भारत: एक ऐसी वैश्विक महाशक्ति जिस पर पूरी तरह से निर्भर हो सकती है दुनिया

भारत सिर्फ एक देश नहीं, जुनून है, जज्बात है!

Super Power India

Source- TFIPOST

जब बात आती है वैश्विक मंच पर महाशक्ति के रूप में अपनी भूमिका निभाने की तो केवल एक देश है जो इस भूमिका के साथ न्याय करता है, वह है हमारा भारत। वैश्विक संकट की स्थिति में भारत ने सदैव संकट मोचक की भूमिका निभाई है, फिर चाहे संकट किसी एक राष्ट्र के ऊपर हो या सम्पूर्ण मानव जाति पर। कोरोना काल में दुनिया ने भारत का यह स्वरूप देखा है। जब दुनिया को HCQ की आवश्यकता पड़ी, भारत आगे आया, उसके बाद वैक्सीन मैत्री मिशन के अंतर्गत भारत ने 98 देशों को सहायता स्वरूप और कमर्शियल माध्यम से कुल 1704.464 लाख वैक्सीन सप्लाई की। अब तक UN के 49 पीस कीपिंग मिशन के अंतर्गत भारत ने 1,95,000 सैनिक भेजे हैं।

किसी देश में प्राकृतिक आपदा हो तो भारत वहां सबसे पहले सहयोग हेतु पहुंचता है। भारत ने वर्ष 2004 की सुनामी, वर्ष 2005 में भारत-पाकिस्तान भूकंप, क्रमशः वर्ष 2008 और वर्ष 2017 में नरगिस और मोरा चक्रवात, मालदीव में वर्ष 2014 का जल संकट और नेपाल भूकंप में भारत ने पड़ोसी देशों की सहायता की है। अभी अफगानिस्तान से अमेरिका के पलायन के बाद अफगानिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद बाधित हो गई थी, तब भारत ने अफगानिस्तान को तालिबान शासन के बाद भी खाद्यान्न संकट से बचाने के लिए मदद भेजी है और दवाइयां उपलब्ध करवाई। यूक्रेन युद्ध में भारत ने यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजी है।

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भारत ही वह देश है जो वैश्विक महाशक्ति का स्थान लेने योग्य है

2019 में गृह मंत्री अमित शाह ने जोर देकर कहा था कि “भारतीय उप-महाद्वीप में हम आपदा के मामले में पहले प्रतिक्रियाकर्ता की भूमिका निभा रहे हैं…भारत आपदा प्रबंधन और आपदा प्रतिरोध में पहल का नेतृत्व कर रहा है।” जहां एक ओर चीन अपने पड़ोसी देशों की भूमि पर अवैध कब्जा करता है, भारत सार्क के मंच का प्रयोग करके पड़ोसियों की सहायता करता है। यहां तक कि बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका जैसे देशों के सैनिकों की ट्रेनिंग भारत में होती है। भारत में अंगोला, अफगानिस्तान, भूटान, म्यांमार, घाना, इराक, जमैका, श्रीलंका, मलेशिया, नेपाल, नाइजीरिया, फिलीपींस, सिंगापुर, तंजानिया, युगांडा, यमन और जाम्बिया आदि कई देशों के सैनिक ट्रेनिंग पाते हैं। इसके अतिरिक्त कई देशों के सिविल सेवा के अधिकारी भारत में ट्रेनिंग करते हैं। हाल ही में भारत ने मालदीव में पुलिस अकादमी खोली है। इस अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) हैदराबाद में और मालदीव पुलिस सेवा के बीच एक MoU पर हस्ताक्षर किए गए है।

अगर हम भारत की तुलना अमेरिका से करें तो अमेरिका एक ऐसा देश है, जो अपने सहयोगियों को अपनी क्षमता से अधिक वादे करता है। यूक्रेन और अफगान नेशनल आर्मी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। अमेरिका ने वैश्विक संकट पैदा ही किये हैं। दुनिया में आधे से अधिक शरणार्थी संकट का कारण अमेरिका की वैश्विक पुलिसिंग की नीति है। वहीं, चीन की बात करें तो अपने पड़ोसी देशों को डराना, दूसरे देशों को डेब्ट ट्रैप में फंसाना, रिवर्स इंजीनियरिंग के द्वारा दूसरे देशों की बहुमूल्य तकनीक चुराना, यह चीन की उपलब्धियां हैं, जो उसे एक डाकू जैसी छवि प्रदान कर चुकी है। इसके अतिरिक्त यूरोपियन यूनियन महाशक्ति के रूप में स्वयं को स्थापित करने में असफल है, क्योंकि वह एकजुट नहीं है, जबकि रूस आर्थिक रूप से अशक्त है। ऐसे में भारत ही वह देश है जो वैश्विक महाशक्ति का स्थान लेने योग्य है।

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