भारत ने आखिरकार आयुर्वेद को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है

विश्‍व में बजेगा भारत के आयुर्वेद का डंका !

Modi ayurvedic

Source- TFI POST

आपदा में अवसर कैसे तलाशें यह पीएम मोदी से सीखना चाहे तो हर कोई सीख सकता है। जिस आयुर्वेदा को अंग्रेज़ी तंत्र एलोपैथी के सामने पानी पी पी कर कोसा और नकारा जाता था, कोरोनाकाल ने उसी आयुर्वेदा के सामने इस अंग्रेजी तंत्र को झुका दिया और आज विवश कर दिया है कि उपचार कराएँगे तो आयुर्वेदिक औषधि से ही। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को घोषणा की कि केंद्र जल्द ही उन विदेशी नागरिकों के लिए एक विशेष “आयुष वीजा” श्रेणी पेश करेगा जो चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल के तहत पारंपरिक चिकित्सा का लाभ उठाने के लिए भारत आना चाहते हैं। निस्संदेह अब भारतीय ही नहीं विदेशी भी आयुर्वेद को गंभीरता से लेने लगे हैं जो एक सार्थक सोच का ही परिणाम है।

दरअसल, गांधीनगर के महात्मा मंदिर में ग्लोबल आयुष इन्वेस्टमेंट एंड इनोवेशन समिट 2022 के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “इस वीजा के साथ, यह आयुष उपचारों (भारत में) तक पहुंचने के लिए यात्रा को आसान बना देगा।” उन्होंने कहा कि केंद्र के पास आयुष क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिए कई पहल हैं, जिसमें आयुष उत्पाद निर्माताओं के साथ औषधीय पौधों के किसानों को जोड़ने के लिए एक डिजिटल पोर्टल की स्थापना भी शामिल है। बुधवार को आयोजित इस कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख डॉ टेड्रोस अदनोम घेबियस, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ, केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल उपस्थित थे।

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भारत में पहले से आयुर्वेद पर हो रहा काम

निश्चित रूप से कोई ही चीज़ दान में देने के लिए नहीं होती है, यह तो फिर भी ज्ञान है वो भी आयुर्वेदिक ज्ञान। इसको निवेश का एक आयाम बनाने की योजना के तहत पीएम मोदी ने यह तय कर लिया कि आयुर्वेदा की स्वीकृति बढ़ते ही इसे सीखने के लिए लोग भारत का रुख तो करेंगे ही। इसे व्यावसायिक रूप से कैसे बढ़ावा दिया जाए इस तर्ज पर काम करने के लिए पीएम मोदी ने उपयोग किया “निवेश शिखर सम्मेलन” का।  पीएम मोदी के अनुसार, चूंकि निवेश शिखर सम्मेलन किसी भी क्षेत्र को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण हैं, पीएम मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आयुष शिखर सम्मेलन का विचार उन्हें कोविड -19 के दौरान आया था “जब दुनिया भर में कोरोना की व्यापक दहशत थी तब  हमने देखा कि कैसे आयुर्वेदिक दवाएं, आयुष काढ़ा और ऐसे कई अन्य उत्पाद लोगों को प्रतिरक्षा बढ़ाने में सहायता कर रहे थे। कोविड-19 के समय में भारत से हल्दी का निर्यात कई गुना बढ़ गया। नवाचार और निवेश किसी भी क्षेत्र की क्षमता को कई गुना बढ़ा देते हैं। अब समय आ गया है कि आयुष क्षेत्र में जितना हो सके निवेश बढ़ाया जाए।”

यह सत्य है कि, किसी भी संसाधन के अत्यधिक होने से आम जन उसके असला मूल्य को खो देते हैं, उसे थोक के भाव में बटोरने वाली सोच आम जनमानस में दिख जाती है। इसी बीच जिस आयुर्वेद का उदय ही भारत में हुआ अब उसे बाहरी देश अपनाने के साथ ही आत्मसात करने के क्रम में जुट गए हैं। पीएम मोदी ने भारत में कैसे आयुष के प्रति निवेश बढे उसे सांकेतिक रूप से संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, “चाहे वह प्राकृतिक पूरक हो, दवा आपूर्ति श्रृंखला, आयुष-आधारित निदान या टेलीमेडिसिन, चारों ओर नवाचार और निवेश की संभावनाएं हैं।  मोदी ने कहा कि एक ‘आयुष्मार्क’ भी विकसित किया जा रहा है, जिस पर विश्व स्तर पर उच्च गुणवत्ता का आश्वासन देने के लिए उत्पादों पर मुहर लगाई जाएगी। “पिछले कुछ वर्षों में, हमने 50 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। आयुष के लिए, 150 से अधिक देशों में एक बड़ा निर्यात बाजार खुल जाएगा। भारत एक आकर्षक चिकित्सा पर्यटन स्थल है।”

पारंपरिक दवाओं के कौशल पर बोलते हुए, मोदी ने केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री रैला ओडिंगा की बेटी रोज़मेरी ओडिंगा का उदाहरण दिया, जिन्हें केरल में आयुर्वेद उपचार द्वारा अंधेपन से ठीक किया गया था। उन्होंने कहा कि, ‘आत्मनिर्भर भारत’ रामायण के समय में भी मौजूद था जब “हनुमान बेहोश होने पर लक्ष्मण के लिए हिमालय से जड़ी-बूटियाँ लाए थे।”

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इस बीच, एक हल्के क्षण में, पीएम मोदी ने डॉ टेड्रोस को ‘तुलसीभाई’ कहा, जब डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने प्रधानमंत्री को उनके बचपन और विश्वविद्यालय के वर्षों के दौरान भारत और भारतीय शिक्षकों के साथ अपने लंबे संबंध के बारे में बताया था। मोदी ने कहा कि डॉ टेड्रोस पहले से ही गुजराती मूल के हैं। अब नाम बदली का क्रम चला है तो WHO प्रमुख भी इससे अछूते नहीं रहे हैं।

इतनी संभावनाओं के साथ ही पीएम मोदी ने जहाँ भारतीय लोगों को आयुर्वेद के प्रति आँखें खोली हैं, उन्होंने विदेशी तत्वों को भी उनके बढ़ते रुझान को भारत आकर भुनाने के लिए आमंत्रित कर दिया है क्योंकि वो आयुर्वद और उसकी बढ़ती स्वीकार्यता को भांप चुके हैं और इससे बेहतर अवसर और कोई हो नहीं सकता।

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