अब ग्रेजुएट, अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट कुछ नहीं होगा, आपकी डिग्रियों को फिर से परिभाषित करने में लगा UGC

अब रटने से ज्यादा सीखने पर फोकस करेंगे छात्र!

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

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शिक्षा राष्ट्र निर्माण की नींव के साथ ही साथ संस्कृति का आधार और सभ्यता की धुरी है। किसी ने क्या खूब कहा है कि बैरल पर खर्च करने के बजाय अगर विश्वविद्यालय पर खर्च किया जाये तो देश का कायाकल्प हो सकता है। व्यक्तिगत रूप से भी यह किसी भी इंसान के भाग्योदय का एकमात्र हथियार है। नरेंद्र मोदी की सरकार देश में चली आ रही जर्जर शिक्षा व्यवस्था का कायाकल्प करने के लिए अथक प्रयास किया। सरकार को यह अच्छे से पता है कि लोकलुभावन और कल्याणकारी योजनाएं लाने के बजाए अगर हर एक व्यक्ति को शिक्षित कर दिया जाए तो वे स्वयं राष्ट्र का कल्याण कर देंगे। इसीलिए, इनके कार्यकाल में नई शिक्षा नीति का प्रादुर्भाव हुआ। छात्रों के रटने से ज्यादा सीखने पर बल दिया गया ताकि वह देश के काम आ सके। सरकार के इन्हीं प्रयासों और योजनाओं को आगे बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षा प्राप्ति के मार्ग में आने वाले शैक्षणिक बाधाओं को दूर कर दिया है। चलिए, आपको विस्तार से समझाते हैं।

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साथ में प्राप्त कर सकते हैं अब दो डिग्री

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने मंगलवार को घोषणा की कि छात्र अब दो पूर्णकालिक शैक्षणिक कार्यक्रमों को फिजिकल मोड में कर सकेंगे। आयोग ने उसी के संबंध में दिशानिर्देशों का एक सेट तैयार किया है, जिसे कल यानी 13 अप्रैल को यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाएगा। इससे पहले, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों ने छात्रों को दो पूर्णकालिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी थी और वे केवल ऑनलाइन/अल्पकालिक/डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के साथ एक पूर्णकालिक डिग्री प्राप्त करें।

दिशानिर्देश देश भर में उपलब्ध सभी कार्यक्रमों पर लागू होंगे। छात्र या तो एक डिप्लोमा कार्यक्रम और एक स्नातक (यूजी) डिग्री, दो मास्टर कार्यक्रम, या दो स्नातक कार्यक्रमों के संयोजन का चयन कर सकते हैं। यदि कोई छात्र स्नातकोत्तर (यूजी) की डिग्री हासिल करने के लिए पात्र है और एक अलग डोमेन में स्नातक की डिग्री में दाखिला लेना चाहता है, तो वह एक साथ यूजी और पीजी डिग्री हासिल करने में सक्षम होगा। दोनों कार्यक्रमों के लिए कक्षा के समय में टकराव नहीं होना चाहिए।

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नए दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, छात्र विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी और विभिन्न प्रकार के विषयों जैसे डोमेन में दो समानान्तर डिग्री प्राप्त करने में सक्षम होंगे। इन दिशानिर्देशों को अपनाना विश्वविद्यालयों के लिए वैकल्पिक है और विश्वविद्यालयों के वैधानिक निकायों के अनुमोदन के बाद ही इसे लागू किया जा सकता है। प्रत्येक कार्यक्रम के लिए पात्रता मानदंड अपरिवर्तित रहेगा और प्रवेश मौजूदा यूजीसी, विश्वविद्यालय के मानदंडों के आधार पर आयोजित किया जाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति विजन का हिस्सा

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसार, छात्रों को एक साथ दो शैक्षणिक डिग्री हासिल करने की अनुमति देने के निर्णय के पीछे तर्क उन्हें विविध कौशल हासिल करने में मदद करना है। इसका उद्देश्य अंतःविषय अलगाव को तोड़ने के एनईपी के दृष्टिकोण का अनुवाद करना भी है। यह देखा जाना बाकी है कि अकादमिक और छात्र समुदाय द्वारा प्रस्ताव कैसे प्राप्त किया जाता है। कल्पना कीजिए, आप भौतिकी के विद्यार्थी हैं। इसी विषय और संकाय से आप अपने स्नातक की डिग्री प्राप्त की है या फिर कर रहे हैं। लेकिन, भौतिकी के साथ-साथ आपको हिंदी और दर्शनशास्त्र में भी रुचि है। आमतौर पर ऐसा विरले ही होता है कि विज्ञान के विद्यार्थी की समानांतर रुचि साहित्य दर्शन और राजनीति में हो और राजनीति से स्नातक करने वाले की समानांतर रुचि गणित में, परंतु, ऐसा होता जरूर है।

इतने अलग-अलग क्षेत्रों में शैक्षणिक अभिरुचि कोई गलत बात भी नहीं है। अगर एक अलग नजरिए से देखें तो यह इंसानी मस्तिष्क के सौंदर्य, विविधता और उत्कृष्टता का प्रतिबिंब है। लेकिन, हमारे देश की उच्च शैक्षणिक व्यवस्था ऐसी है की अगर आप किसी विश्वविद्यालय से किसी विषय में कोई डिग्री प्राप्त कर रहे हैं तो उसी समय अन्य विषय में अन्य विश्वविद्यालय के समानांतर डिग्री प्राप्त करना प्रतिबंधित एवं गैर कानूनी है और इसके लिए सजा का भी प्रावधान है। अब आप स्वयं पूछिए अलग-अलग विषयों में ज्ञान प्राप्ति की इच्छा क्या कोई अपराध है और अगर नहीं है तो क्यों न इसे मान्यता प्रदान कर दी जाए। शायद, आप यह जानकर चौक जाएं कि जिस एलन मस्क को आप दुनिया का सबसे बड़ा नवाचारी और उद्यमी समझते हैं, उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। अतः, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा शिक्षा के मुक्ति के मार्ग को प्रशस्त करना निसंदेह ही विद्यार्थियों के लिए एक उद्धारक सिद्ध होगा।

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