भगवान श्री राम, माँ सीता, बजरंगबली जैसे हिन्दू आराध्य देवताओं और गोधरा में मारे गए हिंदुओं की मृत्यु का मजाक बनाने वाले कथित हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी को कंगना रनौत द्वारा संचालित एक टीवी प्रोग्राम में अपनी व्यथा गाने का अवसर दिया गया है। हम बात कर रहे हैं कंगना रनौत के ‛लॉकअप’ नाम से एक धारावाहिक ऑनलाइन प्लेटफार्म पर दिखाया जा रहा है जिसमें मुनव्वर फारुकी को एक प्रतिभागी के रूप में शामिल किया गया है। इस धारावाहिक में रविवार के दिन जजमेंट डे नाम से एक विशेष कार्यक्रम रखा जाता है जिसमें प्रतिभागियों को अपने जीवन से जुड़ी एक कहानी बतानी होती है। इस रविवार को मुनव्वर फारूकी ने अपनी मां के मरने की कहानी सुनाई है।
फारुकी ने किया माँ की मृत्यु का खुलासा
फारुकी ने बताया “2007 की जनवरी सुबह करीब 7 बजे मेरी दादी ने मुझे जगाया और कहा कि मेरी मां को कुछ हो गया है। हमें उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। जब मैं वहां पहुंचा तो वे मेरी मां को इमरजेंसी वार्ड से बाहर ला रहे थे वो चिल्ला रही थी और मैं उसका हाथ पकड़ रहा था। एक वक्त ऐसा भी आया जब डॉक्टरों ने आपस में बात की और मुझे उसका हाथ छोड़ने को कहा। उन्होंने मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर किया, मुझे एहसास हुआ कि मेरी माँ की मृत्यु हो गई है। मैं अभी भी इसे जाने नहीं दे सकता। मुझे हमेशा लगता है कि अगर मैं उस रात अपनी माँ के साथ सोया होता, तो शायद चीजें अलग होतीं, अगर मैं पहले अस्पताल पहुँचा होता। डॉक्टरों ने हमें यह भी बताया कि मेरी माँ के पास आठ दिनों से खाने के लिए कुछ नहीं था। अपनी शादीशुदा जिंदगी के 22 साल तक मेरी मां खुश नहीं थीं। अपने पूरे जीवन में, मैंने उसे पीटते देखा या अपने माता-पिता के बीच झगड़ों को देखा।”
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फारुकी के लिए कॉमेडी कंटेंट है ‘हिंदुओं’ की मृत्यु
निश्चित रूप से मुनव्वर फारूकी की मां की कहानी दुखद है। फारूकी ने बताया कि उसकी मां की मृत्यु ऐसीड पीने से हुई थी। लेकिन हर माँ और बेटे के बीच एक बहुत प्यारा संबंध होता है। 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से अहमदाबाद को जा रही साबरमती एक्सप्रेस से गोधरा स्टेशन पर जब आग लगाई गई थी तो उसमें 59 हिंदू जीवित जलकर मर गए थे। उनमें से 27 महिलाएं और 10 बच्चे थे। उनका भी परिवार था, उनके भी सगे संबंधी थे। जब फारूकी अपने कथित हास्य कार्यक्रम में कुल 59 लोगों की मृत्यु का मजाक बनाता है तो उसे अपनी मां की मृत्यु याद नहीं आती।
Country today not even have their names. We have never tried reaching out the martyrs families or those survivors who suffered severe burns. We didnt raise funds for them.
We don't even have the full list of 58 dead and 40 injured Kar Sevaks.
Today is their 20th Punya tithi🙏🙏 pic.twitter.com/aooFGkTkMz— Raghunath AS (Modi Kutumbi)🇮🇳 (@asraghunath) February 27, 2022
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जलने पर दर्द केवल फारूकी की मां को नहीं उन सभी माताओं और बहनों को पूरा होगा जो 27 फरवरी को गोधरा पहुंची साबरमती एक्सप्रेस में बैठी थी, उन बच्चों को भी हुआ होगा जिनको यह भी नहीं समझ आया होगा कि उन्हें घेरकर पत्थर मार रहे गोल जालीदार टोपी पहने लोग कौन हैं, लेकिन फारूकी के लिए यह सब कॉमेडी कंटेंट है।
WARNING: Gruesome pictures. Even THESE horrific killings weren't enough to melt hearts of media-politicians & Leftist 'secularists' https://t.co/Ym9cD4N8d3 who rubbed salt in wounds of the people after #Godhra Even today, they won't accept Godhra was a planned massacre (7) pic.twitter.com/69VwAjopWA
— Gujaratriots.com (@Gujaratriotscom) February 27, 2020
स्वयं को राष्ट्रवादी कहने वाली कंगना रनौत, जो स्वयं हिंदुत्व की प्रखर वाचक बनने का प्रयास करती हैं, उन्हें फारूकी को मंच देना चाहिए था अथवा नहीं, यह विचारणीय है। एक ऐसा व्यक्ति जिसके हास्य में उसकी जिहादी मानसिकता झलकती है, उसे मंच देकर अपनी दर्द भरी कहानी सुनाने का मौका दिया गया, जिसे हिंदुओं ने नकार दिया, लेकिन उसे पुनः मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया गया है और इसका माध्यम बनी हैं कंगना रनौत। माँ से जुड़ी कहानियां अल बगदादी, हाफिज सईद, मौलाना मसूद के पास भी होंगी, तो क्या कंगना उन्हें भी मंच दे देंगी। यह भी सोचने वाली बात है।
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