इलैयाराजा और पीएम मोदी के प्रति उनके समर्थन से आखिर क्यों डरते हैं लिबरल्स ?

मोदी के प्रति समर्थन से चिढ़े वामपंथी !

इलैयाराजा मोदी

Source- TFI

वामपंथियों में दो बातें स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। वे न केवल स्वभाव से कूप मंडूक प्रवृत्ति के होते हैं, अपितु अपने आदर्शों को पत्थर की लकीर मानते हैं, जिससे कोई भी तनिक भी विमुख हुआ, तो उसे अपमानित करने, उसका उपहास उड़ाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ते, और यही  आर ज्ञानथेसिकन के साथ हुआ, जिन्हे भारतीय फिल्म उद्योग में हम सभी इलैयाराजा के नाम से बेहतर जानते हैं। हाल ही में इलैयाराजा ने अपनी पुस्तक का विमोचन किया है, जिसका शीर्षक है “अंबेडकर एंड मोदी: रिफॉर्मर्स आइडियाज, परफॉर्मर्स इम्प्लीमेंटेशन”। इस पुस्तक की प्रस्तावना में, इलैयाराजा ने  वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना चर्चित विचारक भीमराव अम्बेडकर से की और अन्य बातों के अलावा कहा कि दोनों व्यावहारिक व्यक्ति थे जो कहने के बजाय करने में विश्वास करते थे”।

परंतु वे इतने पर ही नहीं रुके। इलैयाराजा ने आगे बताया, “तीन तलाक जैसी कुप्रथा पर प्रतिबंध लगाना, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के कारण लिंगनुपात में अप्रत्याशित वृद्धि से ऐतिहासिक रूप में सामाजिक परिवर्तन हुआ, और इससे डॉक्टर बी आर अंबेडकर जैसे लोग काफी प्रसन्न होते”।

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विचारों पर अडिग इलैयाराजा

बस, फिर क्या था, पीएम मोदी और अंबेडकर की तुलना करने पर वामपंथी बिदक गए और उन्होंने जमकर इलैयाराजा को तीखी प्रतिक्रियाएं दी, यह जानते हुए भी कि इलैयाराजा पिछड़े वर्ग से हैं और कई वर्षों तक कम्युनिस्ट पार्टी को अपनी सेवाएँ तक दे चुके हैं। कुछ तो यहाँ तक तंज कसने लगे कि ये सब वे एक राज्यसभा सीट के लिए कर रहे हैं, क्योंकि उन्हे ए आर रहमान की भांति ऑस्कर नहीं मिला।

लेकिन इलैयाराजा ने भी अपने  विचारों पर अडिग रहते हुए स्पष्ट कर दिया है कि वह अपना बयान नहीं बदलेंगे। इसी बीच इलैयाराजा के बचाव में कई बीजेपी नेता समर्थन में सामने आए हैं। तमिलनाडु भाजपा के प्रभावशाली के अन्नामलाई ने आक्रामक रुख अपनाते हुए बोला, “जो भी इलैयाराजा के विचारों से कुपित हैं, वे सत्ता के भूखे हैं, परंतु डीएमके का यह ईकोसिस्टम हमारे प्रख्यात संगीतकार के आवाज को कुचल नहीं पाएगा”।

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चर्चा मात्र से वामपंथी बिदके

इलैयाराजा ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं है। पीएम मोदी का उल्लेख करना भी कई लोगों के लिए पाप माना जाता है, प्रशंसा करना तो बहुत दूर की बात। बहुत कम लोग जानते होंगे, परंतु चर्चित लेखक रस्किन बॉन्ड को भी अपने पुस्तक में नरेंद्र मोदी की चर्चा मात्र करने के लिए ट्विटर पर तरह तरह के उलाहने सुनने पड़े।

परंतु इस बार इन्होंने गलत व्यक्ति से पंगा मोल लिया। इलैयाराजा केवल एक संगीतज्ञ नहीं, एक विचार है। ए आर रहमान जितने चर्चा में रहते हैं, वे उतने ही प्रतिभावान और कुशल संगीतज्ञ भी हैं, जिनकी चर्चा देश विदेश में होती है। ऐसे में अपने ‘कैन्सल कल्चर’ के पैंतरे से वामपंथी न केवल अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने पे तुला हुआ है, अपितु अपने आप को पूर्णतया इतिहास बनाकर ही छोड़ेंगे।

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