मुंगेरी लाल के हसीन सपने और बिहार की राजनीति में लालू के लाल तेजस्वी यादव के सपने न कभी पूरे हुए थे, न हुए हैं और न ही होंगे। अति महत्वकांक्षी तेजस्वी यादव अपने वालिद की राजनीतिक फसल पर अपना हल जोतने की फिराक में थे पर उनका भविष्य उतना ही सुरक्षित है जितना तालिबानियों के हाथों में अफ़ग़ानिस्तान। हाल ही के उपचुनाव में राजद को जीत मिलने के बाद तेजस्वी का झुकाव पूरा उस भूमिहार वोटबैंक पर हो गया है जिसका दूर दूर तक अब तक राजद से कोई मूल नाता नहीं था, बस चूंकि इस बार उपचुनाव में भाजपा की अंदरूनी कलह के कारण यह मौका राजद भुना ले गई, तेजस्वी को लगने लगा कि अब भूमिहार राजद का वोट बैंक बन गए हैं और इस चक्कर में वो अपने सरकते कोर वोट बैंक (मुस्लिम+यादव) को टाटा बाय-बाय कर रहे हैं। इस स्थिति में तेजस्वी द्वारा खेला गया भूमिहार कार्ड साबित करता है कि राजद के लिए लालू का बनाया हुआ M+Y समीकरण अब काम नहीं कर रहा है। अब न ही तेजस्वी यादव का सीएम बनने का सपना साकार हो पाएगा और न ही राजद सत्ता में वापस आ पाएगी।
दरअसल, हाल ही में संपन्न हुए उपचुनावों में बिहार में विपक्षी राजद ने सत्तारूढ़ एनडीए से बोचहां विधानसभा सीट छीन ली, जिसमें उसके उम्मीदवार ने भाजपा उम्मीदवार को 35,000 से अधिक मतों के बड़े अंतर से हराया। अमर पासवान को 82,116 वोट मिले, जबकि उनकी निकटतम भाजपा प्रतिद्वंद्वी बेबी कुमारी को केवल 45,353 वोट मिले। बता दें, बोचहां उपचुनाव भूमिहार मतदाताओं के राजद की ओर राजनीतिक झुकाव प्रतिबिम्बित करता है। कहा जाता है कि करीब 20-25 फीसदी भूमिहार मतदाताओं ने राजद का समर्थन किया है। इस चुनाव में कई भूमिहार युवाओं को तेजस्वी यादव के साथ मंच साझा करते देखा गया। इस सीट बोचहां में भी 55,000 से अधिक भूमिहार मतदाता हैं।
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क्षेत्रवाद और जातिवाद
इस चुनाव में भी भूमिहार निर्णायक भूमिका में दिखे जिसके कारण राजद इस सीट को कब्जाने में सफल हुई पर यह एक संयोग और वन टाइम वाला मामला ही था। लालू ने आरजेडी की फसल ही मुस्लिम-यादव वोट बैंक के साथ की है इस पर तेजस्वी अपने सीएम बनने के सपने की तर्ज पर भूमिहार कार्ड का बुलडोज़र चलाना चाह रहे हैं। ऐसा इसलिए भी हैं क्योंकि चाहे यूपी या बिहार दोनों की राज्यों के “यादव” अब क्षेत्रवाद और जातिवाद से उठकर राष्ट्रवाद के लिए वोट करने लगे हैं, इसके परिणामस्वरूप अब राज्य में क्रमशः यादव वोट घटता जा रहा है।
भूमिहार कार्ड
आरजेडी के लिए यादव के अतिरिक्त दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक मुस्लिम मतदाताओं का था जिसको अब कट्टर इस्लामिक राजनीतिक संगठन हड़प रहे हैं जैसे कि AIMIM और उनके नेता असदुद्दीन ओवैसी। बीते विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में घात करते हुए 5 विधानसभा सीटें कब्जाने के साथ ही राज्य की राजनीति में मुस्लिम मतदाताओं को नया विकल्प मिला और AIMIM को संजीवनी। इसके साथ ही आरजेडी के दोनों अहम मूल वोटबैंक में सेंध लग गई और तेजस्वी यादव के पतन की गाथा उसी क्षण से प्रारंभ हो गई। तेजस्वी, अब भूमिहार को टारगेट इसलिए ही कर रहे हैं क्योंकि उनको छिटकते यादव और मुस्लिम वोट बैंक का आभास और यथास्थिति पता चल चुकी है। अब तेजस्वी द्वारा खेला गया भूमिहार कार्ड साबित करता है कि लालू का M+Y समीकरण काम नहीं कर रहा है।
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