भारत के अगले सैन्य प्रमुख में वो सब है जिससे चीन और पाकिस्तान त्राहिमाम कर उठे

भागो, जनरल मनोज आया!

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे

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परिवर्तन ही प्रकृति का शाश्वत सत्य है और भारतीय सेना एक बार पुनः परिवर्तन की प्रक्रिया को गले लगाएगी, जब भारत के वर्तमान सैन्य प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का स्थान उपसैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे लेंगे परंतु इनकी नियुक्ति कई मायनों में ऐतिहासिक होगी। इसके साथ ही इनके नाम से ही पाकिस्तान और चीन में खलबली मचना तय है।

भारतीय सेना की कमान संभालेंगे लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे 

मीडिया सूत्रों के अनुसार, ये स्पष्ट हो चुका है कि लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे, जो अब तक भारतीय थलसेना यानीइंडियन आर्मी के सैन्य उप प्रमुख थे, अब वो जल्द ही 1 मई तक भारतीय सेना की कमान संभालेंगे। इसकी पुष्टि स्वयं भारतीय थलसेना के वर्तमान प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भी की, जिन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को इस नियुक्ति के लिए आधिकारिक तौर पर बधाई दी –

 

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे की नियुक्ति अनेक मायनों में ऐतिहासिक है। वे प्रथम ऐसे आर्मी अफसर हैं, जो अभियांत्रिकी यानी इंजीनियरिंग विभाग से आते हैं और बतौर सेनाध्यक्ष नियुक्त किये गए हैं। परंतु यह अवसर बहुत पूर्व ही भारतीय सेना में एक अफसर को मिल सकता था यदि कुत्सित राजनीति आड़े न आई होती।

वर्ष था 1973, जब भारत के सबसे प्रतिभाशाली योद्धाओं में से एक, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ सेवानिवृत्त होने वाले थे। उन्होंने अपनी ओर से अपने उत्तराधिकारी हेतु लेफ्टिनेंट जनरल प्रेमेन्द्र सिंह भगत का नाम सुझाया। वे सैन्य अफसरों के बीच बड़े लोकप्रिय भी थे, और वे भारत के सबसे उत्कृष्ट अफसरों में से एक भी थे। वे उन चंद भारतीय अफसरों में भी सम्मिलित थे, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश इंडियन आर्मी की ओर से लड़ने हेतु विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जो ब्रिटिश शासन का सर्वोच्च सैन्य सम्मान माना जाता है। परंतु उनके स्थान पर गोपाल गुरुनाथ बेवूर को सैन्य प्रमुख बनाया गया, जो बाद में कांग्रेस प्रशासन में डेनमार्क में भारतीय राजदूत भी बने।

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लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे का प्रोफ़ाइल है दमदार

परंतु यही एक कारण नहीं है जिसके पीछे लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे की सैन्य प्रमुख के रूप में नियुक्ति बड़ी महत्वपूर्ण है। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे का प्रोफ़ाइल ऐसा है कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही त्राहिमाम कर उठेंगे।

वो कैसे? 2001 में जब संसद पर आतंकियों ने हमला किया तो प्रत्युत्तर में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन पराक्रम’ चलाया था, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तब तत्कालीन मेजर मनोज पांडे ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ पल्लनवाला सेक्टर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान एक इंजीनियर रेजिमेंट की कमान संभाली। 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद सेना ने ऑपरेशन पराक्रम चलाया था, जिसके अंतर्गत पाकिस्तान से आतंकियों को होने वाले हथियारों की सप्लाई के नेक्सस को बुरी तरह ध्वस्त कर दिया गया था।

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ले. जनरल पांडे की और भी है उपलब्धि

यही नहीं, ले. जनरल पांडे सेना प्रमुख बनने वाले कोर ऑफ इंजीनियर्स के पहले अधिकारी होंगे। इस पद पर अब तक इन्फैंट्री, आर्मर्ड और आर्टिलरी अधिकारियों का कब्जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल पांडे, जो पूर्वी सेना कमांडर रहे हैं और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ प्रौद्योगिकी के अधिक एकीकरण के प्रमुख समर्थकों में से एक हैं। वह अपने साथ सेना प्रमुख की कुर्सी पर ऑपरेशनल और रसद दोनों प्रकार का अनुभव साथ लाएंगे।

ऐसे में ले. जनरल मनोज पांडे की नियुक्ति से दो बातें स्पष्ट होती हैं पहली ये कि अब भारतीय सेनाएं आधुनिकीकरण से मुंह नहीं मोड़ने वाली और दूसरी ये कि वह हर मोर्चे पर हर प्रकार के शत्रु से भिड़ने को तैयार है। भारत के भावी सैन्य प्रमुख में वो सभी गुण उपस्थित है, जो हमारे पड़ोसियों के कुटिल नीतियों को न तो सफल होने देंगे, और न ही उन्हें चैन की नींद सोने देंगे।source

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