कभी वीरों की भूमि रही राजस्थान अब हिंदुओं के लिए नरक बन गई है!

कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान को अराजकता की आग में झोंक दिया है!

Rajasthan, Ashok Gehlot

Source- TFI

राजपूताने की पवित्र भूमि राजस्थान इन दिनों हिंदुओं के लिए नरक बन चुकी है। कांग्रेस सरकार द्वारा लगातार जिहादी मानसिकता के लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है और प्रदेश में हिंदुओं की स्थिति दोयम दर्जे के नागरिक की बन चुकी है! हाल ही में मुसलमानों के विरोध के डर और तुष्टीकरण के लिए हिंदू नरसंहार पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स के प्रदर्शन पर राजस्थान सरकार द्वारा प्रत्यक्ष रूप से रोक लगाई गई थी। यह रोक कोटा में लगी थी और सरकार ने फिल्म पर यह कहकर रोक लगाई थी कि इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है। सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा तो जरूर लेकिन कोटा में नहीं बल्कि करौली में और इसका कारण इस बार भी ‛शांतिप्रिय’ समुदाय की अराजकता ही रही है।

हिंदुओं पर पथराव का मामला

दरअसल, हिंदू नव वर्ष के आरंभ के अवसर पर हिंदू समाज द्वारा करौली में एक बाइक रैली निकाली गई थी। जैसे ही यह रैली मुसलमानों के क्षेत्र में पहुंची, मुसलमानों द्वारा रैली पर पथराव कर दिया गया। सोशल मीडिया पर ऐसी कई वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि पथराव मुसलमानों द्वारा शुरू किया गया। पथराव के बाद कई दुकानों में आगजनी भी की गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 30 दुकानों में आग लगाई गई, जबकि वास्तविक आंकड़ा इससे अधिक हो सकता है। लिंचिंग में एक व्यक्ति की मौत की खबर भी सामने आई, यद्यपि मीडिया द्वारा इसे सांप्रदायिक हिंसा से जोड़कर नहीं देखा जा रहा है। इस घटना के बाद करौली में इंटरनेट सेवा को 4 अप्रैल तक स्थगित कर दिया गया है। पुलिस के अनुसार हालात पर नियंत्रण के लिए डीएसपी और इंस्पेक्टर रैंक के 50 अधिकारियों समेत 600 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त चार आईपीएस अधिकारियों को जयपुर से करौली भेजा गया है।

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राजस्थान में लगातार घटित हो रही हैं ऐसी घटनाएं

ध्यान देने वाली बात है कि यह राजस्थान की पहली घटना नहीं है। वर्ष 2019 में जयपुर में एक बच्ची से रेप की झूठी अफवाह करने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा हिंदुओं के घरों पर हमला किया गया था। पिछले वर्ष ही यह खबर सामने आई थी कि टोंक के मुस्लिम बहुल क्षेत्र मालपुर से हिन्दुओं को पलायन करना पड़ रहा है। हिन्दू मंदिरों के पास मीट की दुकानें खोली गई हैं, मुस्लिम क्षेत्रों से गुजरने पर हिन्दू लड़कों को पीटा जाता है। महिलाओं के साथ छेड़खानी आम बात हो गई है। यहां तो विभाजन के बाद से ही साम्प्रदायिक हिंसा समय-समय पर भड़कती रहती है। विभाजन के बाद जो मुसलमान भारत रह गए थे, उनमें से बहुत से लोग टोंक में भी रुके थे। उनके द्वारा यह समस्या 1952 से खड़ी की जाती रही है! हालांकि, अब यह विवाद और बढ़ गया है तथा 200 से अधिक हिंदू परिवारों को वहां से पलायन करना पड़ा है।

आपको बता दें कि पिछले वर्ष अक्टूबर में मुस्लिम समुदाय द्वारा ईद उल मिलाद के अवसर पर जुलूस निकाला गया था। इस दौरान छोटे से विवाद पर पुलिस कर्मियों पर पथराव किया गया। गौर करने वाली बात है कि राजस्थान में जब से कांग्रेस सरकार में आई है एक के बाद एक ऐसी कई घटनाएं देखने को मिल चुकी है। महाराष्ट्र, राजस्थान, प० बंगाल या केरल, जहां भी कांग्रेस अथवा किसी अन्य कथित सेक्युलर पार्टी की सरकार बनती है, यह तमाशा शुरू हो जाता है। मुस्लिम समुदाय के बीच कट्टरपंथ एक रोग है, जिसे नियंत्रित रखना आवश्यक है, अन्यथा यह देश के सभी नागरिकों के लिए खतरा बनेगा!

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