दबाव नहीं जागरूकता जरूरी, जनसंख्या नियंत्रण के लिए भाजपा का यह हथियार कर रहा जबरदस्त काम

किसी पर भी दबाव नहीं डालेगी सरकार!

मनसुख मांडविया

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भारत पूरी दुनिया में जनसंख्या के मामले में चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है, जो कई तरह से देश की शक्ति और सामर्थ्य के लिए सही भी है और गलत भी। देश में जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए समय-समय पर तरह-तरह के कदम उठाए गए हैं, लोगों को जागरूक करने के लिए भी कई तरह की योजनाओं को हरी झंडी दिखाई गई। जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाए जाने की मांग भी लंबे समय से चली आ रही है। संसद में इसे लेकर एक विधेयक भी पेश किया गया था, जिसमें 2 बच्चों को लेकर नियम बनाकर उसे कानूनी दायरे में लाने की बात की जा रही थी। लेकिन इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने उच्च सदन में इस विधेयक को नकार दिया, जिसके बाद इस विधेयक को पेश करने वाले भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने इसे वापस ले लिया है। मांडविया ने स्पष्ट कर दिया है कि इसके लिए किसी पर भी किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा।

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किसी पर भी दबाव नहीं डालेगी सरकार

दरअसल, राज्‍यसभा में मनसुख मंडाविया ने कहा कि लोगों पर दबाव डालने के बजाय सरकार उन्‍हें जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए सफलतापूर्वक जागरूक कर रही है। साथ ही इसके लिए स्‍वास्‍थ्‍य अभियान भी चलाए जा रहे हैं। उन्होंने बीते शुक्रवार को राज्‍यसभा में परिवार नियोजन कार्यक्रमों के प्रभाव के बारे में जानकारी दी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे-वी (NFHS) और जनसंख्‍या के आंकड़ों के अनुसार जनसंख्‍या वृद्धि दर में गिरावट देखने को मिल रही है।

उन्होंने कहा, ‘जब हम एनएफएचएस और जनसंख्‍या के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि हमने सफलता पाई है। 1971 में औसत वार्षिक वृद्धि 2.20 थी, 1991 में यह 2.14 हो गई, फिर 2011 में ये और कम होकर 1.64 हो गई। इससे यह पता चलता है कि जनसंख्‍या वृद्धि कम हुई है और ये लगातार जारी है। 60 और 80 के दशक के दौरान बढ़ी हुई जनसंख्‍या वृद्धि दर कम हो रही है, यह अच्‍छा संकेत है।’  उन्‍होंने कहा, ‘आंकड़ों से यह पता चलता है कि जनसंख्‍या नियंत्रण को लेकर सरकारी न‍ीतियां बिना दबाव और अनिवार्यता के भी बेहतर कर रही हैं, जागरुकता काम कर रही है। मैं राकेश सिन्‍हा से आग्रह करता हूं कि हम आपके लक्ष्‍यों को पाने के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में आप विधेयक को वापस ले लें।’

सिन्हा ने वापस ले लिया विधेयक

जिसके बाद भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने इस विधेयक को वापस ले लिया और कहा कि हमारी सरकार संवैधानिक स्‍तर पर जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए कोशिश कर रही है। ध्यान देने वाली बात है कि भाजपा सांसद ने जुलाई 2019 में राज्‍यसभा में जनसंख्‍या नियंत्रण से संबंधित विधेयक को पेश किया था। उन्होंने विधेयक को वापस लेते हुए कहा कि सरकार जाति, धर्म, भाषा और जिले से ऊपर उठकर जनसंख्या को नियंत्रित करने में सक्षम होगी। खबरों के मुताबिक, सिन्हा ने यह भी कहा कि उन्होंने विधेयक में हिंदू या मुस्लिम शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन किसी मुद्दे पर चर्चा करते समय तथ्यों का इस्तेमाल करने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, “1901 और 2011 के बीच, हिंदू आबादी में 13.8 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि मुस्लिम आबादी में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह सच है। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता कि यह वृद्धि अच्छी है या बुरी, लेकिन आप तथ्यों से मुंह नहीं मोड़ सकते।”

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जनसंख्या में वृद्धि अब कम हो गई है

आपको बताते चलें कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग काफी पहले से ही लगातार की गई है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद लोगों में इस बात का भरोसा था कि सरकार किसी कानून के माध्यम से धड़ल्ले से बढ़ रही जनसंख्या पर लगाम लगा लेगी। देश का एक वर्ग कानून की आस में बैठा रहा, लेकिन सरकार ने लोगों को जागरूक करने की ठानी, जिसका नतीजा अब सामने दिख रहा है। स्वास्थ्य मंत्रायल भी मानने लगा है कि जनसंख्या में वृद्धि कुछ कम हो गई है। सरकार ने इस पर अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए यह कह दिया है कि इसे लेकर किसी पर भी दबाव नहीं बनाया जाएगा। ध्यान देने वाली बात है कि जब भाजपा सांसद ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राज्यसभा में विधेयक पेश किया था, तब लिबरलों और वामपंथियों ने इसे समाज के एक विशेष वर्ग से जोड़कर देखा था और मोदी सरकार को जमकर कोसा था। लेकिन सरकार का हालिया बयान और NFHS के आंकड़े वामपंथियों के मुंह पर करारे तमाचे के समान है। ऐसे में अब जरूरत है लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के प्रति और ज्यादा जागरूक होने की, अपने साथ-साथ अन्य लोगों को भी जागरूक करने की और देश के स्वर्णिम कल के बारे में सोचने की।

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