उद्धव ने पूछा- “राम न होते तो क्या होता?” फिर तो उद्धव उस्मान होता!

हिन्दू हृदय सम्राट के बेटे उद्धव बुद्धि का प्रयोग क्यों नहीं करते!

उद्धव ठाकरे राम

सौजन्य गूगल

“बालासाहब विश्व हिन्दू हृदय सम्राट थे, हैं और रहेंगे।“ इस तथ्य में कोई संशय नहीं हैं लेकिन क्या उनके सुपुत्र भी उनकी विरासत संभालने और हिन्दुत्व के ध्वजवाहक बनने के योग्य हैं? इस तथ्य में संशय है। पहले वो सत्ता की सनक में सिद्धांतों और संस्कृति से समझौता किया। किसी ने शायद ही कभी सोचा होगा की शिवसेना नाम की पार्टी मुस्लिम तुष्टीकरण और गांधी परिवार का चरण वंदन करेगी। लेकिन, ऐसा हुआ। अब शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे निकृष्टता के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुके हैं। ये पतन की पराकाष्ठा है। चलिए, आपको बताते हैं कि आखिर क्या हुआ है? आखिर ऐसा क्यों कह रहे हैं हम?

और पढ़ें:-सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार को लगाई फटकार, निलंबित भाजपा विधायकों को किया बहाल

ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा

रविवार को उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर भगवान राम पैदा नहीं होते तो भाजपा क्या मुद्दा उठाती। महाविकासआघाडी के महामूर्ख मुख्यमंत्री ने कहा- “आज रामनवमी है। मुझे आश्चर्य है कि अगर भगवान राम का जन्म नहीं होता तो भाजपा राजनीति में क्या मुद्दा उठाती क्योंकि उनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है इसलिए, वे सांप्रदायिक मुद्दों को राजनीति में सबसे आगे रखते हैं”।

हालांकि, इसके प्रतिउत्तर में केंद्रीय मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवसेना भगवान राम के नाम पर राजनीति कर रही है, भाजपा नहीं। मंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा के पूर्व सहयोगी ने सत्ता के लिए कांग्रेस और राकांपा को हिंदुत्व का पेटेंट बेच दिया है। दानवे ने कहा-‘शिवसेना बीजेपी नहीं, राम के नाम पर राजनीति कर रही है। हमारी भूमिका हमेशा हिंदुत्व के लिए लड़ने की रही है। शिवसेना ने अपना पेटेंट बेचा है, हमने नहीं। शिवसेना ने समय-समय पर अपने रंग बदले हैं। जब देश में आपातकाल लगा तो उन्होंने हमें समर्थन दिया। जब प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकित किया गया था, तब उन्होंने कांग्रेस पार्टी का समर्थन किया था। हमने सिर्फ चुनाव का लोगों बदला है, उन्होंने अपना रुख बदला है। हमने हिंदुत्व को कभी नहीं छोड़ा। न तब जब जनसंघ था, न अब जब भाजपा है। हां, हमने समय के साथ सिर्फ लोगो को बदला है।”

और पढ़ें:- परमबीर सिंह ने किया खुलासा, सचिन वाझे को बहाल करने के पीछे बताया उद्धव और आदित्य ठाकरे का हाथ

केंद्रीय मंत्री ने आगे क्या कहा?

ठाकरे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह सवाल सिर्फ बीजेपी के लिए नहीं बल्कि सबके लिए उठता है। उद्धव कहते हैं कि अगर राम पैदा नहीं होते तो भाजपा क्या मुद्दा उठाती। यह सवाल सिर्फ हम (बीजेपी) के लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए उठता है। उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया है, उनका अब इस पर कोई दावा नहीं है।

राम भारतीयों के व्यक्तित्व के संविधान हैं। भारत का बच्चा बच्चा राम की प्रतिमूर्ति हैं और यहां के हर एक नागरिक के आत्मा में राम समाहित हैं। राम एक आदर्श पुत्र, पिता, पति, भ्राता, मित्र, शासक, सेवक और हर उस मानवीय सम्बन्धों और कर्तव्यों की पराकाष्ठा हैं जो आनेवाली हर पीढ़ी के लिए एक प्रासंगिक मानदंड हैं। बालासाहब इस तथ्य को मानते, जानते और समझते थे। वो राम के होने पर गौरवान्वित थे। भारत का जनमानस बालासाहब के उस साहस और समर्पण को आज तक नहीं भूला जिसके बल पर उन्होंने अयोध्या को अयोध्या बनाया। पर, इस देश और हिन्दुत्व का दुर्भाग्य ही है की सबसे बड़े सेनापति का पुत्र स्वयं ही अपने अस्तित्व प्रदाता पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है। उद्धव को समझना होगा की राम ही भारत हैं। अगर राम ना हों तो शायद एक ‘पुरुषोत्तम’ की परिभाषा गुम हो जाएगी।

और पढ़ें:-उद्धव ने अपने पिता बाल ठाकरे को बताया ‘ए मैन विदाउट विज़न’

Exit mobile version