रूस और मध्य एशिया के साथ भारत की बढ़ती मित्रता ने उड़ा दी है चीन की नींद

मध्य एशिया में चीन का मुकाबला करेंगे रूस और भारत

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रूस द्वारा यूक्रेन पर किया गया हमला रूस यूक्रेन और पश्चिमी देशों के लिए सिरदर्द तो है ही चीन के लिए भी बहुत बड़ा सिरदर्द बन चुका है। रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के कारण चीनी व्यापार प्रभावित हो रहा है। चीन द्वारा सेंट्रल एशिया क्षेत्र में बहुत सी इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाएं बनाई गई हैं और इन का अधिकांश भाग रूस से होकर जाता है। इनके माध्यम से चीन में बना उत्पाद यूरोप के बाजार तक पहुंचता है। किंतु पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंध के कारण रूप से आने वाले किसी भी फुटपाथ पर प्रतिबंध लग गया है। इस कारण चीन अपने औद्योगिक मार्गों का उपयोग नहीं कर पा रहा है। एक और यह चीज के लिए समस्या है वहीं दूसरी ओर यह भारत के लिए एक शुभ अवसर बन कर आया है और भारत इसका लाभ उठाने की तैयारी कर रहा है। आवश्यकता है इस प्रयास को और तेज करने की।

चीन द्वारा यूरेशिया क्षेत्र में जो इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाएं चलाई गई वह बेल्ट एंड रोड योजना BRI के अंतर्गत चलाई गई थी। किंतु रूस पर लगे प्रतिबंध के कारण बेल्ट एंड रोड योजना के अंतर्गत आने वाले यूरेशिया क्षेत्र के भाग का चीन कोई प्रयोग नहीं कर पा रहा है।

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वहीं दूसरी ओर भारत द्वारा पहले ही इस क्षेत्र में एक व्यापारिक मार्ग बनाया जा चुका है और इस खींचतान के बीच अधिकांश देशों द्वारा भारत के मार्ग को स्वीकार किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जिसकी लंबाई 7200 किलोमीटर है शिप, रेलवे और रोड का एक बहुआयामी मॉडल है। यह योजना ईरान अफगानिस्तान भारत अजरबैजान रूस और मध्य एशियाई देशों को यूरोप के साथ जोड़ती है।

किंतु इस क्षेत्र में पहले से मौजूद बेल्ट एंड रोड योजना के कारण भारत का महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट व्यापार का मुख्य मार्ग नहीं बन पा रहा था। अब जबकि यूक्रेन युद्ध के कारण बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट का प्रयोग करना कठिन हो गया है तो यह सही समय है जब भारत नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को बढ़ावा दे।

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बहुत बढ़िया है कि बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट द्वारा होने वाले यूरेशियन व्यापार का मूल्य 2020 में 50 बिलियन डॉलर था, जो अगले कुछ वर्षों में बढ़कर 100 बिलियन डॉलर होने वाला था।

रूस की भारत पर बढ़ती निर्भरता

हाल ही में दिल्ली में हुए एक सम्मेलन में भारत और मध्य एशियाई देशों ने पारस्परिक व्यापार को बढ़ाने का समझौता किया है। इसके अतिरिक्त भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हाल ही में तुर्कमेनिस्तान के दौरे पर गए थे। वहीं रूस की बात करें तो वह इस समय आर्थिक रूप से भारत पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है।

इस क्षेत्र का एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग जो काला सागर से होकर जाता है वह युद्ध के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चीन के व्यापारिक मार्ग पर जो रूस को चीन से जोड़ता है उस पर दबाव बढ़ रहा है। अतः भारत द्वारा निर्मित नॉर्थ साउथ कॉरिडोर एक बेहतर विकल्प है। ऐसे में भारत अपनी सकारात्मक और निष्पक्ष छवि तथा कूटनीतिक प्रभाव का प्रयोग करके इस कॉरिडोर को व्यापार का मुख्य मार्ग बना सकता है

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