जानिए कैसे आयुष्मान भारत भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है

प्रधानमंत्री का यह कार्य इतिहास में याद किया जाएगा!

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पिछले कुछ वर्षों में भारत के गरीबों और आम लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का खर्च बहुत कम हुआ है। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे रेखांकित करते हुए लिखा “सरकार सभी नागरिकों को अच्छी गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने पर ध्यान देने के साथ भारत के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रही है।” इसके बाद उन्होंने जनऔषधि योजना की सफलता के बारे में जानकारी देते हुए ट्विटर पर लिखा “जब मैं पीएम जन औषधि जैसी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ बातचीत करता हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है।  सस्ती स्वास्थ्य सेवा पर हमारे ध्यान ने गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए महत्वपूर्ण बचत सुनिश्चित की है।  साथ ही हम समग्र स्वास्थ्य को और बढ़ावा देने के लिए अपने आयुष नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं।”

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प्रधानमंत्री ने जिस तथ्य को रेखांकित किया है वह अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों द्वारा उपेक्षित रहा, कैसे भारत सरकार की लोककल्याणकारी योजनाओं के कारण आम आदमी की बचत में वृद्धि हुई है। आइए समझते हैं कैसे प्रधानमंत्री मोदी की कल्याणकारी योजनाएं भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बना रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि 3.28 करोड़ गरीब और कमजोर भारतीयों ने आयुष्मान भारत योजना के दो स्तंभों में से एक, ऐतिहासिक प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत मुफ्त अस्पताल में भर्ती होने का लाभ उठाया था। अब कल्पना करें कि इन तीन करोड़ 28 लाख लोगों के इलाज का खर्च बचाकर, सरकार ने इनकी वार्षिक बचत में कितनी वृद्धि की होगी। यह वृद्धि दूसरे कार्यों में खर्च होगी जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

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होता यह है कि जब सरकार स्वास्थ और भोजन जैसी मूलभूत आवश्यकता को पूरा कर देती है, तो मध्यम एवं निम्न वर्ग के करोड़ो लोगों की आय का एक बड़ा हिस्सा बच जाता है। यह लोग इस बचत का उपयोग अन्य सामग्रियों की खरीद में कर सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपका मासिक वेतन 20 हजार है जिसमें 3 हजार राशन और 2 हजार दवा पर खर्च होने थे, तो सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से आपके लगभग 5 हजार रुपये बचेंगे। बाहर जो दवाइयां 2000 की मिलती वह प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर नाममात्र के भुगतान पर मिल जाती हैं। ऐसे के वेतन से बचे रुपयों का प्रयोग आप शॉपिंग में, रेस्टोरेंट के खाने में अथवा किसी बचत योजना में कर सकते हैं। आप इसे जहाँ भी खर्च करें, यह पैसा अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।

सरकार द्वारा स्वास्थ क्षेत्र में एक प्रयास और सराहनीय है, वह है दवाओं के निर्माण पर ध्यान देना, आज भारत दुनिया की फार्मेसी कहा जा रहा है। इसके अतिरिक्त मेडिकल की पढ़ाई के लिए भी मोदी सरकार ने प्रतिबद्धतापूर्वक कार्य किया है। इस संदर्भ में अपनी बात रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा “पिछले 8 वर्षों में, चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन हुए हैं।  कई नए मेडिकल कॉलेज खुल गए हैं। स्थानीय भाषाओं में चिकित्सा के अध्ययन को सक्षम बनाने के हमारी सरकार के प्रयास अनगिनत युवाओं की आकांक्षाओं को पंख देंगे।”

यह सत्य भी है। 2014 तक देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे। पिछले सात वर्षों के कार्यकाल में मोदी सरकार ने इसकी संख्या बढ़ाकर 596 कर दी है। अर्थात पिछले 8 वर्षों के कार्यकाल में देश के मेडिकल कॉलेज 54% बढ़े हैं। 2014 के पूर्व भारत में 7 AIIMS अस्पताल थे जबकि अब इसके दोगुने तक बढ़कर यह संख्या 22 हो चुकी है।

स्वास्थ सुविधाओं का विस्तार किसी भी विकसित देश की मूलभूत विशेषता है और मोदी सरकार ने इस क्षेत्र में अद्वितीय कार्य कर दिखाया है। ना केवल गरीबों की आय पर इसका प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है, बल्कि गवर्नमेंट कॉलेज की स्थापना ने, साधारण परिवार से आने वाले बच्चों के मेडिकल की शिक्षा के सपने को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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