थ्री इडियट्स फिल्म के एक गाने के बोल हैं कि confusion ही confusion है सॉलूशन का कुछ पता नहीं। दरअसल यह बोल राहुल गांधी के लिए सटीक बैठता है और ऐसा इसलिए क्योंकि राहुल गांधी भी राजनीति के क्षेत्र में एक कन्फ्यूज्ड नेता हैं, उनको पता ही नहीं कि कब और क्या बोलना है। राजनीतिक पंडित तो राहुल गांधी को भाजपा का राष्ट्रीय प्रचारक तक कह चुके हैं वो इसलिए क्योंकि राहुल बाबा कुछ न कुछ ऐसा तर्कहीन बयान दे देते हैं जिससे दूसरी पार्टियों को चुनाव में लाभ मिल जाता है।
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तर्कहीन बयानों के लिए चर्चाओं में हैं राहुल गांधी
आज के परिदृश्य की बात करें तो राहुल गांधी फिर से अपने तर्कहीन बयानों के लिए चर्चाओं में हैं। एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने बसपा प्रमुख मायावती पर ऐसा राजनीतिक हमला कर दिया कि मायावती भी राहुल गांधी पर जमकर पलटवार करने की आवश्यकता पड़ा गयी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने की पेशकश की थी और पार्टी प्रमुख मायावती को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया था। हालांकि, मायावती ने कोई जवाब नहीं दिया और सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों के डर से भाजपा के लिए राज्य में जीत का रास्ता साफ कर दिया।
फिर क्या था राहुल गांधी के बयान के बाद मायावती ने भी प्रेस सबोधन किया। मायावती ने रविवार को राहुल गांधी के दावों को खारिज करते हुए कहा कि इनमें कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने आगे कहा ,”राजीव गांधी ने कांशीराम को सीआईए का एजेंट बताकर बसपा को बदनाम करने की कोशिश की। अब उनका बेटा उनके नक्शे कदम पर चल रहा है और झूठे आरोप लगा रहा है कि मुझे भाजपा की केंद्रीय एजेंसियों से डर लगता है।
उन्होंने राहुल गांधी के इस बयान को भी खारिज कर दिया कि कांग्रेस ने बसपा के साथ गठबंधन में लड़ने की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। राहुल गांधी के इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कि बसपा ने भाजपा की जीत का रास्ता साफ कर दिया है। मायावती ने कहा, “कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ अपनी लड़ाई में खराब प्रदर्शन किया है। पार्टी को भाजपा से मुकाबला करने में अपना खुद का रिकॉर्ड देखना चाहिए और फिर बसपा पर बोलना चाहिए। ”
मायावती ने कहा ,”किसी अन्य पार्टी पर बोलने से पहले, आपको अपने अंदर झांकना चाहिए और अपने घर को व्यवस्थित करना चाहिए,”। मायावती ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव में अपनी पार्टी की हार के कारणों के बारे में बात की थी और कांग्रेस को भी इसकी जांच करनी चाहिए।
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बसपा सुप्रीमो ने कांग्रेस पर जड़े खूब आरोप
बसपा सुप्रीमो ने कांग्रेस पर दलितों और समाज के अन्य वंचित वर्गों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए अपने लंबे कार्यकाल के दौरान कोई ठोस कदम उठाने में विफल रहने का भी आरोप लगाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि समुदाय को आरक्षण सहित विभिन्न अन्य सुविधाओं का पूरा लाभ नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के इस रवैये के कारण ही बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर, जो कांग्रेस सरकार में तत्कालीन कानून मंत्री थे, उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
बीएसपी नेता ने बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के कांग्रेस के दावों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने पिछला (2017) यूपी विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ लड़ा था। इसके बावजूद वह भाजपा को सत्ता में आने से नहीं रोक सकी। कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि, हम ऐसी पार्टी नहीं हैं, जहां राहुल गांधी जैसा नेता जबरन संसद में पीएम को गले लगाता है, हम ऐसी पार्टी नहीं हैं, जिसका दुनियाभर में मजाक उड़ाया जाता है।
अंत में, उन्होंने कांग्रेस पर 2007 से 2012 तक सत्ता में रहने के दौरान उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार के काम को रोकने का भी आरोप लगाया। उस समय कांग्रेस केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही थी। राहुल गांधी पर मायावती यही नहीं रुकी उन्होंने आगे कहा कि राहुल और उनकी पार्टी ने जिस तरह से बसपा पर टिप्पणी की थी, जो स्पष्ट रूप से जातिवादी मानसिकता और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रति द्वेष की भावना को दर्शाती है। साफ़ शब्दों में कहें तो मायावती ने राहुल गांधी को छठी का दूध याद दिला दिया है।
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दोनों पार्टियों ने अपना जनाधार खो दिया है
आज जिस तरह से कांग्रेस और बसपा एक दूसरे के साथ आरोप-प्रत्यारोप का खेल, खेल रहे हैं लेकिन सत्य यह है कि दोनों पार्टियों ने अपना जनाधार खो दिया है। आपको बता दें कि राजनीतिक रूप से मायावती कभी बहुत शक्तिशाली नेत्री थीं। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री होने के कारण, उन्हें भारत के सबसे महत्वपूर्ण नेताओं के रूप में देखा जाता था। मायावती कभी किंगमेकर हुआ करती थीं और अब कुछ भी नहीं या यूं कहें कि अब शून्य हैं। उन्होंने नई दिल्ली में केंद्र सरकारों द्वारा लिए गए निर्णयों को बहुत प्रभावित किया।
मायावती को हमेशा वही मिला जो वो चाहती थीं। आज, हालांकि, उनका राजनीतिक कद अब वो नहीं रहा जो पहले था और अब मायावती को भी पता चल गया है कि उनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया है। वहीं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के उत्तराधिकारी राहुल गांधी कांग्रेस को राजनीति में अंतिम पायदान पर ला कर खड़े हो चुके हैं। राहुल गांधी एक ऐसा छेद वाला नाव बन गए हैं जो खुद की राजनीति के साथ कांग्रेस को भी डुबा चुके हैं और आने वाले समय में कांग्रेस की हालत वामदल की तरह हो जाएगी जो अस्तित्व में तो रहेगी पर उसका होना न होना एक बराबर होगा।