आंकड़ें यूँहीं नहीं बन जाते, लक्ष्य हवा में ही नहीं हासिल हो जाते, इसके लिए दृढ़संकल्पशक्ति और दूरदर्शिता का होना बहुत आवश्यक है। भारत को हमेशा कमतर आंकने वालों को इस बार बगलें झाँकनी पड़ रहीं है, क्योंकि जिस UPI तकनीक को 2016 में लाने के बाद भारत पर यह तंज कसे जा रहे थे, कि भारत न ही इतना समृद्ध है, और न ही इतना योग्य कि वो हर इंसान को ऑनलाइन पेमेंट जैसे कामों को झट से कर पाने में माहिर बना पाएगा। लेकिन मार्च में आए आंकड़े ने इन सभी दावों को ध्वस्त कर दिया, भारत सरकार द्वारा लांच की गई, यह UPI ट्रांजैक्शन तकनीक आज अपने सभी पिछले रिकॉर्डों को तोड़, नित्त-निरंतर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। मार्च महीने में 29 तारीख तक 504 करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन किए गए | इन ट्रांजैक्शन की कुल राशि 8,88,169 करोड़ है। ऐसे में नए भारत ने UPI आने के बाद जिस प्रकार लेन-देन की प्रक्रिया को बदल डाला वह आश्चर्यजनक है, हर हाथ आज UPI ट्रांजैक्शन मिनटों में कर देता है, यह कोई सरल बात नहीं है।
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UPI ट्रांजैक्शन ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्राप्त किये नए आयाम
दरअसल, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए लेनदेन मूल्यों में $ 1-ट्रिलियन के लक्ष्य को पार कर लिया है, जो भुगतान प्रणाली के लिए एक नया मील का पत्थर है | यूपीआई ने पिछले दो वर्षों में पर्याप्त वृद्धि देखी है, और भुगतान के लिए आगे बढ़कर प्राथमिकता से डिजिटल वित्तीय सेवाएं अपनाने का नेतृत्व किया है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा 29 मार्च तक के आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई भुगतान का संचालन और प्रबंधन करने वाले उपयोगकर्ताओं द्वारा यूपीआई ने वित्त वर्ष 2021- 22 में 83.45 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन दर्ज किया है। वर्तमान रूपांतरण दर के अनुसार, $1 ट्रिलियन की यह राशि लगभग 75.82 लाख करोड़ रुपये है। ऐसे में भुगतान प्रणाली ने मार्च में पहली बार 500 करोड़ का आंकड़ा पार किया। एनपीसीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 29 मार्च तक ही 504 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए थे। महीने के लेन-देन के मूल्यों के संदर्भ में, UPI ने 29 मार्च तक 8.88 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन दर्ज़ किया जो फरवरी की तुलना में 7.5 प्रतिशत की बढ़त के साथ दर्ज़ किया गया।
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महामारी के दौरान बढ़ा डिजिटल पेमेंट
पिछले दो वर्षों में, UPI ने भारत में महामारी और बाद में व्यापक रूप से डिजिटल भुगतान को अपनाने से सहायता प्राप्त लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। भुगतान मोड ने पिछले दो वर्षों में कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, और अब मासिक लेनदेन मूल्यों में 9 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच रहा है। यह आसानी से नहीं हुआ है, देश के हर कोने में आज UPI के उपयोग करने वाले लोग हैं, यह वो परिवर्तन है, जिसकी परिकल्पना पर अन्य देश हँसा करते थे, कि भारत और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन,असंभव। इस असंभव को भारत के निवासियों ने संभव करके दिखाया है, आज जितनी आर्थिक स्वतंत्रता भारत के पास है, अन्य किसी भी देश के पास नहीं है। जहाँ एक ओर आज बिना बटुए के कोई भी आम आदमी खरीदारी करने निकल जाता है, गली-कूंचे की छोटी से छोटी दुकान पर भी UPI मिल जाता है,देश ने किस उत्साह से UPI को अपनाया है, इससे पता चलता है |
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सरकार की डिजिटल भुगतान को लेकर बनाई गयी नीतियाँ कारगर रहीं
निश्चित रूप से UPI की ओर बढ़ने का एक और सबसे बड़ा कारण रहा कि नीतियों में लचीलापन, जिसे आम आदमी ने आसानी से आत्मसात कर लिया । भुगतान के डिजिटल तरीकों के उपयोग को और प्रोत्साहित करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने NPCI को फीचर फोन के साथ-साथ छोटे मूल्य के भुगतान के लिए ऑफ़लाइन लेनदेन के लिए UPI लॉन्च करने का निर्देश दिया। 8 मार्च को, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने फीचर फोन के लिए UPI 123Pay का अनावरण किया, जो स्कैन और भुगतान को छोड़कर, बिना इंटरनेट कनेक्शन के फीचर फोन के माध्यम से सभी लेनदेन करने की अनुमति देता है। लॉन्च के दौरान, दास ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि इस वित्तीय वर्ष में UPI लेनदेन $ 1 ट्रिलियन का आंकड़ा पार करने की राह पर है।
एनपीसीआई ने बैंकों को एक सर्कुलर में 200 रुपये तक के छोटे मूल्य के ऑफलाइन डिजिटल भुगतान के लिए यूपीआई लाइट के लिए अपनी योजनाओं का विवरण दिया है। इसे लागू करने के लिए, इसने एक ऑन-डिवाइस वॉलेट तैयार किया है, जिसमें 2,000 रुपये का बैलेंस किसी भी समय रखा जा सकता है।डिजिटल भुगतान शीर्ष शहरों से लेकर कस्बों तक अधिक से अधिक ग्राहकों तक पहुंच सके, इसी लक्ष्य और प्रयोजन के साथ एनपीसीआई तीन से पांच वर्षों में एक दिन में एक अरब लेनदेन की दर हासिल करने की उम्मीद कर रहा है, जोकि इसी दृढ़ता से चला तो हासिल हो जाएगा।