क्या शाह फैसल को दोबारा बहाल करना केंद्र सरकार को पड़ सकता है भारी?

ऐसे लोग कभी सुधर ही नहीं सकते!

शाह फैसल

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जम्मू-कश्मीर ने देश की आज़ादी के बाद से सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना किया है। आतंकवाद, कट्टरपंथ से जूझते कश्मीर की स्थिति भाजपा के सत्ता में आने के बाद से अब सुधरती नजर आ रही है। मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाकर जम्मू कश्मीर का कायाकल्प करने की ठानी और अब जम्मू कश्मीर विकास के पथ पर बढ़ चला है। दुनिया के तमाम देश कश्मीर में निवेश करने की योजना बनाते दिख रहे हैं। सरकार द्वारा 370 हटाने के बाद से ही राज्य में चरमपंथियों, कट्टरपंथियों और अलगाववादियों की लंका लग गई थी, लेकिन फिर भी वे मोदी सरकार के विरुद्ध जहर उगलने से बाज नहीं आ रहे थे।

अनुच्छेद-370 हटाने के बाद कश्मीर में अलगाववादी और चरमपंथियों के साथ-साथ कुछ ऐसे सरकारी अधिकारी भी अपनी कुंठा दिखाते और लोगों को उकसाते थे जिससे कश्मीर के नौजवानों में कट्टरता फैलती थी। इन्हीं में से एक हैं पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल, जिन्होंने देश में बढ़ती असहिष्णुता का ढोंग कर एक राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए वर्ष 2019 में सरकारी सेवा छोड़ दी थी और अब आश्चर्यजनक रूप से एक बार फिर सरकारी सेवा में शामिल हो गए हैं।

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फैसल ने कही ये बात

दरअसल, शाह फैसल ने जनवरी 2019 में अपना इस्तीफा सौंप दिया था तथा जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) पार्टी बनाई। उन्हें तत्कालीन राज्य जम्मू और कश्मीर (लद्दाख सहित) के विशेष दर्जे को निरस्त करने के तुरंत बाद कड़े सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था। हालांकि, अपनी रिहाई के बाद फैसल ने राजनीति छोड़ दी और सरकारी सेवा में फिर से शामिल होने का संकेत देना प्रारंभ कर दिया था और अब इस्तीफा वापस लेने की उनकी याचिका भी स्वीकार कर ली गई है। ज्ञात हो कि डॉक्टर से नौकरशाह बने फैसल ने जम्मू-कश्मीर में “लोकतांत्रिक राजनीति को पुनर्जीवित” करने के लिए अपनी पार्टी बनाई थी, लेकिन उनका राजनीतिक करियर अचानक समाप्त हो गया।

एक साक्षात्कार में फैसल ने कहा था कि “नौकरी छोड़ने के तुरंत बाद, मुझे एहसास हुआ कि मेरे असंतोष के सहज कार्य को देशद्रोह के कार्य के रूप में देखा जा रहा था। इसने लाभ से अधिक नुकसान किया था और मेरे कार्य ने बहुत कुछ हतोत्साहित किया था। सिविल सेवा के उम्मीदवारों और मेरे सहयोगियों ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया। इसने मुझे बहुत परेशान किया।” ट्वीट्स की एक श्रृंखला में उन्होंने 2019 में अपने आदर्शवाद के बारे में बात की थी जब उन्होंने राजनीति में शामिल होने के लिए सरकारी सेवा से इस्तीफा दे दिया था।

उन्होंने आगे कहा कि “मेरे जीवन के 8 महीने (जनवरी 2019-अगस्त 2019) इतने भारी रहे कि मैं लगभग समाप्त हो गया था। एक कल्पना का पीछा करते हुए, मैंने लगभग वह सब कुछ खो दिया जो मैंने वर्षों में बनाया था। नौकरी, दोस्त, प्रतिष्ठा, सार्वजनिक सद्भावना! लेकिन मैंने कभी उम्मीद नहीं खोई, मेरे आदर्शवाद ने मुझे निराश किया।” उन्होंने कहा, “लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था कि मैं अपने द्वारा की गई गलतियों को सुधारूंगा। जिंदगी मुझे एक और मौका देगी। मेरे जीवन का एक हिस्सा उन 8 महीनों की यादों से थक गया है और उस विरासत को मिटाना चाहता है। बहुत कुछ मिट चुका है, बाकी समय मिटा देगा।”

जल्द होगी फैसल की नियुक्ति की घोषणा

शाह फैसल ने यह नहीं बताया कि “एक और मौका” से उनका क्या मतलब है। पिछले एक साल से यह अटकलें लगाई जा रही थी कि वह एक आईएएस अधिकारी के रूप में या जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल के लिए किसी सलाहकार की भूमिका में सरकारी सेवा में लौट सकते हैं। इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि फैसल का इस्तीफा वापस लेने की याचिका को स्वीकार कर लिया गया है और उनकी अगली नियुक्ति की घोषणा जल्द की जाएगी।

ध्यान देने वाली बात है कि लोग मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करके अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते हैं, लेकिन शाह फैसल का यह स्वार्थ उल्टा पड़ गया। उन्हें लगा था कि वो कश्मीर में एक बड़े नेता बन जाएंगे लेकिन उनको समझ आ गया कि मोदी विरोध के कारण उनका करियर ही तबाह हो गया, इसलिए वो अब अपने आप को सीधा दिखाने की कोशिश में लग गए हैं पर उनका वापस नौकरी में आना उनकी पुरानी गलतियों के लिए एक सबक होगा ताकि वो आगे इस तरह की कुंठा प्रदर्शित न कर सके।

हालांकि, मोदी सरकार को ऐसे देश विरोधी और अलगगाववादी सोच वाले नौकरशाह या अन्य अधिकारियों पर किसी भी तरह की रहम खाने की आवश्यकता नहीं है! अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की आड़ में देशहित को तिलांजलि देने वाले लोगों को फिर से शीर्ष पद पर बैठाना, मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है! क्योंकि समय बदल सकता है, स्थिति के अनुसार ऐसे लोग खुद को ढ़ाल सकते हैं, लोगों के सामने खुद को बदलने की बातें कर सकते हैं लेकिन देश के प्रति उनकी विचारधारा बदल जाए ऐसा काफी कम ही देखने को मिलता है! अब शाह फैसल प्रकरण में आगे कौन सा कदम उठाया जाएगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई है।

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