प्रधानमंत्री मोदी को है मूर्तियों से प्रेम परंतु इसके अंदर का अर्थशास्त्र शायद आप नहीं जानते

इससे एक नहीं कई लाभ हैं!

मोदी पर्यटन

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भारत मे रचनात्मक और सांस्कृतिक उद्योग तेजी से आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं के प्रमुख घटक बनते जा रहे हैं। विकास पर उनका प्रभाव आर्थिक और गैर-आर्थिक दोनों ही है। सांस्कृतिक स्थलों पर सेवाओं के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है तथा यह आजीविका और निवेश को भी आकर्षित करते हैं। संस्कृति के आर्थिक लाभों में इतिहास का संरक्षण, ज्ञान की पीढ़ी और रचनात्मकता का पोषण शामिल है। भारत हमेशा से ही अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध रहा है। भारत का गौरवशाली अतीत और सांस्कृतिक विविधता एक शक्तिशाली मिश्रण बनाती हैं, जो हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है और जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं तब से भारत में पर्यटन क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में काफी वृद्धि दर्ज की है, लेकिन जो लोग सरकार द्वारा पर्यटन क्षेत्र में किए जा रहे निवेश और प्रतिमाओं आदि को लेकर सवाल उठाते रहते हैं, शायक वो इसके पीछे के अर्थशास्त्र को समझते ही नहीं।

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आधुनिकता और परंपरा के मिश्रण को लेकर आगे बढ़ रहा है देश

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उद्घाटन की गई परियोजनाओं में सोमनाथ प्रोमेनेड, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ के मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण शामिल है। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि विनाश और विनाश के बीच भगवान शिव विकास और रचनात्मकता को जन्म देते हैं। शिव अनंत है, शाश्वत हैं, जिन्हें व्यक्त नहीं किया जा सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा, “शिव में हमारा विश्वास हमें समय की सीमा से परे हमारे अस्तित्व के बारे में जागरूक करता है, हमें समय की चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है।” दुनिया भर के भक्तों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जोड़ा। मोदी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम आजादी के 75वें वर्ष में सरदार साहब के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं और सोमनाथ मंदिर को नया वैभव प्रदान कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को भी याद किया जिन्होंने विश्वनाथ से सोमनाथ तक कई मंदिरों का जीर्णोद्धार किया था। उन्होंने कहा कि उनके जीवन की आधुनिकता और परंपरा के मिश्रण से प्रेरणा लेकर देश आगे बढ़ रहा है। पीएम ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और कच्छ के परिवर्तन जैसी पहलों में, गुजरात ने आधुनिकता को पर्यटन से जोड़ने के परिणामों को करीब से देखा है। हर समय की मांग रही है कि हम धार्मिक पर्यटन में नई संभावनाओं की तलाश करें और तीर्थयात्रा एवं स्थानीय अर्थव्यवस्था के बीच संबंधों को मजबूत करें। दरअसल, पीएम मोदी ने 31 अक्टूबर, 2018 को यहां देश के पहले गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल की विशाल प्रतिमा का उद्घाटन किया था जिसे Statue of Unity के नाम से जाना जाता है।

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40 प्रमुख तीर्थ स्थलों का विकास कर रहा है पर्यटन मंत्रालय

ध्यान देने वाली बात है कि राष्ट्र की एकता को मजबूत करने में आध्यात्मिकता की भूमिका को जारी रखते हुए पीएम ने पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्षमता पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि देश आधुनिक अवसंरचना का निर्माण कर प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित कर रहा है। उन्होंने रामायण सर्किट का उदाहरण दिया जो राम भक्तों को भगवान राम से संबंधित नए स्थानों से अवगत करा रहा है और उन्हें यह महसूस करा रहा है कि कैसे भगवान राम पूरे भारत के राम हैं। इसी तरह बुद्ध सर्किट दुनिया भर के भक्तों को सुविधाएं प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि पर्यटन मंत्रालय स्वदेश दर्शन योजना के तहत 15 विषयों पर पर्यटन सर्किट विकसित कर रहा है, जिससे उपेक्षित क्षेत्रों में पर्यटन के अवसर पैदा हो रहे हैं। केदारनाथ जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में विकास, चार धामों के लिए सुरंग और राजमार्ग, वैष्णव देवी में विकास कार्य, पूर्वोत्तर में हाई-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर दूरियां पाट रहे हैं। इसी तरह, वर्ष 2014 में घोषित प्रसाद योजना के तहत, पर्यटन मंत्रालय 40 प्रमुख तीर्थ स्थलों का विकास कर रहा है, जिनमें से 15 पहले ही पूरे हो चुके हैं। गुजरात में 100 करोड़ से अधिक की तीन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। तीर्थ स्थलों को जोड़ने पर ध्यान दिया जा रहा है। आम तौर पर, विरासत पर्यटन के लाभों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है: आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय। चूंकि वे गंतव्यों और नीति निर्माताओं के लिए सबसे अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, इसलिए हमने पहले आर्थिक लाभों पर ध्यान केंद्रित किया है।

सांस्कृतिक पर्यटन से हैं कई आर्थिक लाभ

यह अर्थव्यवस्था में नया पैसा इंजेक्ट करता है, व्यवसायों और कर राजस्व को बढ़ावा देता है। यह नई नौकरियों, व्यवसायों, आयोजनों और आकर्षणों का सृजन करता है, इस प्रकार स्थानीय अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में मदद करता है। यह छोटे व्यवसायों का समर्थन करता है और उन्हें विस्तार करने में सक्षम बनाता है। यह महत्वपूर्ण स्थानीय संसाधनों के सक्रिय संरक्षण और संरक्षण को बढ़ावा देता है। इससे स्थानीय समुदायों के बीच और भीतर महत्वपूर्ण संबंध स्थापित हो जाता है। यह नई/मौजूदा सामुदायिक सुविधाओं के विकास और रखरखाव को प्रोत्साहित करने में मदद करता है।

पीएम मोदी ने कहा कि देश न केवल आम नागरिकों को पर्यटन के माध्यम से जोड़ रहा है बल्कि आगे भी बढ़ रहा है। देश यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 2013 में 65वें स्थान से 2019 में 34वें स्थान पर पहुंच गया है। आपको बताते चलें कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से स्थिति में काफी बदलान देखने को मिला है। देश कई क्षेत्रों में आगे निकल रहा है और उनमें से पर्यटन भी एक है। मोदी सरकार देश के कई मंदिरों का जीर्णोद्धार कर उसे विकसित करने में लगी हुई है। सरकार महापुरूषों की गगनचुंबी प्रतिमाओं के जरिए राजस्व जुटाने की कोशिशों में लगी हुई है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जिस तरह से मोदी सरकार ने पर्यटन क्षेत्र और सांस्कृतिक क्षेत्र में काम करना शुरू किया है, उससे निकट भविष्य में भारत को आर्थिक लाभ अत्यधिक होने की संभावना है।

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