पुष्कर सिंह धामी उन गलतियों को नहीं दोहरा रहे हैं, जिससे बीजेपी के कई मुख्यमंत्री इतिहास बन कर रह गए

योगी की राह पर चल पड़े हैं धामी!

पुष्कर सिंह धामी

Source- Google

आप सभी जानते होने कि योगी आदित्यनाथ मूल रूप से देवभूमि के निवासी हैं. संन्यास लेने के बाद वो गोरखनाथ मंदिर के मठाधीश बने और उसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री बने. उत्तराखंड में भाजपा सत्ता में तो आई पर कभी उसे ऐसा शासक नहीं मिला. ऊपर से योगी आदित्यनाथ को यूपी में देखना उत्तराखंड के लोगों के लिए और कठिन था. तभी आए पुष्कर सिंह धामी. बहुत कम लोग जानते होंगे कि उनका राजनीतिक सफर उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ, जहां उन्होंने लगभग एक दशक तक अवध प्रांत क्षेत्र में ABVP के सदस्य के रूप में काम किया. अब उत्तराखंड में उनके काम को देखकर लगता है कि धामी के रूप में देवभूमि को योगी मिल गया है.

पुष्कर सिंह धामी का जन्म सितंबर 1975 में पिथौरागढ़ जिले में हुआ था और वह ठाकुर समुदाय से हैं. उन्होंने लगभग 33 वर्षों तक RSS और उसके सहयोगियों के लिए काम किया है. उन्होंने वर्ष 2002 से 2008 तक भाजपा के उत्तराखंड युवा मोर्चा के लिए भी काम किया है और 2001-02 में मुख्यमंत्री रहते हुए भगत सिंह कोश्यारी के विशेष कर्तव्य अधिकारी के रूप में कार्य किया. वर्ष 2012 में, वह पहली बार खटीमा से विधायक चुने गए और वर्ष 2017 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से जीत हासिल की. हालांकि, इस बार वह खटीमा से चुनाव हार गए पर, इसके बावजूद भाजपा आलाकमान ने उनपर भरोसा जताया, क्योंकि पिछले साल एक साक्षात्कार में धामी ने कहा था- “रुको और देखो, हम इस एंटी- इनकंबेंसी के मिथक को तोड़ देंगे.” और हुआ भी यही. सारे के सारे राजनीतिक पंडितों के ज्ञान धरे के धरे रह गए और धामी ने सभी को आश्चर्यचकित करते हुए भाजपा को दो तिहाई बहुमत से विजय दिलाई.

और पढ़ें: पुष्कर सिंह धामी के UCC फैसले से बिलबिला रहा है भारत-अमेरिका मुस्लिम काउंसिल

उत्तराखंड में विकास की बयार बहाने में लगे धामी

वर्ष 2022 के उत्तराखंड चुनावों से पहले धामी ने कहा था कि उनकी सरकार सत्ता में आने पर समान नागरिक संहिता को लागू करेगी. धामी के अनुसार, “यह भारत के संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और संविधान की भावना को साकार करेगा. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद-44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा जो समाज के सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म की परवाह किए बिना समान कानून की अवधारणा प्रस्तुत करता है.” वो भाजपा को जिताने और उत्तराखंड में विकास की धारा बहाने के लिए ब्रेक-नेक गति से काम कर रहे हैं. अब तक धामी ने 400 से अधिक निर्णय लिए हैं, जो आम आदमी को लाभान्वित करेंगे.

धामी ने सभी विभागों को अगले दस वर्षों के लिए एक रोड मैप तैयार करने और प्रस्तुत करने के लिए कहा है ताकि उन पर तुरंत काम करना शुरू कर सकें. धामी अब अपना ध्यान समान नागरिक संहिता को लागू करने, छात्रों के लिए लैपटॉप, तीन मुफ्त एलपीजी सिलिंडर, सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरना, बेहतर कनेक्टिविटी, गर्भवती महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता जैसे वादों को पूरा करने पर लगा रहें है. इसके अलावा उनके नेतृत्व में भाजपा ने दिसंबर 2021 में देवस्थानम बोर्ड के अधिनियम को निरस्त करने का फैसला किया, इन मतदाताओं को वापस लाया और चार धाम मंदिरों सहित 50 से अधिक मंदिरों के प्रबंधन और प्रशासन को पुजारियों को लौटा दिया.

धामी ने बनाया रिकार्ड

अब जब धामी चुनाव जीत चुके है वो उत्तराखंड को पुनः देवभूमि का गौरव वापिस दिलाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. लगता है धामी ने योगी आदित्यनाथ को सिर्फ स्टार  प्रचारक के रूप में उत्तराखंड चुनाव प्रचार के लिए ही नहीं बुलाया था, बल्कि जिहादियों और आतंकवादियों को किस तरह से नियंत्रित करना है यह भी सीख लिया. धामी देवभूमि को भू जिहादियों से मुक्त करा रहें है और योगी स्टाइल में खूब बुलडोजर चला रहे हैं. शायद यही विश्वास और भरोसा था जो फरवरी के विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को 47 सीटों पर जिताया और यह काफी ऐतिहासिक है कि पार्टी लगातार दूसरी बार ऐसे राज्य में सत्ता में आई है, जहां सत्ता विरोधी लहर ने 2000 में अपने गठन के बाद से किसी भी पार्टी को सत्ता में दोबारा मौका नहीं दिया था. धामी के कार्यों को देखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे वो यहीं नहीं रुकनेवाले और आनेवाले चुनावो में भी उनपर  जनता का भरोसा बना रहेगा.

और पढ़ें: धामी और सावंत से सबक – ‘रघुवर दास सिंड्रोम’ से भाजपा को हर कीमत पर बचना चाहिए

Exit mobile version