नदिया गैंगरेप केस: ममता ने पश्चिम बंगाल की सीएम बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है

ममता की घटिया सोच पर कोर्ट का जोरदार तमाचा!

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ममता बनर्जी जैसे नेताओं को देखकर मुख से यही निकलता है कि गिरिए, गिरना स्वाभाविक है! परन्तु, इतना मत गिरिए कि रसातल में पहुंच जाएं। ज़मीन पर गिरा इंसान उठ सकता है जबकि ज़मीन में पड़ा इंसान सिर्फ मुर्दा होता है। राजनीतिक स्वार्थ के वशीभूत हमने कई नेताओं की नैतिकता को गिरते हुए देखा, परंतु नैतिकता के मृत होने का प्रथम उदाहरण पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में देखने को मिला है।

ममता के बिगड़े बोल

हाल ही में अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेता का बेटा रेप केस में फंसा, तो पार्टी की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बोल बिगड़ गए। पहले तो ममता ने नदिया में उस नाबालिग की मौत के बाद उसके रेप पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। 14 साल की इस बच्ची के घरवालों ने टीएमसी नेता के बेटे समेत कई पर आरोप लगाया था जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी भी पुलिस ने की थी। इस मामले में ममता बनर्जी ने सवाल दागते हुए कहा कि आपको कैसे पता है कि उसके साथ रेप हुआ, क्या वो प्रेग्नेंट थी या लव अफेयर का मामला था या फिर वो बीमार थी? उन्होंने ये भी कहा कि कोई अगर रिलेशनशिप में होता है तो उन्हें रोका नहीं जा सकता। साथ ही इसे उन्होंने दूसरा एंगल देने की कोशिश करते हुए कहा कि ये यूपी नहीं है कि लव जिहाद के नाम पर कार्रवाई कर सकती हूं।

ममता यहीं नहीं रुकीं बल्कि उन्होंने आगे कहा कि बच्ची की मौत 5 अप्रैल को हुई और पुलिस को 10 तारीख को जानकारी दी गई। अगर बच्ची की मौत पहले हुई, तो घरवालों ने पुलिस को क्यों नहीं बताया और उसका अंतिम संस्कार क्यों किया। ममता ने कहा कि पुलिस को अब कहां से सबूत मिलेगा? बच्ची के परिजनों ने कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील दायर की है कि मामले की सीबीआई जांच हो। इस पर ममता ने कहा कि दिल्ली, यूपी, राजस्थान, असम और बिहार में जो हत्याएं होती हैं उनमें से कितनों में सीबीआई जांच कराई जाती है और कितने नेता गिरफ्तार हुए हैं?

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नदिया की घटना के बारे में बच्चे के घरवालों का कहना है कि 9वीं क्लास की छात्रा 4 अप्रैल को आरोपी के जन्मदिन की पार्टी में गई थी। जब घर लौटी तो उसके प्राइवेट पार्ट से बहुत खून बह रहा था। अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई। घरवालों का आरोप है कि टीएमसी नेता का बेटा ब्रजगोपाल गोलाइस मामले का आरोपी है। उसने अपने दोस्तों के साथ उनकी बेटी से गैंगरेप किया। बच्ची की मौत के 4 दिन बाद 9 अप्रैल को नदिया हांशखाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। घरवालों ने ये आरोप भी लगाया है कि टीएमसी नेता ने दबाव डलवाकर बिना डेथ सर्टिफिकेट जारी किए ही उसका जबरन अंतिम संस्कार करा दिया।

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कोर्ट का तमाचा और पार्टी के भीतरखाने से उठी आवाज

ममता के बिगड़े बोल पर कोर्ट ने करारा तमाचा जड़ते हुए पीड़ित परिवार की अर्जी पर सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। कोर्ट ने पुलिस से कहा है कि वो केस की सारी जानकारी केंद्रीय एजेंसी को दे। ये घटना नदिया जिले के हांशखाली में हुई थी। कोर्ट ने पीड़ित परिवार और केस से जुड़े गवाहों की सुरक्षा के भी आदेश दिए हैं। इस घटना पर टीएमसी में भी ममता की राय के खिलाफ आवाज उठी है। पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा ने घटना की निंदा करते हुए कहा था कि अगर आरोपी बालिग है और उसने नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाया, तो वो कानून के हिसाब से दोषी है और इस मामले में कानून का पालन होना चाहिए।

ममता बनर्जी एक अपरिपक्व और बुद्धिहीन राजनेता है। राष्ट्रीय स्तर के नेता बनने का सपना संजोए ममता बनर्जी ये भूल चुकी हैं कि वह एक राज्य की मुख्यमंत्री भी है अतः उन्हें अपने शब्दों की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। वह राष्ट्रीय स्तर के नेता का परिचय तो कभी नहीं प्राप्त कर सकतीं और उनके इस रवैये से आने वाले समय में बंगाल की जनता उन्हें सत्ता से भी बेदखल कर देगी। शायद, इस वक्त ममता बनर्जी को उत्तर प्रदेश आ कर योगी आदित्यनाथ से राजनीति का ककहरा सीखना चाहिए कि कैसे निष्पक्ष रूप से राज्य की विधि-व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए किया जाता है। उन्हें भाजपा के सबका साथ और सबका विकास की नीति से सीखने की जरूरत है, वरना न्यायालय, जनता और केंद्र सरकार तीनों मिलकर आने वाले समय में उन्हें सबक सिखाएगी। ममता को इस मामले की ज़िम्मेदारी लेते हुए पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए। वो पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी हैं।

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