुरू हुई और उसके साथ ही फिल्म समीक्षकों की अपनी नौटंकी शुरू हो गई। सबसे विवादास्पद फिल्म समीक्षा अनुपमा चोपड़ा के उद्यम फिल्म कंपेनियन से आई, जहां कंपनी ने यामी गौतम की अवहेलना की। फिल्म कंपेनियन ने न केवल अभिनेत्री के अभिनय कौशल की आलोचना की, अपितु यह लिखा कि “यामी अब, हिंदी फिल्मों में मरी हुई गर्लफ्रेंड नहीं रही हैं, लेकिन फिल्मों में उनकी मुस्कान अब दोहराई जा रही है। यह शब्द यामी गौतम को बुरे लगे, जिसके बाद उन्होंने रिव्यू का स्क्रीनशॉट शेयर कर पोर्टल को झाड़ लगाई।”

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यामी गौतम ने तो धागा ही खोल दिया

निश्चित रूप से फिल्म की आलोचना करने के लिए फिल्म कंपेनियन स्तरहीन होता चला गया और बीते लंबे समय से वो स्तरहीन होता ही जा रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है। फिल्म कंपेनियन की समीक्षा में दसवीं को लेकर लिखा गया कि यह अपने आप को एक तरह की लो-स्टेक कॉमेडी के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसे दर्शकों को ‘गलत तरीके से’ हास्य को झकझोरने वाली सामान्यता के रूप में दोषी ठहराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। फिल्म को पूरी तरह से खारिज करने के लिए समीक्षा लेख में बहुत कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।

इसपर यामी ने जवाब देते हुए फिल्म कंपेनियन को भिगा-भिगा के मारा। यामी ने लिखा, ‘इससे पहले कुछ कहूं, मैं यह कहना चाहती हूं कि आमतौर पर मैं रचनात्मक आलोचनाओं को विकास और प्रगति के तौर पर लेती हूं। लेकिन जब एक प्लेटफॉर्म आपको लगातार नीचे गिराने की कोशिश करता है, तो मुझे लगता है कि इसके बारे में आवाज उठाना जरूरी है।” ‘यामी ने अपने ट्वीट थ्रेड में लिखा, ‘हाल ही की मेरी फिल्मों और परफॉरमेंस में ‘अ थर्सडे’, ‘बाला’ और ‘उरी’ जैसी फिल्में भी शामिल हैं। लेकिन फिर भी इसे मेरे काम का क्वालिफाइड ‘रिव्यू’ कहा जा रहा है। यह बेहद अपमानजनक है।’

ट्वीट में यामी ने आगे लिखा कि “किसी को भी और खासकर मेरे जैसे सेल्फमेड एक्टर को हर बार अपनी योग्यता साबित करने में सालों तक मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन कुछ प्रतिष्ठित पोर्टल्स फिर ये करते है।’ इसके बाद उन्होंने फिल्म कंपनेयिन को टैग करते हुए लिखा कि वह एक समय पर उनके लिखे को पढ़ा करती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आगे से उनकी परफॉरमेंस का रिव्यू यह पोर्टल न दे तो अच्छा है।

कबीर सिंह के डायरेक्टर ने भी उधेड़ी थी बखिया

ध्यान देने वाली बात है कि यह पहली बार नहीं है जब फिल्म कंपेनियन को इतनी खरी-खोटी सुनने को मिली है। यह तो फिर भी ऑनलाइन था, फिल्म कंपेनियन इतना बेशर्म है कि जब कबीर सिंह के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वंगा का साक्षात्कार अनुपमा चोपड़ा ने लिया था, तो जमकर बवाल मचा था। जब निर्देशक संदीप रेड्डी वंगा वामपंथी आलोचक अनुपमा चोपड़ा के साथ बैठे, तो सभी को उम्मीद थी कि वो फिल्म की कहानी पर अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे। लेकिन उन्होंने कहानी का अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया, करते भी कैसे जब वह इस तरह के ढोंग करने वाले आलोचकों के समक्ष बैठे थे जो उनकी अपनी फिल्म के अलावा हर चीज के बारे में बात कर रहे थे। ऐसा करने पर संदीप रेड्डी वंगा ने अनुपमा चोपड़ा को फटकार लगाई थी।

दरअसल, वंगा रेड्डी ने ऐसी आलोचनाओं को छद्म कहा था, जिस पर अनुपमा चोपड़ा ने उनसे पूछा कि उनका क्या मतलब है? इस पर संदीप ने बेपरवाह जवाब दिया, “मुझे लगता है कि यह छद्म है क्योंकि जब आप गहराई से प्यार में होते हैं, जब आप किसी महिला के प्रति गहराई से आकर्षित होते हैं या इसके विपरीत…इसमें बहुत ईमानदारी है। अगर आपको एक दूसरे को थप्पड़ मारने की आजादी नहीं है तो मुझे वहां कुछ भी नजर नहीं आता।” उन्होंने आगे अर्जुन रेड्डी और कबीर सिंह की आलोचना के बीच के अंतर के बारे में कहा, “तेलुगु में आप जानते हैं, अंतर यह था कि वे बहुत सारे पहलुओं पर आलोचना कर रहे थे, लेकिन यहां वे केवल नारीवादी पक्ष पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, और कुछ नहीं।”

उसके बाद उन्होंने कुख्यात आलोचक राजीव मसंद के पाखंड को भी उजागर किया, जिनकी दूसरी ओर दयनीय फिल्मों को गलत तरीके से अपग्रेड करते हुए अच्छी फिल्मों को डाउनग्रेड करने के लिए पहले भी आलोचना की गई है। संदीप वंगा ने कहा, “ये लोग वर्णन और वस्तुनिष्ठता के बीच का अंतर नहीं जानते हैं। यदि आप इन मूल बातों को नहीं समझते हैं और फिर भी आप स्वयं को आलोचक कहते हैं, तो यह बहुत दुखद है। मुझे लगता है कि ये लोग फिल्म उद्योग के लिए खतरा हैं न कि पायरेसी के लिए।”

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अपना पक्ष चुनना जानती हैं यामी गौतम

इसी बीच अब यामी गौतम ने फिल्म कंपेनियन की लंका लगा दी है। फिल्म कंपेनियन की दसवीं की समीक्षा ने अभिनेत्री यामी गौतम धर द्वारा की गई कड़ी मेहनत को खारिज कर दिया जो बहुत कठोर और अशिष्टता का परिचायक है। खैर, वे लिखते समय भूल गए कि वे एक ऐसी महिला पर टिप्पणी कर रहे थे जो अपने मन की बात कहती है और अपना पक्ष चुनना जानती है। फिर भी एफसी के रिव्यू पर यामी गौतम की प्रतिक्रिया ने अनुपमा चोपड़ा को निस्संदेह अंदर तक हिला दिया होगा। आपको बता दें कि दसवीं में अभिषेक बच्चन ने राजनेता गंगा राम चौधरी की भूमिका निभाई है, जो जेल में बंद हो जाता है। यामी गौतम ने एक सख्त पुलिस अधिकारी ज्योति देसवाल की भूमिका निभाई है, जिसे नए अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है और अभिषेक बच्चन के चरित्र को उसकी कक्षा 10 की परीक्षा पास करने के लिए उकसाता है। निम्रत कौर भी फिल्म में गंगा राम चौधरी की पत्नी बिमला देवी के रूप में अभिनय करती हैं, जो जेल भेजे जाने के बाद आकस्मिक मुख्यमंत्री बन जाती हैं।

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