भारतीय क्रिकेटरों ने रामनवमी की बधाई दी तो इस्लामवादी भड़क गए

राम नाम सुनते ही कट्टरपंथियों की सुलग पड़ती है!

रामनवमी बधाई

एक होते हैं चटक एक होते हैं चमन, इन सभी की सोच एक ही होती है अनपढ़ों की भांति तिल का ताड़ बनाना और मुद्दा विहीन होने पर जबरन मुद्दे खोदकर निकालना। यदि ये लोग धर्म के नाम पर वैमन्सयता फ़ैलाने का काम करते हैं तो वो जायज और एक व्यक्ति अपने त्योहारों और आराध्य को पूजे तो वो एजेंडा हो जाता है। इस दोगलेपन को यह शैतानी तत्व स्वयं ही उजागर करते आए हैं। अपने धर्म के नाम पर जिन लोगों ने हमेशा से ही कट्टरता फ़ैलाने के अतिरिक्त कुछ और नहीं किया वो अब रामनवमी के अवसर पर बधाई देने वाले भारतीय क्रिकेटरों को उपदेश देने में लग गए हैं।

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रामनवमी की बधाई से लिबरलों की सुलग गयी

दरअसल, इस रामनवमी जहां एक ओर सभी भक्त अपने आराध्य प्रभु श्रीराम की भक्ति में तल्लीन थे तो वहीं दूसरी तरफ इसे पचा न पाने वाले जिहादी रामनवमी को हर ओर से दूषित करने में लगे हुए थे। फिर चाहे विभिन्न क्षेत्रों में निकल रही झांकी या शोभायात्रा हो या अन्य सामाजिक-धार्मिक कार्यक्रम सभी में इन जिहादी तत्वों ने बवाल मचाया, ऐसे में सबसे बड़ा शस्त्र कैसे छूट जाता, “सोशल मीडिया।” इसके माध्यम से रामनवमी वाले दिन जिस भी बड़ी हस्ती या शख्सियत ने राम नवमी की बधाई दी, लिबरलों की सुलग गई और पीड़ा कहां कहां पहुंची इसका अनुमान न ही लगाएं तो बेहतर है।

इन सभी तत्वों की सोच ऐसी है कि यदि कोई बड़ी नामी शख्सियत हिन्दू है तो उसकी जवाबदेही अपने पेशे से है और यदि वो व्यक्ति उस पेशे से जुड़े अन्य धर्म के लोगों के साथ अपनी नीतियां बराबर साझा करना चाहता है तो उसे अपने धर्म को आगे बढ़ाने की सोचनी भी नहीं चाहिए। वो बात अलग है कि कट्टरपंथी तत्वों को अपने धर्म के प्रचार-प्रसार, जबरन धर्मांतरण जैसे कुकर्मों को करने की खुली छूट है क्योंकि यह उनका तथाकथित जन्मसिद्ध अधिकार है।

दरअसल, रामनवमी वाले दिन कई प्रसिद्ध और नामचीन हस्तियों ने अपने ट्विटर हैंडल से सभी को बधाई प्रेषित की थीं, इनमें कुछ क्रिकेटर और पूर्व क्रिकेटर ऐसे थे जिनको रामनवमी वाले दिन इन्हीं जिहादी तत्वों ने अपना निशाना बनाया और उनकी आस्था को नफरत फ़ैलाने का साधन बता दिया। क्रिकेटर ऋषभ पंत ने ट्वीट किया था कि,”रामनवमी के पावन अवसर पर सभी को शुभकामनाएं। बलिदान के प्रतीक भगवान राम आपको और आपके परिवार को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें। जय श्री राम। #रामनवमी”

इस पर जिहादी ट्वीटर हैंडल से  लिखा गया कि, “ऐसे त्योहार का क्या फायदा जो नफरत फैलाने का काम करे?”

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एक और युवा ने दी बधाई

एक और युवा और नौजवान खिलाडी अनुज रावत ने रामनवमी की बधाई देते हुए लिखा कि, “आप सभी को रामनवमी की शुभकामनाएं।” कुल मिलकर पांच शब्दों में दिए गए इस बधाई सन्देश ने लिबरलों के स्थान विशेष में उष्मित ज्वाला का संचार हो गया। एक और मंदबुद्धि यूजर ने लिखा कि, “भाई क्रिकेट पर ध्यान दे, हेट मत फैला।”

न जाने कहां से चले आते हैं ऐसे ज्ञानबहादुर, मतलब रामनवमी की बधाई दे दी तो नफरत फ़ैल गई चारों ओर, ऐसे में रात में सड़कों पर हुड़दंग और बाइक स्टंट करने वाले दिनों को यदि याद कर लिया होता तो शायद इनकी बोलती बंद रहती। जितनी नफरत ऐसे दंगे और आम जन के समय को बर्बाद करके फैलाई जाती रही है, असल नफरत उसे कहते हैं।

पूर्व क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद जो आस्था के हर पहलु में 100 प्रतिशत अंक लेते हैं उनके राममय होने का प्रमाण है। रामनवमी पर भी अपने बधाई संदेश को अनूठे रूप में पेश करते हुए लिखा कि, “सीताराम सीताराम सीताराम कहिए, जाही विधि रखे राम ताहि विधि रहिए। कहो सीताराम, सीताराम, सीताराम। भगवान राम जिस भी प्रकार से आपको स्थान दें, उसमें सुख से रहें। आपकी जुबान पर राम का नाम हो, उनका काम आपके हाथों में हो। प्रिय आप अकेले नहीं हैं। राम तुम्हारे साथ है। #रामनवमी”

इस तरह के सभी बधाई संदेशों से जो विशेषकर बड़ी हस्तियों द्वारा किए गए, जिहादी सोच के अनुयायी रूठ गए और अब्बा नहीं मानेंगे सोचकर उन्हीं अब्बाजानों से पंगा लेने लगे।  फिर क्या था, भारतीय क्रिकेटरों ने रामनवमी की बधाई दी तो इस्लामवादी भड़क गए।

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