केरल की वामपंथी सरकार भी ‘गुजरात मॉडल’ का लोहा मान रही, अपनाने को है बेताब

वामपंथियों की बुद्धि खुल गयी है!

गुजरात मॉडल केरल

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प्रसिद्ध ‘गुजरात मॉडल’ नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए गढ़ा गया था। इसके बाद ही नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का 2014 का चुनावी अभियान विकास के “गुजरात मॉडल” के इर्द-गिर्द बना रहा था। मुख्यमंत्री के रूप में मोदी के कार्यकाल के दौरान राज्य में उच्च विकास दर का अनुभव किया गया था। दरअसल जब नरेंद्र मोदी एक दशक से अधिक समय तक गुजरात राज्य की सेवा करने के बाद प्रधानमंत्री के रूप में अपनी नई भूमिका निभाने के लिए नई दिल्ली चले गए तो अधिकांश ने भविष्यवाणी की कि राज्य का विकास अब मंदी में होगा। नागरिकों को कम ही पता था कि नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी राज्य विकास के पथ पर आगे बढ़ता रहेगा।

केरल की वामपंथी सरकार भी गुजरात मॉडल को अपनाने में जुटी

विपक्षी पार्टियां कितना भी नरेंद्र मोदी पर राजनीतिक हमला करें लेकिन गुजरात मॉडल को लेकर वो कुछ नहीं कह पाते क्योंकि उन्हें अच्छे से ज्ञात है कि मोदी ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान गुजरात के विकास को आसमान तक पहुंचा दिया था। आज फिर एक बार गुजरात मॉडल को लेकर देश में चर्चा शुरू हो गई है और इस बार केरल की वामपंथी सरकार भी गुजरात मॉडल को अपनाने में जुट गई है।

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दरअसल, केरल की सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार ने भाजपा शासित राज्य द्वारा शुरू की गई सुशासन की प्रणाली का अध्ययन करने के लिए दो सदस्यीय उच्च स्तरीय आधिकारिक टीम को गुजरात भेजने का फैसला किया। केरल के मुख्य सचिव वीपी जॉय और उनके कर्मचारी अधिकारी उमेश NSK गुजरात में सीएम के डैशबोर्ड का अध्ययन करने के लिए 27 अप्रैल से 29 अप्रैल तक राज्य का दौरा करने वाले हैं।

वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने गुजरात में डैशबोर्ड सिस्टम का अध्ययन करने के लिए मुख्य सचिव को भेजने के केरल सरकार के फैसले की सराहना की और कहा कि सीएम विजयन ने महसूस किया था कि गुजरात मॉडल सही मॉडल है। उन्होंने ट्वीट किया,“आखिरकार केरल सरकार ने विकास के गुजरात मॉडल का अध्ययन करने का फैसला किया है। हमारे राज्य को गुजरात से बहुत कुछ सीखना है, खासकर प्रशासनिक, औद्योगिक और ऊर्जा क्षेत्रों में। उन्होंने आगे कहा, केरल केवल भ्रष्टाचार, फालतू और भाई-भतीजावाद को समाप्त करके ही जीवित रह सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि सीएम विजयन को ‘असफल केरल मॉडल’ को छोड़ देना चाहिए और सफल गुजरात मॉडल को दक्षिणी राज्य में लागू करना चाहिए। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष AP अब्दुल्लाकुट्टी ने भी गुजरात में सुशासन की सहायता करने वाली प्रणाली का अध्ययन करने के लिए एक टीम भेजने के केरल सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि राज्य को राज्य द्वारा संचालित परिवहन बसों को चलाने के तरीके का अध्ययन करने के लिए उत्तर प्रदेश में एक टीम भी भेजनी चाहिए।

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कांग्रेस प्रमुख ने राज्य सरकार पर हमला बोला

वहीं कांग्रेस प्रमुख के सुधाकरन ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार पर हमला बोला और यह जानना चाहा कि क्या माकपा सरकार केरल का अनुकरण करने की योजना बना रही है जैसा कि गुजरात में अपनाया गया था।

सुधाकरन ने गुजरात को ‘अल्पसंख्यकों के खून में लथपथ हिंदुत्ववादी विचारधाराओं का प्रजनन स्थल’ करार दिया और आरोप लगाया कि केरल के अधिकारियों के गुजरात दौरे को भाजपा और माकपा के बीच संबंधों के विस्तार के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए। इस बीच, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता विधायक पी के कुन्हालीकुट्टी ने कहा कि केरल को गुजरात से कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है।

फिलहाल की बात करें तो एक बैठक हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के बीच जिसमें चर्चा का एक विषय ‘गुजरात मॉडल’ भी रहा। फिर जब मुख्यमंत्री लौटे तो उसके बाद उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश जारी किया कि प्रणाली का अध्ययन किया जाए।

यह मोदी सरकार द्वारा किए गए काम ही हैं जिसे हर किसी ने सराहा है और आज एक वामपंथी सरकार द्वारा उस मॉडल की सराहना करना और उसे अपनाना इस बात को दर्शाता है कि विपक्षी पार्टी खुल कर कुछ भी बोलने से बचने का प्रयास जरूर कर सकते हैं पर उनका भी नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल पर अटूट विश्वास दिख रहा है।

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