खाने को लाले पड़े हैं ,जीने को भीख मांगना पड़ता है और दुनिया में आतंकपरस्ती के लिए बदनाम भी हैं ,अब आप तो जान ही गए होंगे हम किसकी बात कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं अपने नकारे पड़ोसी पाकिस्तान की जिसकी आर्थिक स्थिति के साथ ही राजनीतिक स्थिति भी दिवालिया होने के कगार पर आ गई है। दरअसल पाकिस्तान दुनिया का एक ऐसा अजूबा देश है जहां कब क्या हो जाए पता नहीं चलता, कभी वहां राष्ट्रपति देश चलाता है, कभी प्रधानमंत्री, कभी उसकी सेना और कभी ISI ,पाकिस्तान में संविधान नाम की कोई चीज़ नहीं है। आतंकियों के पनाहगार के रूप में वो पहले से ही बदनाम रहा है तो वहीं आज के परिदृश्य की बात करें तो पाकिस्तान बुरी तरह से राजनीतिक संकट झेल रहा है। पाकिस्तान में चल रहे घटनाक्रम के बाद इमरान खान को इमरान खान न कहकर Imranindira Khandhi भी कहा जा सकता है।
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पाकिस्तान में ये हो क्या रहा है?
दरअसल Imranindira Khandhi शब्द को प्रमुखता से TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा द्वारा पाकिस्तान के घटनाक्रम को देखते हुए अपने ट्वीट में उल्लेख किया गया है जिसका परिदृश्य इमरान और इंदिरा की समान राजनीतिक विचारधारा को दर्शाता है।
दरअसल, रविवार को, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोट को स्थगित करने के लिए नेशनल असेंबली के अध्यक्ष पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। अध्यक्ष ने अनुच्छेद 5 (राज्य के प्रति वफादारी) का हवाला देते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया। पाकिस्तान आज भारत की तरह इंदिरा गांधी सरकार की नीतियों को दोहरा रहा है।
दरअसल इमरान खान आरोप लगा रहे हैं कि उनकी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साजिश चल रही है। हालांकि, पाकिस्तान में उनके खिलाफ विरोध अब भड़क गया है। आपको बतादें कि नेशनल असेंबली भंग कर दी गई है, और चुनाव 90 दिनों में होने वाले हैं। यह देखना बाकी है कि पाकिस्तानी सेना और सुप्रीम कोर्ट इस घटनाक्रम पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं, और क्या वे ऐसी कार्रवाई करते हैं जो इमरान खान की योजना को बिगाड़ सकती है।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 6 इमरान खान और नेशनल असेंबली के अध्यक्ष पर थोपा जाएगा। पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 6 में “उच्च राजद्रोह” का उल्लेख है। मूल रूप से, इमरान खान ने बहुमत खोने के बावजूद, अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के लिए नेशनल असेंबली के अध्यक्ष का इस्तेमाल किया। प्रथम दृष्टया यह उनके अनुच्छेद 6 के उल्लंघन के बराबर है।
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इमरान का इंदिरा मोमेंट
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और इमरान खान में काफी समानताएं हैं। इंदिरा गांधी को भी इमरान खान जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा था। वास्तव में, जहां इमरान खान ने सत्ता से बाहर होने की शर्मिंदगी का सामना नहीं करने के लिए संसद को भंग कर दिया है, वहीं इंदिरा गांधी ने सत्ता पर काबिज होने के लिए देशव्यापी आपातकाल लगा दिया। चलिए आपको भारत में लगे आपातकाल के बारे में समझाते हैं। –
दरअसल इंदिरा गांधी, जिनकी 1971 की चुनावी जीत राज नारायण के खिलाफ 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई थी, ने अपने राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए देश में राष्ट्रीय आपातकाल लगा दिया। इंदिरा गांधी ने अपनी हार को पूरी कृपा से स्वीकार करने के बजाय, कठोर आपातकाल लगाया और 1975 में अपने राजनीतिक विरोधियों को जेल में बंद कर दिया और प्रेस को सेंसर कर दिया गया था। रायबरेली से इंदिरा गांधी की चुनावी जीत को खारिज करने का इलाहाबाद कोर्ट का फैसला आया कि वह चुनावी भ्रष्टाचार में लिप्त थी।
उसके बाद अदालत ने इंदिरा को अगले छह वर्षों के लिए कोई भी लोकसभा चुनाव लड़ने से रोक दिया था। इंदिरा ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन पूरी तरह राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी के हाथों का मोहरा बनने से इनकार करने के एक दिन बाद, उन्होंने एक क्रूर राष्ट्रव्यापी आपातकाल लगाया।
पाकिस्तान भी अब इंदिरा प्रकरण के समीप खड़ा है। इमरान खान, निकट भविष्य के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में बने रहेंगे। यह तब तक रहेगा जब तक राष्ट्रीय चुनाव नहीं हो जाते। हालांकि, पाकिस्तानी सेना कभी भी हस्तक्षेप कर सकती है, और सुप्रीम कोर्ट नेशनल असेंबली के अध्यक्ष को खारिज कर सकता है, इस मामले में इमरान खान का करियर 90 दिनों के कार्यकाल से पहले चुनाव पूरा होने तक खत्म हो सकता है।
इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि इमरान खान, जितने भी दिन प्रधानमंत्री बने रहेंगे, इंदिरा गांधी की नकल करेंगे। इंदिरा ने भी संसद और लोगों के विश्वास के बिना सत्ता हथिया ली थी।
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पाकिस्तानी देखेंगे काला अध्याय
पाकिस्तानी शायद अपने जीवन का सबसे काला अध्याय देखने वाले हैं। इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि पाकिस्तान में तख्तापलट की भी संभावना है। इमरान खान एक क्रिकेटर भी रह चुके हैं लेकिन राजनीति में कई लोग इमरान के असंवैधानिक खेल से चकित हैं जो इमरान खान ने अभी-अभी पाकिस्तान में खेला है।
आज इमरान खान जिस तरह से एक निरंकुश नेता के रूप में निडर हो रहे हैं और बीते कुछ समय से पाकिस्तान के विपक्षी पार्टियों को जबरदस्ती दरकिनार करने में लगे हैं उससे यह साफ़ प्रतीत होता है की इमरान खान भी इंदिरा गांधी के पदचिह्नों पर चल रहे हैं या कहें इमरान खान के भीतर इंदिरा गांधी के नीतियों का भूत सवार हो गया है और अब तो यह साफ़ है की 47 साल बाद(1975) की तरह इमरान खान भी इंदिरा की तरह सत्ता हांसिल करने के लिए किसी भी हद्द तक जा सकते हैं और अविश्वास प्रस्ताव को देखकर पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां भी समझ गई हैं की राजनीतक फायदे के लिए इमरान पाकिस्तान के मौलिक अधिकार की बलि भी दे सकते हैं।