अमित शाह बिहार पहुंचे। वीर कुंवर सिंह की जयंती मनाई गई। झंडा फहराया, विश्व रिकॉर्ड बनाया और फिर दिल्ली चले गए। इन सारे आयोजनों और उत्सव के दौरान आम जन के मन में एक प्रश्न कौंधा कि आखिरकार जिसकी जयंती मन रही है और जिसके उपलक्ष्य में इतने बड़े उत्सव का आयोजन हो रहा है उसके वंशज कहां है? चलिए, हम आपको बताते हैं। दरअसल, उस दिन वे अपने घर में नजरबंद थे। नीतीश की निकम्मी सरकार उस दिन बाबू वीर कुंवर के नाम पर अपनी राजनीति चमका रही थी और बाबू वीर कुंवर का परिवार सरकार के अत्याचार से बिलख रहा था।
और पढ़ें: सिपाही विद्रोह क्या था? उत्पत्ति, प्रभाव, केंद्र और असफलता के कारण
‘तानाशाह’ प्रशासन ने कर दी कुंवर सिंह के प्रपौत्र की हत्या
अब हम आपको बताते हैं आखिर क्यों? नीतीश सरकार की तानाशाह प्रशासन ने 29 मार्च 2022 को बड़ी ही बेरहमी से कुंवर सिंह के प्रपौत्र की हत्या कर दी! शुरुआती जांच में पुलिस ने मौत के मामले को हत्या मानते हुए सीआइएटी के तीन जवानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। जबकि, मुख्य आरोपित रसोइया सद्दाम इद्रीश ने पुलिस दबिश के बाद कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। एसपी ने कहा कि मृतक के शरीर पर पाए गए जख्मों के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। जांच में मारपीट की बात सामने आई है। सरेंडर करने वाले रसोइया को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। सरेंडर करने वाला आरोपित जगदीशपुर नगर के कसाब-कसाई टोला का निवासी है जो जवानों के लिए खाना बनाता था।
पर, भाजपा और युवक की मां का जो कहना है वो अत्यंत ही चौकानेवाला और सत्य प्रतीत होता है। लोगों को लगता है कि बिहार में शराबबंदी है, पर ऐसा नहीं है। बिहार में अब शराब, ड्रग्स और नशे की अवैध चीजें बेचने का ठेका नीतीश सरकार ने पुलिसवालों को दे दिया है। वैसे तो सीआइएटी के ये जवान जगदीशपुर के किले की सुरक्षा में तैनात थे, पर असल में उन्होंने इस गौरवशाली किले को नशे का अड्डा बना दिया था। यहीं से वो शराब और ड्रग्स का व्यापार करते थे, जिसका कुंवर सिंह के प्रपौत्र ने विरोध किया और उसे अपनी जान गंवानी पड़ी।
नीतीश कुमार के शासन में कोई नहीं है सुरक्षित
ध्यान देने वाली बात है कि बिहार के सबसे महान योद्धा के प्रपौत्र की हत्या, उनके गौरवशाली किले में किए जाने वाले कुकृत्य, प्रशासन की अक्षमता ने लोगों को विरोध करने पर बाध्य कर दिया। वीर कुंवर सिंह के प्रपौत्र और भाजपा नेत्री पुष्पा सिंह ने वीर कुंवर सिंह जयंती के आयोजन में अमित शाह के समक्ष इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की। उन्होंने न्याय न मिलने के स्थिति में आत्मदाह की चेतावनी दी। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने और न्याय सुनिश्चित कराने के बजाय नीतीश सरकार ने उनके परिवार को ही नजरबंद कर दिया, ताकि अमित शाह और वीर कुंवर सिंह जयंती के आयोजन में कोई बाधा न आए।
भले ही नीतीश सरकार वीर कुंवर सिंह जयंती का आयोजन कर रही है, परंतु यह किसी राज्य का दुर्भाग्य ही है जब उनके वंशज और प्रपौत्र को इसलिए मार दिया जाता है क्योंकि वह वीर कुंवर सिंह के विरासत और गौरवशाली किले में होने वाले अवैध कृत्यों को रोक रहा था। सरकार को शर्म आनी चाहिए और प्रशासन को उससे भी अधिक शर्म आनी चाहिए, क्योंकि उनके कंधों पर कानून के संचालन का भार टिका हुआ है। नीतीश सरकार को अब पुलिस प्रायोजित ठेके को बंद करने के बारे में सोचना ही होगा वरना आनेवाले समय में जनता उनकी राजनीतिक दुकान बंद करा देगी। राज्य सरकार द्वारा लगाए गए शराबबंदी का उल्लंघन करने के आरोप में अब तक करीब 500 पुलिस अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है पर, अभी भी बहुत काम बाकी है।
और पढ़ें: अब आधिकारिक तौर पर नीतीश कुमार बिहार के जंगल राज 2.0 के नेता हैं