अभी भी अपने पुराने रंग से बाहर नहीं निकली है कांग्रेस, प्रतिभा सिंह की नियुक्ति इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है

अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रही है कांग्रेस पार्टी!

Congress party

Source- TFI

एक राजनीतिक पार्टी के लिए उसका नेतृत्व ही उसकी सबसे बड़ी और पहली कड़ी होता है पर देश की वयोवृद्ध पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जो अबतक राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए रो रही थी अब राज्य स्तर पर भी उसकी यही हालत हो चुकी है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को देना इस बात की पूरी पुष्टि करता है कि कांग्रेस ने 5 वर्षों पूर्व हार के बाद भी अपने कर्मकांडों पर ध्यान दिया ही नहीं। यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नाम पर आज भी कांग्रेस वोट कमाना चाहती है, जिसे कहते हैं सहानुभूति से हथियाया गया वोट। यह दर्शाता है कि पुराने जमाने की राजनीति कांग्रेस के लिए अभिशाप है और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण प्रतिभा सिंह की नियुक्ति है।

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कांग्रेस को सताने लगा है हार का डर

दरअसल, कांग्रेस ने बीते मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी लोकसभा सांसद प्रतिभा वीरभद्र सिंह को कुलदीप राठौर की जगह राज्य में पार्टी इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले, कांग्रेस ने मंगलवार को प्रतिभा वीरभद्र सिंह को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया जाना इस बात की तस्दीक करता है कि उसके पास चेहरे का कितना अभाव है। राज्य में विधानसभा चुनाव इसी साल के अंतिम में हैं और कांग्रेस अब चेहरा बदल का खेला कर रही है।

चुनावों को देखते हुए आलाकमान ने पार्टी नेता मुकेश अग्निहोत्री को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में बरकरार रखा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के लिए संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया, तो वहीं आशा कुमारी के रूप में इसके संयोजक, जबकि पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू को अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।

अन्य राज्यों में भी देखने को मिल सकता है यही खेला

ये सर्वविदित है कि राजनीति में सहानुभूति एक बड़ा अंतर पैदा करती है। वीरभद्र सिंह चूंकि 6 बार के मुख्यमंत्री रहे इसलिए उनकी छवि का लाभ मरणोपरांत कांग्रेस लेना चाह रही है पर यह भी सत्य और तथ्य है कि वीरभद्र के रहते हुए ही कांग्रेस राज्य में चुनाव हार गई थी। ऐसे में इस सोच के साथ कि उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर जनता का वोट बटोर लेंगे यह थोड़ा पेचीदा प्रतीत होता है। इससे यह प्रतीत होता है कि कांग्रेस ने अबतक अपने आलाकमान को दुरूरस्त न करने की कसम खाई थी और अब वो राज्य इकाई को भी ध्वस्त करने में जुट चुकी है। उसके पास जिस प्रकार आज हिमाचल प्रदेश में चेहरे की कमी है, अब जैसे-जैसे चुनाव निकट आ रहे हैं वैसा ही खेला अब अन्य राज्यों में भी देखने को मिल सकता है।

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में फेरबदल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में 68 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 43 सीटें जीती थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की जीत का सिलसिला जारी रहा और उसने राज्य की तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, हाल ही में मंडी लोकसभा चुनाव सहित हाल के उपचुनावों में पार्टी को कई झटके लगे हैं। ऐसे में आगामी चुनाव में स्थिति क्या होगी इस पर सभी की नजरें टिकी हुई है।

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