सेक्रेड गेम्स और पाताल लोक के जमाने में ताजी हवा के झोंके की तरह है गुल्लक

भड़काऊ शो के युग में बड़ा बदलाव है यह वेब सीरीज़

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“पासबुक देखने से पैसा नहीं बढ़ जाता”

“तो सीधे मुंह बात करने से मुंह टेढ़ा नहीं हो जाता!”

अंतिम बार आपने ऐसे हल्के फुल्के प्रसंग, ऐसे हास्य से परिपूर्ण संवाद किस शो या वेब सीरीज़ में देखे होंगे? कभी ऐसा हुआ कि किसी संवाद या किसी चरित्र को देखकर ऐसा प्रतीत हुआ हो कि अरे, ये तो अपने घर में या अपने मोहल्ले में ही देखा है? ऐसे ही किस्सों से भरी है सोनी लिव की वेब सीरीज़ ‘गुल्लक’ का तीसरा संस्करण, जो एक बार फिर आया दर्शकों को हँसाने और हंसी हंसी में महत्वपूर्ण सीख देने।

द वायरल फीवर यानि चर्चित कॉन्टेन्ट रचयिता TVF द्वारा रचित इस वेब सीरीज़ का प्रसारण Sony LIV नामक OTT एप पर 2018 से हो रहा है, और हाल ही में इसका तीसरा संस्करण प्रदर्शित हुआ, जिसमें प्रमुख भूमिकाओं में है जमील खान, गीतांजलि कुलकर्णी, वैभवराज गुप्ता, सुनीता राजवर, हर्ष मायर एवं शिवंकित सिंह परिहार। ये कथा है भोपाल में रहने वाले विद्युत विभाग के कर्मचारी संतोष मिश्रा और उनके परिवार की, जो अपने मध्यम वर्गीय जीवन में कुछ न कुछ अनोखा अनुभव देखते हैं, और प्रयासरत रहते हैं कि कैसे परिवार के दिन बहुरे, जो लगभग हर मध्यम वर्गीय परिवार का एक सपना रहा है। कैसे संतोष मिश्रा और उनका परिवार इन अनुभवों से सीख लेता है और कैसे वे अपने जीवन का आनंद लेता है, ‘गुल्लक’ इसी का नाम है।

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आम जन की कहनी है गुल्लक!

जिस वेब सीरीज़ में ऐसे संवाद हो, “कलाकंद किसलिए? फिर से ट्रांसफॉर्मर बेच आए अवैध तरीके से?”, समझ जाइए कि आपकी यात्रा बहुत मंगलमय होने वाली है। OTT शो के साथ अक्सर यह शिकायत रहती है कि या तो वे पर्याप्त मनोरंजन नहीं कर पाती, और अगर एक संस्करण में कमाल करती हैं, तो दूसरे में पूरी तरह फुस्स हो जाती हैं। लेकिन ‘गुल्लक’ की कथा ही अनोखी है, हर संस्करण में एक अलग ही रूप, एक अलग ही दृष्टिकोण देखने को मिलता है।

मध्यम वर्गीय परिवारों का जितना सटीक और यथार्थवादी चित्रण इस वेब सीरीज़ ने किया है, उतना शायद ही किसी अन्य सीरीज़ ने किया हो। इसे देख तो कई दर्शकों को ‘हम लोग’ और कुछ हद तक ‘तारक मेहता का ऊलटा चश्मा’ की भी याद आए, जिन्होंने मध्यम वर्गीय परिवारों के विचारों और उनके सपनों को दिखाने का सार्थक प्रयास किया था।

रही बात अभिनय की, तो सभी ने अपने प्रदर्शन से अपनी भूमिकाओं में जान डाल दी है। चाहे संतोष मिश्रा के भूमिका में जमील खान हो, शांति मिश्रा की भूमिका में गीतांजलि कुलकर्णी हो, या फिर अन्नू मिश्रा के रोल में वैभव राज गुप्ता हो या अमन मिश्रा के रोल में हर्ष मायर, सभी ने अपनी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है। लेकिन एक विशेष उल्लेख होना चाहिए सुनीता राजवर का, जिन्होंने ‘बिट्टू की मम्मी’ के रोल में हम सभी को मोहल्ले / परिवार के उन लोगों की याद दिलाई, जो कहीं न कहीं, आवश्यकता हो या नहीं, टांग अड़ाने अवश्य पहुँच जाते थे। फिर हम शिवंकित सिंह परिहार को कैसे भूल सकते हैं? TVF के अनेक शो में अपनी अदाकारी से पहचान बना चुके इस कलाकार ने केवल अपनी आवाज से दर्शकों को जो तीन संस्करणों तक सम्मोहित किया है, और जिस प्रकार से ‘मिश्रा सदन’ के अनेक किस्सों से परिचित किया है, उसके लिए इनकी विशेष प्रशंसा बनती है।

जिस युग में वोक प्रजाति अपने फन भारत में फैलाने को तैयार है, जिस युग में भारत विरोधी, असामाजिक तत्व देश की संस्कृति को नष्ट करने के लिए उद्यत है, ऐसे समय में ‘गुल्लक’ केवल आशा की किरण नहीं, वो औषधि है, जिससे ऐसी महामारी का सामना डटकर किया जा सकता है, क्योंकि यही किस्से तो हैं, जो लोगों को एक दूसरे से जोड़ते हैं, और इस संसार को बेहतर बनाते हैं।

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