एक समय किसी फिल्म में सुना था, ‘फिल्में सिर्फ तीन चीजों पर चलती है – Entertainment, Entertainment, Entertainment’। इस संवाद का तात्पर्य तब तो बिल्कुल नहीं समझ आया, लेकिन आज कई मायनों में इसका अर्थ स्पष्ट है। मनोरंजन फिल्म का एक अभिन्न अंग है, ये गायब, तो फिल्म का मूल उद्देश्य गायब, और इसे जो भी दर्शकों के सामने अपने प्रतिभा से प्रस्तुत करने में सफल रहता है, वो दर्शकों का दुलारा बन जाता है।
अपने थलाईवा यानि रजनीकान्त से कौन परिचित नहीं है। तमिल उद्योग के सबसे प्रसिद्ध सितारों में से एक रजनीकान्त अपनी अदाकारी के लिए भारत के कोने कोने में प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आपको पता है कि उनके अलावा भी कोई है जो उनके जितना ही पूरे भारत में लोकप्रिय है, जिसके अभिनय से अनेकों भारतीय प्रभावित हैं, वो भी बिना एक भी हिन्दी फिल्म किये? ये हैं अल्लु अर्जुन, जो इस समय बहुभाषीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक हैं।
8 अप्रैल 1982 को चेन्नई [तत्कालीन मद्रास] में जन्मे अल्लु अर्जुन एक प्रभावशाली परिवार से संबंध रखते हैं। इनके दादा अल्लु रामलिंगैया तेलुगु उद्योग में प्रसिद्ध हास्य अभिनेता थे, जबकि पिता अल्लु अरविन्द तेलुगु फिल्म उद्योग के सुप्रसिद्ध निर्माता हैं। इनके संबंध तेलुगु सुपरस्टार चिरंजीवी से भी हैं। ऐसे में बाल्यकाल से ही ये फिल्मों से काफी प्रभावित थे।
प्रारंभ में विजेता नामक फिल्म में बाल कलाकार के रूप में अपना करियर प्रारंभ करने के पश्चात अल्लु अर्जुन ने 2003 में फिल्म उद्योग में पदार्पण किया, जब उन्होंने गंगोत्री नामक फिल्म से डेब्यू किया। लेकिन इन्हे प्रसिद्धि मिली अगले ही वर्ष प्रदर्शित फिल्म ‘आर्या’ से, जिससे वे तेलुगु उद्योग में जाना पहचाना नाम बन गए।
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यूं तो वंशवाद हेय की दृष्टि से देखा जाता है, विशेषकर जब बात फिल्म उद्योग की हो। लेकिन अल्लु अर्जुन उन अपवादों में से निकले, जो अपनी प्रतिभा के दम पर चमके। ‘आर्या’ तो प्रारंभ था, इसके बाद तो मानो सफलता उनके लिए बाएँ हाथ का खेल बन गई। ‘आर्या 2’ से लेकर अनेक फिल्में प्रदर्शित हुई, जिन्हें हिन्दी में भी डब किया गया। अल्लु अर्जुन ने एक बार भी बॉलीवुड की ओर झांका तक नहीं, लेकिन उनकी लोकप्रियता भारत भर में किसी बॉलीवुड स्टार से कम भी नहीं थी।
इसी बीच ‘बाहुबली’ के उद्भव से क्षेत्रीय सिनेमा, विशेषकर तेलुगु सिनेमा का प्रभाव और भी अधिक बढ़ गया, और ऐसे में अल्लु अर्जुन कैसे पीछे रहते? ‘रुद्रमादेवी’ में चाहे ऐतिहासिक रोल निभाने हो, या फिर ‘DJ – दुव्वड़ा जगन्नादम’ जैसे अनोखे फिल्मों को बढ़ावा देना हो, आप बस बोलते जाइए और अल्लु अर्जुन ने हर क्षेत्र में हाथ आजमाया।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मोड़ आया 2021 में, जब ‘आर्या’ के निर्देशक सुकुमार ने प्रदर्शित की ‘पुष्पा – द राइज़’। आंध्र प्रदेश के शेषाचलम वन में लाल चंदन की तस्करी पर आधारित इस फिल्म में अल्लु अर्जुन प्रमुख भूमिका में थे, और ये फिल्म ऐसे समय पर प्रदर्शित हुई, जब एक ओर ‘स्पाइडर मैन – नो वे होम’ जैसी बड़ी हॉलीवुड फिल्म सामने थी, और दूसरी ओर ‘83’ जैसी बहुप्रतीक्षित फिल्म।
अब ‘पुष्पा’ पूर्णतया एक विशुद्ध मास्टरपीस तो थी नहीं, न ही बाहुबली की तरह अभूतपूर्व या KGF की भांति पैसा वसूल थी। परंतु अल्लु अर्जुन की स्टार पावर और फिल्म का entertainment वैल्यू ऐसा था कि उसने न केवल ‘83’ की लंका लगा दी, बल्कि ‘स्पाइडर मैन’ को भी नाकों चने चबवाने पर विवश किया। ऐसे में अल्लु अर्जुन सिर्फ एक अभिनेता नहीं, अपने आप में एक ब्रांड है, और कल्पना कीजिए, और शायद इसीलिए पुष्पा में डायलॉग भी है –
पुष्पा को फ्लावर समझे क्या? फायर है फायर!
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