योगी जो कर रहे हैं वो ठीक है, तारीफ कर दी वो भी ठीक है पर आप खुद क्या कर रहे हैं यह विचारणीय है। बुलडोज़र मॉडल को जितनी सराहना देशभर से मिल रही है, उससे अधिक सराहना अब अवैध लाउडस्पीकरों को निपटाने के लिए मिल रही है। इसका जितना प्रभाव भाजपा शासित राज्यों पर पड़ रहा है, उससे अधिक प्रभाव गैर-भाजपा शासित राज्यों पर पड़ रहा है। महाराष्ट्र में राजनीति कम और सियासी रंजिश ज़्यादा देखने को मिल रही है और अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे की बात कर लें तो पता चलता है कि वो योगी के प्रशंसक बनने के साथ ही उद्धव ठाकरे सरकार के कड़े आलोचक बनते दिख रहे हैं, पर असल में वो धरातल पर अब भी शून्य सिद्ध हो रहे हैं।
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— Raj Thackeray (@RajThackeray) April 28, 2022
आप एक्शन में कब आएंगे राज ठाकरे?
दरअसल, राज ठाकरे इन दिनों उद्धव सरकार को घेरते तो दिख रहे हैं पर असल में जिस विरोधी आवाज़ की आवश्यकता है, उसकी पूर्ति न मनसे कर पा रही है और न ही उद्धव ठाकरे। ऐसे में आदरणीय राज ठाकरे जी, योगी मॉडल की तारीफ करना बहुत अच्छी बात है, पर सवाल जस का तस बना हुआ है कि जनता आपको कब एक्शन मोड़ में देख पाएगी। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे, जिनके मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के आह्वान ने राज्य और अन्य जगहों पर पूरे हनुमान चालीसा विवाद को उभारा, उन्होंने बीते गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यूपी के धार्मिक स्थलों, विशेष रूप से मस्जिदों से हजारों लाउडस्पीकर हटाने के लिए बधाई दी और धन्यवाद दिया। राज ठाकरे ने संदेश दिया कि “मैं उत्तर प्रदेश के योगी सरकार की ओर से धार्मिक स्थलों, खासकर मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए जाने के अभियान का समर्थन करता हूं। मैं इस अभियान के लिए योगी सरकार को बधाई देता हूं। दुर्भाग्य से महाराष्ट्र में इस समय योगी नहीं भोगी सरकार चल रही है।”
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योगी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं ठाकरे
आपको बताते चलें कि पिछले कुछ दिनों में यूपी सरकार धार्मिक स्थलों से 11,000 से अधिक लाउडस्पीकरों को हटाने में कामयाब रही है, जबकि अन्य 35,000 लाउडस्पीकरों की मात्रा को अनुमेय स्तर तक कम कर दिया गया है। इस महीने की शुरुआत में गुड़ी पड़वा सभा में अपने संबोधन में, राज ठाकरे ने कहा था कि यदि राज्य सरकार राज्य में मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाती है, तो उनकी पार्टी के कार्यकर्ता मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा बजाएंगे। बाद में उन्होंने राज्य सरकार को 3 मई से पहले मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का अल्टीमेटम भी दिया।
इन सभी के बावजूद मनसे और राज ठाकरे उस आक्रामकता को नहीं भुना पाए, जिसकी अपेक्षा राज्य की जनता को थी। ज्ञात हो कि शिवसेना के सेक्युलर चोले को ओढ़ने के बाद उसके हिंदूवादी टैग को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अपने पाले में लाना चाह रही थी पर ऐसा हुआ नहीं। चूंकि राज ठाकरे न ही उस मुखरता के साथ सामने आए जितनी ज़रुरत थी 0और न ही उनके भीतर बालासाहेब ठाकरे की बल-बुद्धि-विवेक वाली त्रिकोणीय शक्ति थी, जो वो इस बार आए इस मौका को दुरुस्त कर पाते!
सौ बात की एक बात यह है कि एक सर्वमान्य नेता बनने के लिए एक व्यक्ति को कई बड़े कदम और कई जोखिम उठाने पड़ते हैं और आज की राजनीति में जोखिम किसी को नहीं पर मेवा सभी को चाहिए। हिंदूवादी मेवे की आपक में मनसे और राज ठाकरे चिल्ला-चिल्ला कर भाजपा और योगी सरकार की तारीफ में कसीदे तो पढ़ रहे हैं, पर अन्तोत्गत्वा बात वहीं आ गई कि आदरणीय राज ठाकरे, योगी मॉडल की तारीफ करना बहुत अच्छा है, पर आपको कब एक्शन मोड़ में देखने का सुअवसर प्राप्त होगा?
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